प्‍लान 7 लाख के लिए, आबादी हो गई 3.3 करोड़, आप चाहते हैं फ्रीबी कल्‍चर… केजरीवाल सरकार पर इस तरह बरसा हाईकोर्ट

नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने ओल्ड राजेंद्र नजर स्थित राव आईएएस स्टडी सर्कल के बेसमेंट में तीन छात्रों की मौत के मामले में शुक्रवार को सीबीआई जांच के आदेश दे दिए. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने आपराधिक मामले में सीबीआई द्वारा की जा रही जांच की निगरानी के लिए केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को एक वरिष्ठ अधिकारी नियुक्त करने को कहा.

सुनवाई के दौरान एक वक्त ऐसा भी आया, जब हाईकोर्ट ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) की अगुवाई वाली अरविंद केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई और कहा, “आज दिल्ली की आबादी 3.3 करोड़ है और बढ़ रही है. क्यों? क्योंकि यहां पर सब्सिडी है.” हालांकि, अदालत ने कहा, “यह बड़े नीतिगत फैसले हैं और हम किसी के प्रति असम्मान नहीं व्यक्त करना चाहते, लेकिन हमें नहीं लगता कि इसको साइंटिफिक तरीके से हैंडल किया जा रहा है.”

कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि अनेक सब्सिडी योजनाओं के कारण दिल्ली में लोगों का आना तेजी से बढ़ रहा है, जिसके कारण आबादी भी बढ़ती जा रही है और दिल्ली नगर निगम (एमसीटी) की हालत ख़राब हो रही है. इसी मामले में 31 जुलाई को सुनवाई करते समय दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि दिल्ली की आबादी 3.3 करोड़ है, जबकि इसकी योजना 6-7 लाख लोगों के लिए बनाई गई थी.

31 जुलाई को सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी की थी कि लोग यह कहते हुए विरोध-प्रदर्शन और आंदोलन करते हैं कि दिल्ली में पानी नहीं है और शहर को अपने हिस्से का पानी नहीं मिल रहा है, लेकिन अगले दिन बाढ़ आ जाती है.

पीठ ने कहा था, “आपको यह देखने की जरूरत है कि क्या आप रेवड़ी संस्कृति चाहते हैं या उचित बुनियादी ढांचा. दिल्ली की आबादी 3.3 करोड़ है, जबकि इसकी योजना 6-7 लाख लोगों के लिए बनाई गई थी. आप बुनियादी ढांचे को उन्नत किए बिना इतने सारे लोगों को समायोजित करने की योजना कैसे बना रहे हैं? व्यवस्था में दुर्भावना है. प्रशासकों को इस पर ध्यान देना चाहिए.”

पीठ ने सवाल किया कि एमसीडी अधिकारियों ने क्षेत्र में बरसाती नालों के ठीक ढंग से काम नहीं करने के बारे में आयुक्त को सूचित क्यों नहीं किया? पीठ ने कहा कि एमसीडी अधिकारियों को कोई परवाह नहीं है और यह एक सामान्य बात हो गई है. हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की और कहा कि दिल्ली के प्रशासनिक, वित्तीय, भौतिक ढांचे पर पुनर्विचार का समय आ गया है. साथ ही अदालत ने राजेंद्र नगर में अतिक्रमण, अनधिकृत निर्माण को हटाने का आदेश दिया जिसमें नालों पर किया गया अतिक्रमण भी शामिल है.

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