दक्षिण कोरिया की एक लोककथा के मुताबिक, 2,000 साल पहले अयोध्या की राजकुमारी सुरीरत्ना अपनी किशोरावस्था में ही घर छोड़कर कोरिया के लिए निकल गई. राजकुमारी ने 4,500 किलोमीटर की दूरी नाव से तय की और कोरिया पहुंचकर राजा किम सूरो से शादी कर ली. गया राजवंश की संस्थापक राजा से शादी के बाद राजकुमारी सुरीरत्ना रानी हियो ह्वांग-ओक के नाम से जानी गईं.
इस दंतकथा के बारे में भारत के लोगों को पता नहीं है और अधिकांश भारतीय यह भी नहीं जानते कि दक्षिण कोरिया के 60 लाख लोग खुद को सुरीरत्ना के वंशज मानते हैं और वो अयोध्या को अपना ननिहाल मानते हैं.
इसलिए जब 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की मूर्ति स्थापित कर उनकी प्राण प्रतिष्ठा की गई तब उसे दक्षिण कोरिया के कई लोगों ने ऑनलाइन देखा. दक्षिण कोरिया के ये लोग अब राम मंदिर आने के इंतजार में हैं.
हर साल अयोध्या आते हैं इस समुदाय को दक्षिण कोरियाई
खुद को रानी सुरीरत्ना का वंशज बताने वाले Central Karak Clan Society के कई लोग हर साल आयोध्या आकर Queen Heo Memorial Park में रानी के स्मारक में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. रानी का यह स्मारक अयोध्या में सरयू नदी के तट पर साल 2001 में बनाया गया था. इसे उत्तर प्रदेश सरकार ने दक्षिण कोरिया के Gimhae शहर के साथ पार्टनरशिप में बनाया था.
Central Karak Clan Society के महासचिव किम चिल सू ने कहा, ‘अयोध्या हमारे लिए बेहद खास है और हम इसे अपने ननिहाल के रूप में देखते हैं.’ किम को राम मंदिर के उद्धाटन समारोह में शामिल होने का निमंत्रण भी मिला था और वो सहर्ष रामलला के प्राण प्रतिष्ठा में शामिल हुई थीं.
कैसा है रानी सुरीरत्ना का स्मारक पार्क?
रानी सुरीरत्ना को समर्पित पार्क लगभग 2,000 स्क्वायर मीटर में फैला है जिसमें एक मेडिटेशन हॉल, रानी और राजा को समर्पित मंडप, फव्वारा, भित्तिचित्र और ऑडियो, वीडियो सुविधाएं हैं. मंडपों को कोरियाई शैली में बनाया गया है जिसके छत छिछले हैं.
कोरिया के यु-जीन ली 22 अन्य लोगों के साथ फरवरी के महीने में अयोध्या आने वाले हैं. वो कहते हैं, ‘हम हर साल अयोध्या आकर रानी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और इस बात हमने सोचा है कि हम राम मंदिर भी जाएंगे. हमने राम मंदिर उद्धाटन समारोह को ऑनलाइन देखा और यह काफी शानदार अनुभव था.’
कोरिया के प्राचीन ऐतिहासिक किताब ‘Samguk Yusa’ में Gimhae शहर के Gimhae Heo समुदाय को रानी सुरीरत्ना का वंशज कहा गया है. इसमें कहा गया है कि रानी 48 ईसा पूर्व में अयुता (अयोध्या) से कोरिया आई थीं.
रानी के स्मारक को बड़ा करने पर दोनों देशों में बनी थी सहमति
साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति मून-जे इन ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था जिसमें यह तय हुआ था कि रानी सुरीरत्ना के स्मारक का विस्तार किया जाएगा.
साल 2018 में स्मारक की सुंदरता पर काम कर उसका उद्धाटन किया गया था जिसमें मून-जे इन की पत्नी जुंग सुक शामिल हुई थी. साल 2019 में भारत ने रानी सुरीरत्ना के लिए 25 और 5 रुपये के डाक टिकट भी जारी किए थे.