महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नामांकन का दौर खत्म हो गया, लेकिन चाहे महाविकास अघाड़ी हो या फिर महायुति, दोनों में ही सीट बंटवारे पर अभी तक पूरा खुलासा नहीं हो पाया है. आखिरी घंटों में जो तस्वीर सामने आई है. वह काफी कुछ बयां कर रही है. महायुति का समीकरण देखें तो साफ लग रहा है कि कांग्रेस और शरद पवार ने मिलकर कुछ ऐसा गणित भिड़ाया है जिससे शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को झटका लगा है. पिछले चुनावों को देखें तो इस चुनाव में उद्धव की पार्टी सबसे कम सीटों पर मैदान में है.
कांग्रेस ने 102 सीटों पर कैंडिडेट घोषित किए हैं. जबकि शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने 91 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं. उद्धव ठाकरे की शिवसेना को सिर्फ 84 सीटें मिली हैं. आंकड़ों को देखें तो कांग्रेस के पास मौजूदा वक्त में 37 विधायक हैं, जबकि शरद पवार के पास सिर्फ 12 विधायक. शिवसेना में टूट के बावजूद उद्धव ठाकरे के पास अभी भी 16 विधायक हैं. यानी शरद पवार से भी ज्यादा विधायक उद्धव गुट के पास हैं. इसके बावजूद उद्धव ठाकरे को शरद पवार की एनसीपी से कम सीटें दी गई हैं.
कांग्रेस बड़े भाई की भूमिका में
इससे साफ है कि कांग्रेस महाविकास अघाड़ी गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका में आ गई है जबकि शरद पवार की एनसीपी दूसरे नंबर पर और उद्धव ठाकरे की शिवसेना तीसरे नंबर पर रहेगी. हालांकि, 2019 में जब बीजेपी के साथ शिवसेना का गठबंधन था, तब उद्धव ठाकरे की पार्टी दूसरे नंबर पर थी. बीजेपी ने उसे 127 सीटें दी थीं. तब शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत दर्ज की थी. लेकिन अब मामला पूरी तरह से उलट गया है. अब शिवसेना अपने ही गठबंधन में तीसरे नंबर की पार्टी बनकर रह गई है.
सीएम फेस पर भी अटकेगी बात
राजनीति के जानकारों के मुताबिक, उद्धव गुट की शिवसेना का मुकाबला सबसे ज्यादा शिंदे गुट के उम्मीदवारों होगा. कुछ जगह बीजेपी के साथ भी टक्कर है. लेकिन इस गणित से साफ है कि अगर महाविकास अघाड़ी जीतने में सफल हो जाती है, तो उद्धव ठाकरे के लिए सीएम फेस पर दावा ठोकना आसान नहीं होगा. क्योंकि जब उन्हें एक तिहाई कम सीटें दी गई हैं, तो जीत की संभावना भी उसी के हिसाब से होगी.