अयोध्या में राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में चारों मठों के शंकराचार्य शामिल नहीं होंगे. विपक्षी दलों का दावा है कि वो आधे अधूरे मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से नाराज़ हैं. जिस पर राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा कि राम मंदिर के उद्धाटन में कुछ भी शास्त्रों के विपरीत नहीं हो रहा है. सब कुछ शास्त्रों को अनुकूल है.
आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में जो कुछ भी हो रहा है, सब शास्त्र के अनुकूल ही हो रहा है, शास्त्र के विपरीत कुछ भी नहीं है. जितने भाग में रामलला को स्थापित करना है उतना भाग बन गया है, सिंहासन बन गया है. उनका भवन बन गया है. गुंबद बन गया है सारी व्यवस्थाएं हो गई हैं. सारी व्यवस्थाएँ हो गई हैं. धरातल पर पूर्णतः एक भाग बन गया है. तीन भाग में मंदिर बनना है. एक भाग जब पूरा हो गया है और उसकी जब पूजा पाठ होगा उसके बाद संपन्न हो जाएगा. इसलिए ये सोचना कि मंदिर अधूरा है, वो ग़लत है.
मुख्य पुजारी ने कहा कि जो लोग ऐसी बातें कर रहे हैं वो नहीं आने का बहाना बना रहे हैं. जो भी कार्य हो रहे हैं वो शास्त्र के अनुकूल हैं, सारे मंत्र, यंत्र अनुष्ठान जो भी कार्यक्रम होंगे वो सब शास्त्र के अनुसार हैं.
शंकराचार्य को लेकर कही ये बात
शंकराचार्य के विरोध के दावे पर सत्येंद्र दास ने कहा, मंदिर की व्यवस्था अपने आप में बन गई है. उनको इस विषय में ज्ञान नहीं दिया कि एक भाग बन गया उसमें कुछ अधूरा नहीं है, दूसरे भाग में तो रामलला पधारेंगे नहीं. उनके जो विचार है वो उनके विचार हैं, हम उनका विरोध नहीं करते हैं वो शंकराचार्य हैं. उनके जो विचार हैं उनकी इच्छा आने की नहीं है, तो ये उनका विचार है.
कांग्रेस पर साधा निशाना
आचार्य सत्येंद्र दास ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस तो बीस वकील खड़ा करके रोकती थी कि राम मंदिर का आदेश ही कोर्ट की तरफ से न हो. वो चाहते तो शुरू में ही जब ये देश स्वतंत्र हुआ तभी रामजन्मभूमि स्वतंत्र हो जाती और ये भी समाधान हो जाता, लेकिन उन्होंने कभी प्रयास नहीं किया अब आरोप लगाते रहे. लेकिन जिस तरह कार्य चल रहा है वो उसी तरह से संपन्न होगा.
जो शंकाराचार्य इसका समर्थन कर रहे हैं, मैं उनका धन्यवाद करता हूं वो सारी परिस्थितियों के बारे में सोच विचार भी कर रहे हैं. भगवान राम के प्रति उनकी श्रद्धा है..विश्वास है और जो नहीं कर रहे हैं वो अपने विचार में है. उस पर हम ये नहीं कह सकते कि क्यों नहीं कर रहे. एक शंकराचार्य की दृष्टि में वो पूर्ण हैं और दूसरे मंदिर को अधूरा मान रहे हैं. ये उनका विचार है. उनके बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता.