13000 हजार फुट की ऊंचाई पर चीन के पास बनी सुरंग, समझें- क्यों थी इंडिया को इसकी जरूरत

पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा संघर्ष के 4 साल पूरे होने को हैं. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शनिवार (09 मार्च) को अरुणाचल प्रदेश में चीन के पास ही सेला सुरंग का उद्घाटन कर दिया है. इस सुरंग का निर्माण 825 करोड़ रुपये में हुआ है, जो तेजपुर से तवांग को जोड़ने वाली सड़क पर पश्चिम कामेंग जिले में 13,700 फीट की ऊंचाई पर है. इसकी आधारशिला पीएम मोदी ने फरवरी 2019 में रखी थी.

सेला सुरंग भारत की सबसे ऊंची पहाड़ी सुरंग सड़क है जो भारतीय सेना को अरुणाचल प्रदेश में दोनों देशों के बीच विवादित सीमा तक हर मौसम में संपर्क बनाए रखने में मदद करेगी. इस सुरंग के प्रोजेक्ट को अंजाम सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने दिया है, जिसमें दो सुरंगें और एक लिंक रोड शामिल है. सुरंग-1 980 मीटर लंबी सिंगल-ट्यूब होगी, सुरंग-2 1,555 मीटर की होगी जिसमें यातायात और एक आपातकालीन सेवाओं के लिए एक बाय-लेन ट्यूब होगी. इन दोनों सुरंगों के बीच लिंक रोड 1200 मीटर लंबी होगी.

भारत को इसकी जरूरत क्यों थी?

ये सुरंग अरुणाचल प्रदेश के लिए तो अहम है ही साथ ही साथ ये भारतीय सेना के लिए बहुत मददगार साबित होगी. इस सुरंग के जरिए चीन की सीमा पर आर्मी मूवमेंट तेज होगा और भारत की ड्रैगन तक पहुंच और भी ज्यादा आसान हो जाएगी. खास बात ये है कि सेला सुरंग चीन की सीमा से सटे तवांग को हर मौसम में कनेक्टिविटी दे पाएगी.

वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास होने की वजह से सेला सुरंग भारतीय सेना के लिए रणनीतिक रूप से मददगार साबित होगी. ये सुरंग तवांग को अरुणाचल प्रदेश के उन हिस्सों से जोड़ती है जो अक्सर बर्फवारी या फिर भूस्खलन की वजह से बंद हो जाते थे. इसके बनने के बाद तवांग जिले तक पहुंच बनी रहेगी.

सुरंग के अंदर सुरक्षा के उपाय भी

सेला सुरंग के बारे में एक अधिकारी ने बताया कि इसके अंदर कई तरह की सुरक्षा के उपाय किए गए हैं. कोरोना वायरस की वजह से फैली महामारी के कारण इस सुरंग के निर्माण में देरी हुई. इस सुरंग के बनने के बाद तवाग के जरिए चीन की सीमा की दूरी 10 किलोमीटर तक घट जाएगी.

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