पटना। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जमीन के बदले नौकरी मामले में दायर नई चार्जशीट पर राजद ने कड़ी आपत्ति जताई है। राजद के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव और प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा है कि अब अति की पराकाष्ठा हो रही है।
दोनों नेताओं ने अलग-अलग बयान जारी कर कहा कि दाखिल चार्जशीट में घर की उन महिलाओं का नाम शामिल किया गया है, जिनका रेलवे मंत्रालय से कोई वास्ता नहीं रहा है। यह भी अजीब मामला है कि चार्जशीट में रेलवे के किसी अधिकारी का नाम नहीं है। और इससे भी बड़ा आश्चर्य तो यह है कि जिस अमित कात्याल को सीबीआइ ने गवाह बनाया है, ईडी ने उसे भी गिरफ्तार किया है। राजनीतिक प्रतिशोध में इस मामले को पुनर्जीवित कर लालू प्रसाद के परिवार को परेशान और प्रताड़ित किया जा रहा है।
राजद प्रवक्ताओं ने कहा कि राजद पहले से हीं यह कहता रहा है कि राजनीतिक रूप से हार मान चुकी भाजपा अपने विरोधियों को परेशान करने एवं लोकसभा चुनाव तक उन्हें उलझाए रखने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का लगातार इस्तेमाल करेगी।
नौकरी के बदले जमीन मामले के नए आरोप-पत्र में हेमा यादव का भी नाम : सुशील मोदी
राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए लालू परिवार के भ्रष्टाचार से समझौता कर लिया है। यही कारण है कि रेलवे की नौकरी के बदले लोगों की जमीन लिखवाने के मामले में अपने उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से अब बिंदुवार जवाब नहीं मांगते। क्या वे केजरीवाल की तरह अपने सहयोगी मंत्री की गिरफ्तारी का इंतजार कर रहे हैं?
उन्होंने कहा कि नौकरी के बदले जमीन मामले में लालू परिवार के करीबी अमित कात्याल की गिरफ्तारी के बाद ताजा आरोप-पत्र में तेजस्वी यादव की बहन हेमा यादव एवं हृदयानंद चौधरी सहित सात नाम सम्मिलित होने से आरोपियों के विरुद्ध कानून का शिकंजा कसता जा रहा है। जांच एजेंसियां जानना चाहती हैं कि रेलवे में ग्रुप-डी की नौकरी पाने वाले हृदयानंद चौधरी ने पटना में अपनी करोड़ों की जमीन लालू की पुत्री हेमा यादव को क्यों दान कर दी?