ग्वालियर के सिंधिया राज परिवार के छत्री परिसर में सिंधिया राज परिवार की राजमाता व केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां माधवी राजे सिंधिया का अंतिम संस्कार पूरे विधान के साथ हुआ. इसी के साथ राजमाता माधवी राजे सिंधिया पंचतत्व में विलीन हो गईं. माधवी राजे सिंधिया का अंतिम संस्कार वहीं पर हुआ जहां उनके पति माधव राव सिंधिया की अंत्येष्ठि हुई थी.
माधव राव और उनकी मां की अंत्येष्ठि भी यही हुई थी
सिंधिया परिवार का यह छत्री परिसर काफी बड़े भूभाग में फैला है. यह जयविलास पैलेस से बमुश्किल एक किलोमीटर की दूरी पर शाही दशहरा मैदान से ठीक पहले स्थित है. बीते 23 वर्षों में यहां परिवार की तीसरी अंत्येष्ठि हुई है. सन 2000 में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय नेता, माधव राव सिंधिया की मां का निधन हुआ था. 27 जनवरी 2000 को उनका अंतिम संस्कार किया गया था, इसके महज डेढ़ साल बाद ही माधव राव सिंधिया का मैनपुरी के समीप हुए एक विमान हादसे में 30 सितम्बर 2001 को निधन हो गया था, उनकी अंत्येष्टि भी यहीं हुई थी. यहां दोनों की छत्री बनी है और उनमें मूर्तियां भी लगी हैं. इनकी जयंती और पुण्यतिथि पर यहां श्रद्धांजलि और भजन के आयोजन होते है.
कुल तीन जगह है सिंधिया परिवार की छत्रियां
सिंधिया परिवार के दिवंगत सदस्यों की जहां अंत्येष्ठि होती है, वहां आकर्षक छत्रियां बनाई जाती थीं. इनकी सबसे पुरानी छत्री परिसर लश्कर इलाके में है. उस समय सिंधिया परिवार महाराज बाड़ा स्थित गोरखी महल में निवास करता था, लेकिन बाद में इस स्थल के आसपास घनी आबादी हो गई और सिंधिया परिवार गोरखी महल छोड़कर जय विलास पैलेस में रहने आ गया. इसके बाद ये नया छत्री परिसर स्थापित हुआ. महाराज जीवाजी राव सिंधिया की अंत्येष्टि भी यहीं हुई थी. एक और छत्री परिसर शिवपुरी में है. वहां माधो महाराज (माधव राव प्रथम ) और उनकी मां महारानी सख्या राजे की अंत्येष्ठि हुई थी. बाद में इन दोनों की वहां संगमरमर की आकर्षक छत्रियों का निर्माण कराया गया, जो राजपूत और मुगल स्थापत्य के मिश्रण का नायाब नमूना है. यहां मां और बेटे की छत्रियां आमने-सामने बनी थी.