रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद के जमीनी विवाद में 30 अक्टूबर 1990 को हुए गोलीकांड पर समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह यादव ने बयान देकर पुराने जख्म दोबारा कुरेद दिए हैं. उनके इस बयान पर चश्मदीदों ने 34 साल पुराने हालात बयान किए और भावुक हो गए.
अशोक पाण्डेय ने कहा कि जब कारसेवक विवादित स्थल की तरफ बढ़ रहे थे लखनऊ से आदेश होता है की उन्मादी भीड़ को रोकने के लिये गोली लाठी चलाया जाये गोली और लाठी चलती है 71 युवकों की टोली पर भी गोली चलती है. मैं लाठियों से घायल हो गया था और रेंगते रेंगते सरयू तट पर भागा. वहीं सुधीर सिद्धू के चेहरे पर गोली लगती है वो बेसुध हो गए. उन्होंने दावा किया कि इन लोगों के कई साथी आज तक नहीं मिले.
असीम अरुण ने शिवपाल को घेरा
उधर उत्तर प्रदेश सरकार के समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने कहा संविधान कानून नैतिकता यह सब बोलती है कि न्याय होना चाहिए. शिवपाल यादव , स्व.मुलायम सिंह और अखिलेश यादव का चरित्र सबके सामने है .ये लोग राम विरोधी के साथ कानून विरोधी हैं. आज मंदिर निर्माण, प्राण प्रतिष्ठा सब सौहार्द से हो रहा है कही कोई विवाद नहीं है.
मंत्री असीम अरुण ने यह भी कहा मैं भी पुलिस में रहा… क्या भीड़ को नियंत्रित करने के लिए गोली ही समझाने से भी काम चल जाता है?इन्होंने राम भक्तों पर गोली चलाना चुना था. परिणाम देखिए रामभक्त एक ओर है और विरोध करने वाले एक छोटी संख्या में खड़े है.22 जनवरी को लेकर राजनीति पर असीम अरुण ने कहा कांग्रेस को अपनी दुविधा से बाहर निकलना चाहिए. पूरा कार्यक्रम बीजेपी का नहीं ट्रस्ट का है. भाजपा राम भक्तों की पार्टी है इसलिए उत्साह भी है. जो राम भक्त नहीं है इनका उत्साह कम दिख रहा है.