भगवान का शुक्र है कि आप जैसे जज हैं… कौन हैं जस्टिस वेंकटेश जिनकी चीफ जस्टिस ने की जमकर तारीफ

नई दिल्ली: भ्रष्टाचार के एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के जज एन आनंद वेंकटेश की जमकर सराहना की। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वेंकटेश की तारीफ करते हुए कहा कि भगवान का शुक्र है कि हाई कोर्ट में हमारे पास आनंद वेंकटेश जैसे जज हैं। तमिलनाडु सरकार के मंत्री पोनमुडी और उनकी पत्नी को आय से अधिक संपत्ति मामले में झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया। मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद वेंकटेश ने तमिलनाडु सरकार के शिक्षा मंत्री के खिलाफ मामले का स्वत: संज्ञान लिया था और कहा था कि एक जज से दूसरे जज के पास उनके मामले का ट्रांसफर अवैध था। एन आनंद वेंकटेश के फैसलों की आज चर्चा हो रही है लेकिन वह शुरुआत में वकालत के पेशे में नहीं कहीं और करियर बनाना चाहते थे।

जल्द समझ आ गया कि क्रिकेट खेलना मेरे …

जस्टिस आनंद वेंकटेश शुरू में पढ़ाई में ठीक नहीं थे। वह उत्तरी मद्रास से आते हैं और उनके बचपन के समय इस इलाके को पिछड़ा माना जाता था। यहां ज्यादातर लोग फैक्ट्री में काम करते थे। जस्टिस वेंकटेश ने स्वयं एक कार्यक्रम में बताया था कि वह अपने स्कूल के दिनों में पढ़ाई में अच्छे नहीं थे। उनके लिए एक विषय में भी पास होना एक बड़ी समस्या थी। उनके जीवन में बड़ा बदलाव उनकी लिखावट की वजह से आया। उनकी राइटिंग इतनी खराब थी कि उनके टीचर अपने क्लास में रखने से कतराते थे और दूसरी क्लास में प्रमोट कर देते थे।

जस्टिस वेंकटेश के माता-पिता उनके लिए दिन-रात एक अच्छी नौकरी पाने के लिए प्रार्थना करते थे। जस्टिस वेंकटेश को किशोरावस्था के दौरान वजन अधिक होने से लोग कमेंट भी करते थे। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जस्टिस ने मजाक में कहा था कि जो भी मुझसे मिलता था वह पूछता था कि मैं किस दुकान से चावल खरीद रहा हूं। आगे क्रिकेट को लेकर उनका जुनून बढ़ता गया हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि उनकी प्रतिभा वास्तव में कभी भी उस चीज से मेल नहीं खाती जो एक खिलाड़ी के लिए आवश्यक होती है।

बुलबुले से बाहर आना ही होगा… वकीलों को दी यह सलाह

एक वकील के रूप में जस्टिस वेंकटेश की सफलता का सूत्र बहुत सरल था- कड़ी मेहनत और जुनून। उन्होंने बार-बार वकीलों को कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने की आवश्यकता पर जोर दिया। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि हमारे अंदर कम्फर्ट जोन और उस बुलबुले में बने रहने की स्वाभाविक प्रवृत्ति है। उन्होंने कहा कि जीवन तभी शुरू होता है जब आप उस बुलबुले से बाहर आते हैं और कम्फर्ट जोन छोड़ते हैं। यदि आप उस जोन से बाहर नहीं निकलते हैं तो तरक्की काफी मुश्किल है।

जस्टिस वेंकटेश के पास बहुत समय तक नहीं था ऑफिस
जस्टिस वेंकटेश ने अक्टूबर 1993 में तमिलनाडु और पुडुचेरी बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन कराया। काफी समय तक जूनियर के तौर पर काम किया और 1997 में अपनी प्रैक्टिस शुरू कर दी। इसी साल उनकी शादी हुई। उस समय घर चलाना एक चुनौती थी क्योंकि परिवार की इच्छा के विरुद्ध शादी कर ली थी। जस्टिस वेंकटेश का मानना है कि हर किसी के लिए चुनौती अलग-अलग होगी, लेकिन चुनौती बनी रहेगी। जस्टिस वेंकटेश के लिए कानून की पढ़ाई में पैसा कभी भी प्रेरक शक्ति नहीं रहा। 2003 तक उनके पास अपना कोई ऑफिस नहीं था। क्लाइंट से बाहर मिलते थे।

जस्टिस आनंद वेंकटेश के नाम की पहली बार 19 दिसंबर, 2016 को मद्रास हाई कोर्ट में नियुक्ति के लिए सिफारिश की गई थी। केंद्र को उनका नाम भेजने में एक साल से अधिक का समय लगा और अंततः उन्हें जून 2018 में मद्रास हाई कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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