भारत इजराइल के साथ” : हमास के हमलों के बीच सोशल मीडिया पर हुआ ट्रेंड; इजराइल ने दिया भारत को धन्यवाद

तेल अवीव: 

इजराइल (Israel) ने हमास द्वारा किए गए हमलों के बाद समर्थन के लिए भारत को धन्यवाद दिया है. दरअसल, ‘एक्स’ पर “भारत इजराइल के साथ” ट्रेंड करने लगा था. इजराइल के विदेश मंत्रालय की डिजिटल डिप्लोमेसी टीम द्वारा प्रबंधित ‘एक्स’ पर अपने आधिकारिक अकाउंट पर इजराइल ने कहा, “थैंक्‍यू इंडिया” और साथ ही एक एक तस्वीर भी साझा की है, जिसमें यह दर्शाया है कि ‘एक्‍स’ पर “भारत इजराइल के साथ” ट्रेंड कर रहा था. 

हमास ने शनिवार को दक्षिणी और मध्य इजराइल पर जमकर रॉकेट दागे थे. 

इससे पहले दिन में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि भारत की संवेदनाएं और प्रार्थनाएं निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं. 

पीएम मोदी ने एक्‍स पर कहा, “इजरायल में आतंकवादी हमलों की खबर से गहरा सदमा पहुंचा. हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं. हम इस कठिन समय में इजराइल के साथ एकजुटता से खड़े हैं.”

एक्स पर पीएम मोदी के बयान के जवाब में भारत में इजराइल के राजदूत नाओर गिलोन ने कहा, “धन्यवाद @PMOIndia. भारत के नैतिक समर्थन की बहुत सराहना. इजरायल की जीत होगी.”

एक्स पर साझा एक अन्य पोस्ट में गिलोन ने कहा, “यहूदी छुट्टियों के दौरान इजरायल पर गाजा से संयुक्त हमला हो रहा है. रॉकेट और हमास आतंकवादियों की जमीनी घुसपैठ दोनों से. स्थिति आसान नहीं है, लेकिन इजराइल को जीतना होगा.”

इजरायल और फिलिस्तीनियों के बीच वर्षों से सुलग रही आग एक बार फिर भड़क उठी है। फिलिस्तीन मिलिटेंट ग्रुप हमास ने गाजा इलाके से इजरायल पर रॉकेटों की बौछार कर दी। इसके बाद इजरायल ने युद्ध का एलान करते हुए जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी है। अमेरिका और भारत सहित कई देशों ने इस हमले की निंदा की है। इस पूरी तस्वीर के बारे में जानकारी देने के लिए हमारे साथ हैं हर्ष वी. पंत जो लंदन के किंग्स कॉलेज में प्रफेसर हैं और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के वाइस प्रेसिडेंट भी हैं।

पंत जी, इजरायल पर हमास के हमले की कई देशों ने निंदा की है। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि इजरायल पर आतंकवादी हमले से भारत चिंतित है और हम इजरायल के लोगों के साथ खड़े हैं। इजरायल और फिलिस्तीन के मामले में तो भारत पहले खुलकर फिलिस्तीन के साथ रहा करता था। बाद में बीच का रास्ता अपनाया गया लेकिन अब जो प्रधानमंत्री ने कहा है, इसे आप किस तरह देखते हैं? क्या यह बिलकुल नया रुख है?

देखिए, इस रुख को पूरी तरह से नया नहीं कहा जा सकता है क्योंकि भारत ने बार-बार स्पष्ट किया है कि किसी किस्म का आतंकवाद भारत बर्दाश्त नहीं करेगा। और जिस तरह का ये अटैक हुआ है, एक नॉन स्टेट एक्टर टेरर ग्रुप हमास जिसको टेटर ग्रुप की लिस्ट में डाला जाता है जिसके साथ दुनिया का कोई भी देश रेकग्नाइज नहीं करता है। और उसने इस अटैक की जिम्मेदारी ली है और जिस तरह से यह अटैक हुआ है, वह अपने आप में अप्रत्याशित है। लैंड से लेकर एयर तक एक नॉन स्टेट एक्टर के पास इस किस्म की कैपेबिलिटी आ गई है जो उसने इस तरह का इतना बड़ा अटैक लॉन्च किया। इसलिए यह दुनिया के लिए भी चिंता का विषय होना चाहिए और इसीलिए भारत के प्रधानमंत्री ने कहा है कि भारत इसकी निंदा ही नहीं करता है, बल्कि स्पष्ट तरीके से इजरायल के साथ खड़ा है कि किसी भी तरह से इस तरह से इस अटैक को लिजिटिमेसी दी जाएगी तो इसके बड़े दूरगामी परिणाम सभी देशों के लिए होंगे। मुझे लगता है उस विषय को इसीलिए भारत ने प्रखरता से बात उठाया है।

जी, हाल में दिल्ली में जो G20 शिखर सम्मेलन हुआ उसमें इंडिया, मिडिल-ईस्ट इकॉनमिक कॉरिडोर का एलान किया गया था। उसमें इजरायल भी शामिल है। इससे पहले आई टू, यू टू एग्रीमेंट हुआ था या इजरायल, यूएई और यूनाइटेड स्टेट कॉरिडोर। ये हमास का जो मामला है, इससे जो तनाव पैदा हुआ है उससे क्या इन एग्रीमेंट पर आंच आ सकती है?

देखिए, ये समझना बड़ा मुश्किल है कि ये जो अटैक है, कहां तक जाएगा, क्योंकि इजरायल पर तो ये बहुत बड़ा हमला है। दशकों बाद ये युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है। इजरायल इसको पीछे धकेलने के लिए बहुत बड़े तरीके से सामने आएगा। जैसा कि वहां की सरकार ने कहा है, हम रिएक्ट करेंगे। और वहां पर गाजा और वेस्ट बैंक में जिस तरीके से हमले हुए उसे एक संवेदनशील मुद्दा बन जाता है और जल्दी एग्रेसन आ जाता है, तो ये कहां पर खत्म होगा, ये कहना बड़ा मुश्किल है। तो ये जो चिंगारी लगी है किस तरह से और देशों का इन्वॉल्वमेंट होगा, इजरायल इसको किस हद तक ले जाएगा। ये सब कहना मुश्किल है और इसीलिए मिडिल ईस्ट जो पूरे प्रदेश है, एक बार फिर बहुत बड़ी चपेट में आ सकता है। अगर ऐसा होता है तो इसका इंपैक्ट इंडिया, मिडिल ईस्ट कॉरिडोर पर पड़ेगा। क्योंकि इजरायल का सारा फोकस युद्ध पर होगा। वहां पर कुछ महीनों से अटकलें लगाई जा रही थी कि सऊदी अरब और इजरायल में संबंध बहाल हो सकता है, बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन इस पर बहुत काम कर रहा था। तो मुझे लगता है कि इस अटैक द्वारा उस चीज को तोड़ने की कोशिश की गई है। उस प्रक्रिया को तोड़ने की कोशिश भी की गई है। तो मुझे लगता है कि यह कहना थोड़ी जल्दबाजी होगी कि भारत से संबंधित जो देश हैं उन पर क्या इंपैक्ट पड़ेगा। लेकिन यह जरूर है कि मिडिल ईस्ट पूरा एरिया एक बार फिर इंस्टैबिलिटी की गिरफ्त में आ गया है। न सिर्फ मिडिल ईस्ट बल्कि और भी जुड़े हुए जो देश हैं स्टैबिलिटी चाहते हैं। और उसका सीधा इंपैक्ट ऑयल और गैस पर होता है, उसके प्राइसेस पर होता है। सब कुछ पर इंपैक्ट होने की संभावना बढ़ती नजर आ रही है।

जी, आपने एक मुख्य बात याद दिलाई कि अरब देशों और इजरायल को जिस तरह अमेरिका करीब लाने की कोशिश में था, ऐसा लगता है कि हमास ने उस रिलेशंस को तोड़ने के लिए भी यह हमला किया है। हालांकि उसका दावा है कि अल-अस्का मस्जिद को नुकसान पहुंचाया गया था और गाजा की घेराबंदी कर रखी है इजरायल ने, तो हम उसका बदला लेने के लिए हमला कर रहे हैं। पंत जी, ये जो हमले की तारीख चुनी गई है, 1973 में इसी दिन योम किप्पर वॉर शुरू हुई थी, वो चौथे अरब-इजरायल युद्ध के पचास साल बाद ये हो रहा है, इस तारीख से इसका कोई संबंध है?

बिलकुल। मुझे लगता है कि इजरायल को भी सोचना पड़ेगा कि इतना बड़ा इंटेलिजेंस फेल्यर हुआ है, ये इजरायल के लिए भी बड़ी चिंता का विषय है कि इस किस्म का अटैक होना, काफी समय से इसकी तैयारी चल रही होगी और किस डेट पर ये हुआ है, ये डेट अपने आप में महत्वपूर्ण है, तो इसमें क्यों ऐसा हुआ कि इजरायल की नजरें नहीं थी। इजरायल के इंटेलिजेंस की नजर नहीं थी। या इजरायल इंटिलिजेंस इसको काउंटर करने में असफल रहा। ये सारे मुद्दे इजरायल के लिए बहुत बड़े हो जाते हैं। मुझे लगता है कि बहुत बड़ा इंपैक्ट दिखाई देगा आने वाले समय में। पॉलिटिक्स में और इजरायल इसको काउंटर करने में नाकाम रहा है। ये मिडिल ईस्ट और उससे जुड़े देशों के लिए ये परेशानी वाला है। इजरायल अभी युद्ध से जूझ रहा है लेकिन इस तरह के सवाल खड़े होंगे कि इजरायल की सिक्योरिटी एंजेंसीज को इस तरह की विफलता कैसे मिली? क्योंकि वहां के इंटेलिजेंस को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ इंटेलिजेंस में गिना जाता है। वहां ऐसा होना और युद्ध जैसी स्थिति बन जाना और इस तरह के अप्रत्याशित होना, मुझे लगता है कि जल्द ही इजरायल में बड़े मुद्दे बनते हुए नजर आएंगे।

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