नाले पर स्टेडियम, बाउंड्री ढह गई वर्ना पिच तक पहुंच जाता पानी

ग्वालियर। केंद्रीय मंत्री ज्योदिरादित्य सिंधिया के ड्रीम प्रोजेक्ट 210 करोड़ का नवनिर्मित श्रीमंत माधवराव सिंधिया क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण में बड़ी इंजीनियरिंग खामी उजागर हुई है। जिस जगह पर स्टेडियम बनाया गया है वहां से बरसात का एक नाला निकलता है। इसे उचित ढंग से मोड़ने या अंडर ग्राउंड करने की बजाए उसको पार्किंग की बाउंड्री बनाकर रोक दिया गया। नतीजा यह हुआ कि बुधवार को जब तेज बारिश हुई तो नाला अपने मूल स्वरूप में बहने लगा। स्टेडियम की पार्किंग लबालब करने के बाद पानी ग्राउंड में घुस गया।

शुक्र है कि पिच पर नाला पहुंचता उसके पहले ही उसके बेग से स्टेडियम के दूसरी ओर बनी बाउंड्री ढह गई जिससे पानी वहां से निकलने लगा। सिर्फ 17 दिन बाद इस स्टेडियम में पहला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टी 20 भारत और बांग्लादेश के बीच खेला जाना है। यदि पिच पर पानी चला जाता तो इसे फिर से बनाना संभव नहीं था। एमपीसीए सीईओ के रोहित पंडित ने कहा है कि इंजीनयरों को बुलाया है। मैच को अभी समय है, सब काम हो जाएंगे।

कैसे लगा करोड़ों के प्रोजेक्ट को पलीता

मूल रूप से इस नाले की निकासी वीआइपी पार्किंग से होते हुए जनरल पार्किंग को ओर थी, लेकिन इसे नजर अंदाज करते हुए उसे सिर्फ बाउंड्री बानकर मोड़ दिया गया जो की एक बड़ी इंजीनियरिंग चूक है।

अब जब-जब भी बारिश होगी पार्किंग का जलमग्न होना तय है। वीआइपी पार्किंग और खिलाड़ियों के आने जाने वाले गेट को बंद करना पड़ सकता है।

सप्ताह पहले मूसलधार बारिश से पार्किंग (गेट सात-आठ के बीच) में जलभराव से पावर हाउस फूंक गया।

बड़े-बड़े जनरेटर भी पावर हाउस के बाहर ही रखे हैं ऐसे में जनरेटर भी नहीं बैठ जाए तो उसे चालू नहीं किया गया है।

तेज बहाव से ढह गई बाउंड्री

उपरोक्त नाला स्टेडियम के करीब आधा किमी दूर से हाइवे क्रास करके आता है। यह नाला उंचाई से नीचे की ओर बहता है इसलिए इसका बेग काफी अधिक होता है। यही कारण रहा कि जब पूरे स्टेडियम परिसर में पानी भर गया तो नाले को निकलने की कहीं जगह नहीं मिली। इसी दौरान उसके प्राकृतिक रूट ( फ्लड लाइट टावर नंबर 5) पर बनी बाउंड्री बाल तेज बहाव से ढह गई और नाला का फ्लो पार्किंग से होते हुए हो गया।

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