ज्ञानवापी मामले में अखिलेश यादव के बाद सपा के इस बड़े नेता ने दिया बयान, किया ये दावा

उत्तर प्रदेश स्थित वाराणसी में ज्ञानवापी मामले पर समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के बाद अब सपा सांसद एसटी हसन ने बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा कि “न्याय मिलना चाहिए. कानून के मुताबिक ही काम होना चाहिए. देश में मस्जिदों को निशाना बनाया जा रहा है. अभी यह वाराणसी की ज्ञानवापी है. क्या हम एक दूसरे के प्रति अपना प्यार भूल गये हैं?’

इससे पहले सपा नेता अखिलेश यादव ने कहा था-, ‘‘किसी भी अदालती आदेश का पालन करते समय उचित प्रक्रिया को बनाए रखना होगा. वाराणसी की अदालत ने इसके लिए सात दिन की अवधि तय की थी. अब हम जो देख रहे हैं वह नियत प्रक्रिया से परे जाने और किसी भी कानूनी सहारे को रोकने का एक ठोस प्रयास है.’’

संसद में हुआ प्रदर्शन
उधर, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के सांसदों ने शुक्रवार को संसद भवन परिसर में ज्ञानवापी मामले को लेकर प्रदर्शन किया. उन्होंने संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष ‘ज्ञानवापी मस्जिद बचाओ’ और ‘पूजा स्थल अधिनियम की रक्षा करो’ लिखीं तख्तियां लेकर विरोध प्रदर्शन किया.

आईयूएमएल के लोकसभा सांसद ई.टी. मोहम्मद बशीर, कानी के. नवास और अब्दुस्समद समदानी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए. वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद के एक तहखाने में पूजा किए जाने का पिछले दिनों आदेश दिया था. मस्जिद समिति ने इस आदेश को ऊपरी अदालत में चुनौती दी है और इस पर रोक लगाने की मांग की है.

हाईकोर्ट पहुंचा मामला
बता दें ज्ञानवापी मस्जिद परिसर स्थित व्यास जी तहखाने में जिला अदालत द्वारा हिंदू भक्तों को पूजा अर्चना की अनुमति दिए जाने के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने बृहस्पतिवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. वहीं, मुस्लिम पक्ष ने वाराणसी के जिला अदालत में भी अर्जी देकर हिंदू पक्ष को उक्त स्थान पर पूजा करने से रोकने का अनुरोध किया है.

ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने मस्जिद परिसर के भीतर व्यास जी के तहखाना में हिंदू भक्तों को पूजा अर्चना की अनुमति देने के वाराणसी की अदालत के निर्णय को चुनौती देने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय का बृहस्पतिवार को रुख किया.

इंतेजामिया कमेटी के वकील एसएफए नकवी ने कहा कि उन्होंने इस मामले पर जल्द सुनवाई के लिए उच्च न्यायालय के महानिबंधक के समक्ष आवेदन किया है. अदालत में दाखिल अपील में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के न्यासी मंडल और आचार्य वेद व्यास पीठ मंदिर के मुख्य पुजारी शैलेन्द्र कुमार पाठक को पक्षकार बनाया गया है.

वाराणसी की अदालत के निर्णय के खिलाफ दाखिल अपील में दलील दी गई है कि यह वाद स्वयं में पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के तहत पोषणीय नहीं है. साथ ही तहखाना का व्यास परिवार के स्वामित्व में होने या पूजा आदि के लिए देखरेख किए जाने की कोई चर्चा नहीं थी जैसा कि मौजूदा वाद में दावा किया गया है.

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