महाकुंभ के दूसरे अमृत स्नान पर मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ मच गई, जिसमें कई लोग घायल हुए हैं. महाकुंभ में भगदड़ के बाद महाकुंभ मेला की जिम्मेदारी संभाल रहे डीएम विजय किरण के नाम की भी चर्चा तेज हो गई है. महाकुंभ मेला की जिम्मेदारी संभाल रहे विजय किरण आनंद का आईएएस बनने तक का सफर बेहद रोचक रहा है. विजय किरण की चार्टेड अकाउंटेंट की पढ़ाई से यूपीएससी क्रैक करने की कहानी बेहद ही रोचक है.
13 जनवरी से शुरू हुआ महाकुंभ का पर्व अगले महीने 26 फरवरी को छठवे व आखिरी स्नान के साथ समाप्त हो जाएगा. हर दिन बड़ी तदाद श्रद्धालुओं की भीड़ महाकुंभ संगम स्नान करने के लिए पहुंच रही है. इस भव्य, दिव्य और सुरक्षित महाकुंभ आयोजन को संभालने की जिम्मेदारी IAS अधिकारी विजय किरण आनंद के पास है.
आईएएस के साथ एक योग्य सीए भी हैं विजय किरण
विजय किरण आनंद ने साल 2008 संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा क्रैक की थी. वह 2009 बैच के यूपी कैडर के IAS अधिकारी हैं. बेंगलुरू में जन्में आईएएस विजय किरण आनंद एक योग्य चार्टर्ड अकाउंटेंट भी हैं. विजय किरण ने शुरुआत में उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में एसडीएम के पद की जिम्मेदारी संभाली थी. बागपत में दो साल तक सेवा देने के बाद उनका ट्रांसफर बाराबंकी कर दिया गया, यहां उन्हें मुख्य विकास अधिकारी के पद पर तैनात किया गया.
विजय किरण आनंद यूपी के मैनपुरी, उन्नाव, फिरोजाबाद, वाराणसी और शाहजहांपुर में जिलाधिकारी के पद पर तैनात रहे हैं. उन्हें माघ और कुंभ मेले की जिम्मेदारी दी गई थी. 2017 में उन्हें माघ मेला और 2019 में अर्ध कुंभ मेला का अधिकारी बनाया गया था. उन्होंने पंचायती राज, सिंचाई और बेसिक शिक्षा जैसे विभागों में भी अपनी सेवाएं दी. इस साल उन्हें अपने करियर की सबसे बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है. उन्हें महाकुंभ 2025 के लिए मुख्य अधिकारी का दायित्व सौंपा गया है.
महाकुंभ के लिए बनाया अस्थाई जिला
कुंभ मेला 2025 में शामिल होने वालो लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ मेला जिला नाम का एक अस्थायी जिला स्थापित किया. इस जिले में चार तहसीलों के 67 गांव शामिल हैं और इसका प्रशासन आईएएस अधिकारी विजय किरण आनंद चला रहे हैं जिन्हें यहां का जिला मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया है.
बेहतर कार्य के लिए पीएम मोदी ने किया था सम्मानित
मेला अधिकारी की भूमिका उनके विशाल अनुभव का परिणाम है. उनकी इस उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सिविल सेवा दिवस पर प्रधानमंत्री पुरस्कार 2020 से सम्मानित किया और पीएम ने उन्हें स्मृति चिह्न और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया था.