मध्य प्रदेश में नई सरकार बनने के 17 दिन बाद भी दो उपमुख्यमंत्री और 28 मंत्री बिना विभाग के ही काम कर रहे हैं. फिलहाल, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ही सभी विभागों के मुखिया है. हालांकि, पांच दिन पहले यानी 25 दिसंबर को मंत्रियों की शपथ के बाद अनुमान लगाया जा रहा था कि उसी दिन या अगले दिन उन्हें विभाग आवंटित कर दिया जाएगा, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ.
एमपी के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि आज शाम तक मंत्रियों के विभागों का बंटवारा हो सकता है. हालांकि, भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के बाद मुख्यमंत्री और मंत्रियों के चयन के बाद अब विभागों के वितरण को लेकर सस्पेंस बनाये रखा है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की सरकार दिल्ली से आलाकमान के निर्देश पर सभी काम कर रही है. वह खुद भी चाहते हैं कि कैबिनेट के कद्दावर मंत्रियों को विभाग का वितरण दिल्ली से ही हो ताकि उनके ऊपर किसी भी तरह का दबाव न बने.
क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया ने की ये मांग?
वहीं अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या डॉ मोहन यादव की कैबिनेट में बड़े नाम वाले मंत्री होने के कारण पार्टी को उनके कद के हिसाब से मंत्रालय देने में देरी हो रही है? पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने समर्थक मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट के लिए हाई प्रोफाइल मिनिस्ट्री की मांग सीएम डॉ मोहन यादव और बीजेपी संगठन से की है. दरअसल इस विधानसभा चुनाव में सिंधिया समर्थक 11 मंत्रियों में से जीतने वालों की संख्या 6 रह गई है.
इन विभागों को लेकर कशमकश जारी
इनमें प्रद्युम्न सिंह तोमर, गोविंद सिंह राजपूत, प्रभुराम चौधरी, तुलसीराम सिलावट, बृजेंद्र सिंह यादव, हरदीप सिंह डंग और बिसाहूलाल सिंह का नाम शामिल है. जानकारी है कि सीएम डॉ मोहन यादव और प्रदेश संगठन ने मंत्रियों के विभाग तय करके अंतिम सहमति के लिए लिस्ट दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व के पास भेज दी है. इस बीच सीएम दो बार दिल्ली भी जा चुके हैं, लेकिन मंत्रिमंडल में बड़े चेहरों के कारण अंतिम फैसला लेने में केंद्रीय नेतृत्व समय ले रहा है. वहीं कशमकश गृह, वित्त, परिवहन, नगरीय प्रशासन, आबकारी, लोक निर्माण विभाग जैसे मंत्रालयों को लेकर है.
कांग्रेस ने बोला हमला
वहीं कांग्रेस बिना विभाग वाले मंत्रियों को लेकर तंज कर रही है. नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सोशल मीडिया X पर लिखा कि “जो कहा था वो सही निकला की नहीं? अब मुख्यमंत्री मोहन यादव मंत्रियों के विभागों की लिस्ट लेने दिल्ली गए हैं! क्योंकि, सब वहीं से तय हो रहा है. गृह विभाग को लेकर सबकी लार टपक रही है! जबकि, सीएम चाहते हैं कि किसी डिप्टी सीएम को गृह विभाग मिले, क्योंकि, चाशनी वाले विभाग हर मंत्री की चाहत है पर डॉ मोहन यादव नहीं चाहते कि कोई बल्लम नेता गृह विभाग लेकर उनकी छाती पर मूंग दले! इसे मुख्यमंत्री की बेचारगी माना जाना चाहिए कि वह राजा तो बना दिए गए पर सेनापतियों की कमान उनके हाथ में नहीं है. इसे कहते है बंद इंजन!”
जानकारों ने क्या कहा?
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र दुबे का कहना है कि मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के गठन सहित विभागों का वितरण भारतीय जनता पार्टी का आंतरिक मामला है, लेकिन इसमें देरी की वजह से जनहित के काम प्रभावित हो रहे हैं. जनता को भी यह पूछने का हक है कि जब उसने किसी पार्टी को भारी बहुमत से सत्ता दी है तो फिर सरकार चलाने में कोई किंतु परंतु नहीं होना चाहिए. मंत्रियों को विभाग ना मिलने से प्रशासनिक हलकों के साथ जनता में भी कंफ्यूजन की स्थिति है.