आज से नौतपा चालू संभाल कर निकले घर से *नौतपा अगर न तपे तो क्या होता है?*

दो मूसा, दो कातरा, दो तीड़ी, दो ताय।
दो की बादी जळ हरै, दो विश्वर दो वाय।।

अर्थ:- नौतपा के पहले दो दिन लू न चली तो चूहे बहुत हो जाएंगे। अगले दो दिन न चली तो कातरा (फसल को नुकसान पहुंचाने वाला कीट) बहुत हो जाएंगे। तीसरे दिन से दो दिन लू नही चली तो टिड्डियों के अंडे नष्ट नहीं होंगे। चौथे दिन से दो दिन नहीं तपा तो बुखार लाने वाले जीवाणु नहीं मरेंगे। इसके बाद दो दिन लू न चली तो विश्वर यानी सांप-बिच्छू नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे। आखिरी दो दिन भी नहीं चली तो आंधियां अधिक चलेंगी। फसलें चौपट कर देंगी।

एक अन्य कहावत में रोहिणी के बारे में कहा गया है-
“पैली रोहण जळ हरै, बीजी बोवोतर खायै ।
तीजी रोहण तिण खाये, चौथी समदर जायै ।।”
रोहिणी नक्षत्र के पहले हिस्से में वर्षा हो तो अकाल की सम्भावना रहती है और दूसरे हिस्से में बारिश हो, तो बहुत दिनों ते जांजळी पड़ती है अर्थात पहली वर्षा होने के बाद दूसरी वर्षा अधिक दिन बाद होती है । यदि तीसरे हिस्से में बारिश हो, तो घास का अभाव रहता है और चौथे हिस्से में बादल बरसें, तो अच्छी वर्षा की उम्मीद रखनी चाहिए ।
वर्षा की भविष्यवाणी को लेकर एक अन्य कहावत है-
“रोहण तपै, मिरग बाजै ।
आदर अणचिंत्या गाजै ।।”
यदि रोहिणी नक्षत्र में गर्मी अधिक हो तथा मृग नक्षत्र में खूब आंधी चले तो आर्द्रा नक्षत्र के लगते ही बादलों की गरज के साथ वर्षा होने की संभावना बन सकती है।
…तो मित्रों ! अगर अच्छी वर्षा चाहिए तो तापमान को सहन करें । किन्तु लू से बचें, खूब पानी पीते रहें ।

इसलिए *”लू”* से भयभीत न होवें। स्वस्थ रहें, मस्त रहें, जीवन में धर्म कार्य में व्यस्त रहें।

द न्यूज़ लाइट संवाददाता
आयुष रघुवंशी साडोरा से

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *