भारत पर प्रतिबंध लगें, अमेरिका में सरकारी एजेंसी की मांग:कहा- भारत में धार्मिक आजादी नहीं, विदेशों में विरोधियों को चुप करा रही सरकार

अमेरिका की एक सरकारी एजेंसी ने लगातार तीसरे साल भारत पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। यूएस कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजस फ्रीडम (USCIRF) नाम की एजेंसी का दावा है की भारत ने हाल ही में विदेशों में अपने विरोधी वकीलों, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को चुप कराने की कोशिश की है।

एजेंसी के मुताबिक सरकार विदेशों में अल्पसंख्यकों को टारगेट कर रही है। भारत में अल्पसंख्यकों की धार्मिक आजादी पर लगातार हमले हो रहे हैं। इसके चलते एजेंसी ने भारत को ‘विशेष चिंता के देशों’ में शामिल करने की सिफारिश दी है।

अमेरिका के लिए विशेष चिंता वाले देश

आतंकी पन्नू और निज्जर का जिक्र
USCIRF के कमिश्नर स्टीफन श्नेक ने कहा रिपोर्ट के बारे में बताते हुए कनाडा में खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या और पन्नू पर हमले की कोशिशों का हवाला दिया। उन्होंने कहा है कि ये काफी चिंता की बात है।

दरअसल, पन्नू के पास अमेरिका और कनाडा दोनों देशों की नागरिकता है। अमेरिका पन्नू को सिक्ख एक्टिविस्ट मानता है। पिछले साल भी इस एजेंसी ने भारत को ब्लैक लिस्ट कराने की मांग की थी।

हालांकि, बाइडेन सरकार ने एजेंसी की तरफ से लगातार की जा रही सिफारिशों के बावजूद भारत पर किसी तरह का एक्शन नहीं लिया है। भारत में अमेरिकी दूतावास ने इस सिफारिश पर कुछ भी नहीं कहा है। वहीं, भारत लगातार इन आरोपों को खारिज करता आ रहा है।

2022 में कहा था- सरकार अल्पसंख्यकों से भेदभाव करने वाले पॉलिसी बना रही
2022 में कमिशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारत सरकार न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि राज्य और लोकल स्तर पर भी ऐसे कानून बना रही है जिससे अल्पसंख्यकों के भेदभाव हो रहा है। अमेरिका की रिपोर्ट में गौ हत्या ,धर्म परिवर्तन और हिजाब पर बने कानूनों का जिक्र किया गया था। बताया गया कि इन कानूनों की वजह से मुस्लिमों, ईसाईयों, सिखों, दलितों और आदिवासियों पर नेगेटिव असर पड़ा है।

रिपोर्ट में ये भी कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली भाजपा सरकार विरोधियों की आवाज को दबा रही है। खासकर उनकी जो अल्पसंख्यक समुदाय के हैं और अपने हकों की आवाज उठाते हैं।

भारत ने कहा था- ये पुर्व नियोजित सोच का नतीजा
अमेरिकी एजेंसी ने जब पहली बार 2020 में भारत को इस सूची में रखने का सुझाव दिया था। इस पर सरकार ने अमेरिकी आयोग की रिपोर्ट को ‘गलत’ बताया था।

भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि ‘अफ़सोस की बात है, यूएससीआईआरएफ अपनी रिपोर्ट में बार-बार तथ्यों को गलत तरीके से पेश करती है।’

भारत ने कहा था कि ‘हम अपील करेंगे कि पहले से बनाई गई सोच और पक्षपातपूर्ण नजरिये के आधार पर किए जाने वाले मूल्याकंन से बचा जाना चाहिए।’

भारतवंशी सांसद भी दे चुके चेतावनी
अमेरिका में भारतवंशी सांसदों का कहना है कि अगर खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश मामले में जांच नहीं हुई तो भारत और अमेरिका के रिश्ते खतरे में पड़ सकते हैं।

एक जॉइंट स्टेटमेंट में पांच भारतवंशी सांसद एमी बेरा, प्रमिला जयपाल, रो खन्ना, राजा कृष्णमूर्ति और श्री थानेदार ने शुक्रवार देर रात कहा, ‘यह बेहद गंभीर मामला है। भारत यह सुनिश्चित करे कि ऐसा फिर कभी नहीं होगा। भारत ऐसी साजिश अमेरिकी जमीन पर दोबारा न करे और जांच में पूरा सहयोग करे।’

पांचों भारतवंशी सांसदों को शुक्रवार को पन्नू मामले से जुड़ी पूरी जानकारी दी गई। अमेरिकी एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से हुई इस स्पेशल ब्रीफिंग में बताया गया कि पन्नू की हत्या की साजिश का आरोपी निखिल गुप्ता है।

अमेरिका में खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने के मामले में 29 नवंबर को न्यूयॉर्क पुलिस की चार्जशीट सामने आई थी। इसमें भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पर पन्नू की हत्या की साजिश का आरोप है। इसमें लिखा है- भारत के एक पूर्व CRPF अफसर ने उसे पन्नू की हत्या की प्लानिंग करने को कहा था।

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