नई दिल्ली: दुनिया के लिए नई-नई बिसात बिछाने वाला अमेरिका एक बार फिर टेंशन में है। इसकी वजह है कुछ भारतीय कंपनियां, जो ऐसी चीजें बना रही हैं, जिनका इस्तेमाल मिसाइलों, जंगी विमानों और ड्रोन बनाने में किया जा सकता है। दरअसल, ये कंपनियां रूस या कुछ और देशों को रक्षा उपकरण जैसी दोहरे नेचर वाली वस्तुओं को बेच रही हैं, जिससे अमेरिका की रातों की नींद उड़ गई है। अमेरिका ने भारतीय कंपनियों को यह चेताया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि रक्षा उपकरण जैसी वस्तुओं का निर्यात रूस को न किया जाए। क्योंकि यह रूस की मिसाइल टेक्नोलॉजी के लिए मददगार साबित हो सकती है। ऐसे में इन कंपनियों पर पश्चिमी देश पाबंदी लगा सकते हैं।
मिसाइलों में इस्तेमाल होने वाले उपकरण रूस को बेच रहा भारत !
दरअसल, यह मामला तब सामने आया, जब पिछले साल नवंबर में बेंगलुरु स्थित कंपनी Si2 माइक्रोसिस्टम्स पर रूस को दोहरे इस्तेमाल वाली टेक्नोलॉजी बेचे जाने में कथित भूमिका की बात सामने आई थी। इस पर अब आई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि युद्धक सामग्री, एटम से जुड़े प्रोडक्ट्स, सॉफ्टवेयर और टेक्नोलॉजी समेत इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, मशीन टूल्स, ड्रोन और ड्रोन के लिए सॉफ्टवेयर जैसी कुछ दोहरे इस्तेमाल वाली चीजें हैं, जिनका इस्तेमाल नागरिक और सैन्य दोनों स्थितियों में किया जा सकता है। यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों की ओर से जारी प्रतिबंधित सूची में ये उपकरण शामिल हैं।
अमेरिकी सरकार ने किन चीजों के बारे में चेताया है
मीडिया रिपोर्ट के हवाले से एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, अमेरिकी सरकार के अधिकारी उद्योग जगत के साथ मशविरे और बैठकों का आयोजन करते हैं ताकि उन्हें इस बात को लेकर आगाह किया जा सके कि वे खास किस्म के उपकरण और केमिकल, जंगी विमानों के कलपुर्जे वगैरह का निर्यात न करें क्योंकि इनका इस्तेमाल मिसाइल प्रणालियों, रक्षा उपकरणों में किया जा सकता है।
रूस को अलग-थलग करने के लिए लगाई गई थी ये पाबंदियां
यूक्रेन से युद्ध के चलते रूस को अलग-थलग करने के लिए अमेरिका ने कुछ भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए थे। दो साल पहले रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई छिड़ने के बाद पश्चिमी देशों ने 2022 के आरंभ में ही रूस पर प्रतिबंध लगा दिए थे। उस वक्त भारत इस मामले में तटस्थ रहा था। उसने पश्चिम और रूस के साथ अपने हितों और रिश्तों में संतुलन बनाए रखा।
तो क्या रूस के साथ कारोबार करने वाली कंपनियों पर लगेगी पाबंदी
वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 में रूस को भारत का निर्यात सालाना 35 फीसदी बढ़कर 4.26 अरब डॉलर हो गया। रूस को इंजीनियरिंग वस्तुओं का निर्यात भी 85 फीसदी बढ़कर 1.35 अरब डॉलर हो गया। जबकि इस दौरान समग्र वस्तु निर्यात वृद्धि केवल दो फीसदी रही। अमेरिकी वित्त विभाग के अधिकारियों ने जुलाई में ही भारतीय बैंकों को यह चेतावनी दी थी कि रूस की डिफेंस इंडस्ट्री के साथ कारोबार करने वाले वित्तीय संस्थानों की अमेरिकी फाइनेंशियल सिस्टम तक पहुंच खत्म की जा सकती है। इस संबंध में भारतीय बैंकों और औद्योगिक संगठनों को पत्र भेजा गया था। उन पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
भारत ने किया इनकार, कहा-SCOMET का निर्यात नहीं कर रहे
इस मामले में भारत ने दोहरे इस्तेमाल वाले स्पेशल केमिकल्स, ऑर्गेनिज्म, मैटीरियल्स, इक्विपमेंट और टेक्नोलॉजी (SCOMET) वस्तुओं को रूस को बेचे जाने की बात से इनकार किया है। एक अधिकारी ने कहा है कि इनके कारोबार के लिए खास लाइसेंस की जरूरत होती है। भारत में दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं को SCOMET सूची के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है। भारत रूस को मशीनों, ऑटो पार्ट्स, स्टील और एल्युमीनियम प्रोडॅक्ट्स, इंटरनल कंबश्चन इंजन, पंप जैसी चीजों का निर्यात बढ़ा रहा है।
चीन की 300 से ज्यादा कंपनियों को किया गया था ब्लैकलिस्ट
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन ने इस साल जून में दोहरे उपयोग वाले सामानों के चीनी निर्यात पर चिंता जताई थी। 300 से अधिक कंपनियों को निर्यात ब्लैकलिस्ट में डालकर, अमेरिका ने कहा कि चीन मशीन टूल्स, माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स और नाइट्रोसेल्यूलोज का शीर्ष आपूर्तिकर्ता है। ये चीजें युद्धक सामग्री और रॉकेट को उड़ाने के काम में आती हैं। इनका इस्तेमाल रूस यूक्रेन में कर रहा है।
रूस को इंजीनियरिंग वस्तुओं का निर्यात साल भर में ही दोगुना हुआ
वाणिज्य मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि 2023 में रूस को भारत का कुल निर्यात 40 प्रतिशत बढ़कर 4 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया। इस निर्यात में मुख्य रूप से इंजीनियरिंग वस्तुएं थीं। वहीं, इंजीनियरिंग वस्तुओं के लिहाज से देखा जाए तो इसका कुल निर्यात 2022 में 680 मिलियन डॉलर से करीब दोगुना होकर 2023 में 1.32 बिलियन डॉलर हो गया। इसके अलावा, दवाओं और फार्मास्युटिकल कैटेगरी के साथ-साथ ऑर्गेनिक और इन आर्गेनिक केमिकल्स का भी निर्यात होता है।
रूस के रक्षा बजट में 24 फीसदी की बढ़ोतरी
भारत के रूस को निर्यात में यह बढ़ोतरी तब हुई है जब रूस ने अपने डिफेंस बजट में काफी बढ़ोतरी की है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, रूस का सैन्य खर्च 2023 में 24 प्रतिशत बढ़कर अनुमानित $109 बिलियन हो गया, जो काफी अधिक था।
इन पांच देशों का सैन्य खर्च दुनिया का 61 फीसदी
SIPRI के अनुसार, दुनिया के रक्षा बजट में 2022 के मुकाबले 6.8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह अब 2,443 बिलियन डॉलर तक जा पहुंचा है। इनमें टॉप 5 में अमेरिका, चीन, रूस, भारत और सऊदी अरब हैं। ये पांचों देश जितना सैन्य खर्च कर रहे हैं, वो दुनिया के कुल सैन्य खर्चों का 61 फीसदी है। लिस्ट में इनके ब्रिटेन, जर्मनी, यूक्रेन, फ्रांस और जापान हैं।