फलस्तीन और इस्राइल के बीच माहौल गर्माया हुआ है। आतंकी संगठन हमास ने गाजा से शनिवार की सुबह अचानक महज 20 मिनट में इस्राइली शहरों पर ताबड़तोड़ करीब 5,000 रॉकेट दागे। यही नहीं, हमास के बंदूकधारी इस्राइली शहरों में भी घुस गए और कुछ सैन्य वाहनों पर कब्जा कर हमले किए। कई इस्राइली सैनिकों को बंधक भी बना लिया। इन सबके बीच सवाल उठ रहा है कि हमास ने इस्राइल के आयरन डोम को कैसे चकमा दे दिया, जिसे दुनिया की सबसे अच्छी वायु रक्षा प्रणालियों में से एक माना जाता है।
इस्राइल इस समय अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। फलस्तीनी आतंकवादी संगठन हमास ने जिस तरह से हमला किया, उसकी कल्पना शायद ही किसी ने की हो। इस्राइल के लोगों ने सोचा भी नहीं था कि उनकी सुबह इस तरह होगी। यहां के लोगों की सुबह हवाई हमलों की गूंज से हुई। हर तरफ शोर ही शोर, लोगों में डर देखने को मिला। माना जाता है कि इस्राइली सेना की गिनती दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में होती है। उसके पास दुनिया की सबसे जबरदस्त खुफिया एजेंसी मोसाद है, लेकिन इसके बाद भी हमास इस्राइल पर हमला करने में सफल हो गया। इन सबके बीच में सवाल उठ रहा है कि जो इस्राइल वायु सीमा की सुरक्षा के लिए आयरन डोम सिस्टम की बात करता है। उसके रहते हुए हमास ने यह जबरदस्त हमला आखिर कैसे कर दिया? कैसे इस बार इस्राइल का यह रक्षा कवच हमास ने भेद दिया?
क्या है आयरन डोम सिस्टम?
इस्राइल ने अमेरिका के सहयोग से राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम को ध्यान में रखते हुए आयरन डोम को रॉकेट हमलों का मुकाबला करने के लिए विकसित किया है। इस्राइल साल 2011 से इस प्रणाली का इस्तेमाल कर रहा है। इस्राइल की सेना और सरकार दावा करती है कि आयरन डोम दुनिया का सबसे विकसित एयर डिफेंस सिस्टम है और इसका सक्सेस रेट 90 प्रतिशत से भी ज्यादा है।
कैसे काम करता है यह आयरन डोम?
वायु रक्षा प्रणाली आयरन डोम के मुख्य रूप से तीन हिस्से होते हैं। रडार, लॉन्चर और कमांड पोस्ट। रडार के जरिए डोम सिस्टम यह तय करता है कि आसमान में दिख रहा रॉकेट या कोई अन्य वस्तु खतरा है या फिर कुछ और। अगर सिस्टम को लगता है कि यह खतरा है तो आयरन डोम रॉकेट पर इंटरसेप्टर मिसाइल हमला कर देता है। आयरन डोम में इस समय तामीर मिसाइलें इस्तेमाल की जा रही हैं।
इस बार कैसे नाकाम हुआ आयरन डोम?
फलस्तीनी आतंकवादी संगठन हमास लंबे समय से इस्राइल पर हमले की फिराक में था। वह हर समय हमला करने की रणनीति बनाता रहता है, लेकिन इस्राइल ने अपने सभी सीमाओं को अभेद्य बना रखा है। जमीनी सीमाओं पर उसके जवान पहरा देते हैं और हवाई सीमा की सुरक्षा आयरन डोम करती है।
इस बार हमास ने इस्राइल पर हवाई हमले से ही शुरुआत की। वह पहले भी कई बार हवाई हमले कर चुका था, लेकिन हर बार आयरन डोम की वजह से वह नाकाम हो जाता था। हालांकि, अब सवाल उठ रहा कि इस बार ऐसा क्या हुआ कि हमास अपने नापाक इरादों में सफल हो गया। बताया जा रहा कि बार-बार फेल होने के बाद हमास आयरन डोम की कमजोरी खोज रहा था और इस बार वह उसे पता चल गया कि वह कैसे इस सिस्टम से लड़ सकता है। आतंकी संगठन ने साल्वो रॉकेट हमले (कम समय में लॉन्च किए गए कई रॉकेट) से इस्राइल पर हमला कर दिया, जिससे नियंत्रण प्रणाली के लिए सभी लक्ष्यों को रोकना मुश्किल हो गया है। इस बार सिर्फ 20 मिनट में 5,000 से ज्यादा रॉकेट लॉन्च किए गए। यह रॉकेट भी छोटी दूरी के थे। इसलिए जब तक सिस्टम इनका अंदाजा लगाकर जवाबी हमले करता तब तक देरी हो चुकी थी।
क्रूड रॉकेट तकनीक विकसित कर रहा हमास
हमास लगातार अपनी क्रूड रॉकेट तकनीक विकसित कर रहा है और पिछले कुछ वर्षों में इसने तेल अवीव और यहां तक कि यरुशलम सहित इस्राइल के प्रमुख शहरों को कवर करने के लिए अपनी सीमा बढ़ा दी है। हालांकि, हमास द्वारा लॉन्च किया गया रॉकेट उसे रोकने के लिए दागी गई तामीर मिसाइल की तुलना में काफी सस्ता है। इस्राइल के लिए आयरन डोम का मूल्य इसकी लागत से कहीं ज्यादा मायने रखता है। इसने कई बार खुद को साबित किया है कि यह लक्ष्यों को बेअसर कर सकता है और लोगों की जान बचा सकता है।
2012 में हमास के साथ संघर्ष के दौरान, इस्राइल ने दावा किया था कि गाजा पट्टी से नागरिक और रणनीतिक क्षेत्रों की ओर दागे गए 400 रॉकेटों में से 85 प्रतिशत को बर्बाद कर दिया गया था। साल 2014 के संघर्ष के दौरान, हमास द्वारा कई दिनों के भीतर 4,500 से अधिक रॉकेट दागे गए थे। इस दौरान 800 से अधिक को रोका गया और लगभग 735 को हवा में नष्ट कर दिया गया, इसकी सफलता दर 90 प्रतिशत थी।
अपग्रेड और 2021 हमले
2021 में इस्राइल ने कहा कि उसने रॉकेट और मिसाइल सेल्वो के हमलों को रोकने के साथ-साथ कई मानवरहित हवाई वाहनों को एक साथ नष्ट करने सहित अतिरिक्त हवाई खतरों से निपटने के लिए सिस्टम को अपग्रेड किया है। मई 2021 में दो सप्ताह तक चले इस्राइल-फलस्तीन युद्ध में शुरुआती दिनों में 1,000 से अधिक रॉकेट दागे गए और पूरे संघर्ष के दौरान 4,500 से अधिक रॉकेट दागे गए थे।