दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरिवाल की जमानत पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रोक लगा दी. अब केजरीवाल ने जमानत पर रोक लगाने के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. इस मामले की सुनवाई आज सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली अवकाश पीठ ने की. इस दौरान ED की ओर से ASG तुषार मेहता ने दलील रखी. वहीं अरविंद केजरीवाल की ओर मनु सिंघवी ने दलील दी. सुप्रीम कोर्ट ने दलील सुनने के बाद कहा कि ऐसा करते हैं, इसे अगले हफ़्ते सुन लेते हैं. एक बार हाई कोर्ट का फ़ैसला आ जाए. अब इस मामले में परसों सुनवाई होगी.
ऐसा करते हैं, इसे अगले हफ़्ते सुन लेते हैं- सुप्रीम कोर्ट
सुनवाई को दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा करते हैं, इसे अगले हफ़्ते सुन लेते हैं. एक बार हाई कोर्ट का फ़ैसला आ जाए.
ED की ओर से SG तुषार मेहता और CM की तरफ़ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी VC के ज़रिए जुड़ गए है.
कोर्ट ने कहा कि अगर हम अभी कोई आदेश जारी करते हैं तो ये पूर्वाग्रह करना होगा. ये निचली अदालत नहीं है, सुप्रीम कोर्ट है.
अरविंद केजरीवाल के साथ कोई फ्लाईट रिस्क नहीं- सिंघवीे
अरविंद केजरीवाल के वकील मनु सिंघवी ने कहा कि निचली अदालत ने ज़मानत दी. ASJ ने हाई कोर्ट में मेंशन किया और हाई कोर्ट ने स्टे कर दिया. ये अभूतपूर्व है. केजरीवाल के साथ कोई फ्लाइट रिस्क नहीं है. अगर हाई कोर्ट ED की याचिका ख़ारिज कर देती है तो क्या होगा.
समय की भरपाई कैसे की जा सकेगी- सिंघवी
सिंघवी ने दलील देते हुए कहा कि मान लीजिए कि हाईकोर्ट ने ईडी की याचिका खारिज कर दी, तो उस समय की भरपाई कैसे की जा सकेगी जो केजरीवाल ने निचली अदालत से मिली जमानत के बाद बिना कारण जेल मे बिताए हैं.
बता दें कि शराब नीति घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में निचली अदालत द्वारा पहले दिए गए जमानत आदेश पर शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने अंतरिम रोक लगा दी थी. गुरुवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू अदालत ने अरविंद केजरीवाल को एक लाख रुपये के जमानत बांड पर जमानत दी थी, जिसे अगले दिन ड्यूटी जज के समक्ष प्रस्तुत किया जाना था.
ED द्वारा आदेश पर रोक लगाने की मांग करने और अदालत से जमानत बांड पर हस्ताक्षर करने के लिए 48 घंटे का समय देने के बाद यह रोक लगाई गई ताकि आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सके. दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय की उस याचिका पर जवाब मांगते हुए नोटिस भी जारी किया था, जिसमें निचली अदालत के 20 जून के आदेश को चुनौती दी गई थी. इसके तहत उन्हें जमानत दी गई थी. अदालत ने आगे कहा था कि वह पूरे रिकॉर्ड की समीक्षा करने के लिए 2-3 दिनों के लिए आदेश सुरक्षित रख रही है.