आतंकियों के आका कतर का विरोध क्यों नहीं कर पाती दुनिया, भारत के साथ कैसे हैं संबंध?

दोहा: कतर पूरी दुनिया में अपने आतंकवाद समर्थक रवैये के कारण बदनाम है। यह एक ऐसा देश है, जो इस्लाम के नाम पर दुनिया के लगभग सभी आतंकवादी समूहों को धन मुहैया कराता है। यह दूसरे मुस्लिम देशों के विपरीत आतंकवादी समूहों में शिया या सुन्नी का भी भेदभाव नहीं करता है। कतर से दान पाने की योग्यता सिर्फ मुस्लिम होना और आतंकवादी कार्यों में महारत रखना है। अब इस देश ने भारत के आठ पूर्व नौसैनिक अधिकारियों को कथित जासूसी के आरोप में फांसी की सजा सुनाई है। कतर का आरोप है कि ‘अल-जाहिरा अल-आलमी कन्सलटेन्सी एंड सर्विसेज’ के लिए काम करने वाले इन पूर्व भारतीय नौसैनिक अधिकारियों ने कुछ संवेदनशील जानकारी इजरायल को लीक की थी। इजरायल और कतर कट्टर दुश्मन हैं। इस कारण ही कतर हमास और हिजबुल्लाह जैसे आतंकवादी समूहों को धन मुहैया कराता है।

आतंकवादियों का सबसे बड़ा फाइनेंसर है कतर

कतर पूरी दुनिया के आतंकवादी समूहों का सबसे बड़ा फाइनेंसर है। यह दुनिया के लगभग हर आतंकी समूह को पैसा बांटता है। इसमें हमास, अल कायदा, इस्लामिक स्टेट, हिजबुल्लाह, मुस्लिम ब्रदरहुड, अल नुसरा फ्रंट जैसे आतंकी समूह शामिल हैं। कतर लगातार इन आतंकी समूहों को पैसा देता रहता है। इसका प्रमुख कारण इस्लामी दुनिया में खुद को सबसे बड़ा आका घोषित कराना है। कतर की सऊदी अरब के साथ पुरानी दुश्मनी है। सऊदी को इस्लामी दुनिया का सबसे ताकतवर देश माना जाता है। कतर को इसी बात से चिढ़ है, इस कारण वह आतंकी समूहों को पैसे देने से भी बाज नहीं आता है।

कतर का विरोध क्यों नहीं कर पाती दुनिया

अमेरिका समेत पूरी दुनिया जानती है कि कतर आतंकवादियों का सबसे बड़ा समर्थक है। इसके बावजूद कोई भी देश उसके खिलाफ एक शब्द नहीं बोलता है। इसका सबसे बड़ा कारण कतर की भौगोलिक स्थिति और उसके जमीन के नीचे दबा अरबों-खरबों रुपये की गैस है। कतर आकार में बहुत छोटा देश है, लेकिन इसका विदेशी मुद्रा भंडार 64.56 अरब डॉलर से भी ज्यादा है। कतर के पास दुनिया का सबसे बड़ा गैस भंडार है। कतर अपने गैस को एक राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करता है। कतर में अमेरिका का मिलिट्री बेस भी है। इस कारण अमेरिका चाहकर भी कतर का खुलकर विरोध नहीं कर पाता। अगर कोई देश विरोध करता भी है तो उसे अमेरिका अपने ताकत के दम पर चुप करा देता है।

कतर के भारत के साथ कैसे हैं संबंध

कतर और भारत के रिश्ते काफी अच्छे हैं। भारत अपनी कुल आवश्यकता का 90 फीसदी गैस कतर से आयात करता है। इसके अलावा कतर की कुल 25 लाख की आबादी में 6.5 लाख भारतीय हैं। ये भारतीय कतर में काम करते हुए अपने देश को भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा भेजते हैं। यह पैसा भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने में अहम योगदान देता है। भारत का दोहा में एक दूतावास है, जबकि कतर नई दिल्ली में एक दूतावास और मुंबई में एक वाणिज्य दूतावास रखता है। भारत और कतर के बीच राजनयिक संबंध 1973 में स्थापित हुए थे। मार्च 2015 में कतर के अमीर तमीम बिन हमद अल-थानी की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कई क्षेत्रों में सहयोग से जुड़े पांच समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसके अलावा भारत और कतर ने कैदियों की अदला-बदली का समझौता भी किया था।

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