बांग्लादेश में हिंदू एकजुट, अंतरिम सरकार को चेतावनी ‘हिंदू बेदखल हुए तो बांग्लादेश बन जाएगा अफगानिस्तान और सीरिया’

चटगांव (बांग्लादेश),। बांग्लादेश के प्रमुख हिन्दू संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी ने कहा कि अगर कोई हमें इस देश से बेदखल करना चाहता है तो बांग्लादेश पक्के तौर पर अफगानिस्तान या सीरिया बन जाएगा। लोकतांत्रिक ताकत छिन्न-भिन्न हुई तो बांग्लादेश सांप्रदायिकता का अभयारण्य बन जाएगा। उन्होंने यह चेतावनी यहां के लालदिघी मैदान से शुक्रवार को हिन्दुओं की विशाल सभा में अंतरिम सरकार को दी।

अत्याचार की कहानी

ढाका ट्रिब्यून की खबर के अनुसार, चिन्मय ब्रह्मचारी ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों पर दमन के खिलाफ कार्रवाई हो। समुचित मुआवजा दिया जाए। हिन्दुओं पर आक्रमण बंद हों। उन्हें कानूनी सुरक्षा प्रदान की जाए। चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी बांग्लादेश सनातन जागोरोन मोनचो के प्रवक्ता और पुंडरीक धाम के प्रमुख हैं। यह मंच पांच अगस्त को अवामी लीग सरकार के पतन के बाद हिन्दू मंदिरों, घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर हुए हमलों और शिक्षकों के जबरन इस्तीफे समेत आठ मांगों के लिए न्याय की मांग को लेकर दो महीने से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहा है।

आठ मांगों को पूरा कराने का संकल्प

चिन्मय ब्रह्मचारी ने कहा कि हिन्दुओं पर जितना अधिक अत्याचार होगा, वह उतना ही अधिक एकजुट होगा। यह एकता बांग्लादेश की आजादी के बाद से बंगाल की संस्कृति की एकता है। इस एकता को किसी भी तरह से तोड़ा नहीं जा सकता है। 19 सदस्यों की समन्वय समिति बनाई गई है। इसका गठन आठ सूत्री मांगों को पूरा कराने के लिए किया गया है।

हिन्दू करेंगे हर मंडल में रैली, सभी जिलों में सभा

उन्होंने घोषणा की कि हिन्दू हर मंडल में सामूहिक रैलियां और हर जिले में सभाएं करेंगे। उसके बाद ढाका की ओर लंबा मार्च किया जाएगा। उन्होंने मांग की कि संसद में हिन्दुओं के लिए आनुपातिक आधार पर सीटों की व्यवस्था की जाए। उन्होंने चेताया कि यदि आवश्यक हुआ तो मतदान का बहिष्कार करेंगे। लोकतंत्र के नाम पर तमाशा बर्दाश्त नहीं होगा। अन्य वक्ताओं ने कहा कि आजादी के बाद से ही बांग्लादेश में हिन्दुओं की हमेशा उपेक्षा की गई है। हर सरकार हिन्दुओं की पीड़ा, अन्याय और अत्याचार को छुपाने की कोशिश करती है। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि दशकों से अल्पसंख्यकों को हत्या, यातना, भूमि कब्जा और उत्पीड़न के लिए न्याय नहीं मिला। दण्ड से मुक्ति की संस्कृति ने अपराधियों को ऐसी घटनाओं को दोहराने के लिए प्रोत्साहित किया है।

बिना देरी के न्यायाधिकरण की स्थापना की जाए

उनकी अन्य मांगों में अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों की सुनवाई के लिए त्वरित सुनवाई न्यायाधिकरण की स्थापना, बिना किसी देरी के अल्पसंख्यक संरक्षण अधिनियम और अल्पसंख्यकों के लिए एक अलग मंत्रालय का गठन, अल्पसंख्यक कल्याण ट्रस्टों को फाउंडेशन का दर्जा देना, निहित संपत्ति की वसूली शामिल है। प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान में अल्पसंख्यकों के लिए पूजा स्थलों का निर्माण और प्रत्येक छात्रावास में प्रार्थना कक्ष का आवंटन, संस्कृत और पाली शिक्षा बोर्डों का आधुनिकीकरण और दुर्गा पूजा के लिए पांच दिन की छुट्टी। सभा को तपनंद गिरि महाराज, रविश्वरानंद पुरी महाराज, लीलाराज गौड़ दास ब्रह्मचारी, महंत सचिंददान पुरी महाराज, मुरारी दास बाबाजी, प्रांजलानंद पुरी महाराज के साथ-साथ पत्रकार, वकील, शिक्षक और विभिन्न वर्गों प्रतिनिधियों ने भी संबोधित किया।

ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, कई अधिकार समूहों ने कहा है कि सितंबर तक 1,000-2,000 से अधिक हमले हुए। इनमें से 600 से कम घटनाओं में कोई राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता नहीं थी। इसके अलावा, पुलिस ने कहा कि अक्टूबर में दुर्गा पूजा को केंद्र में रखते हुए लगभग 35 घटनाएं हुईं।

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