मध्य प्रदेश में अवैध कॉलोनियों के बढ़ते मामलों को देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार अब सख्त कदम उठाने जा रही है। इसके तहत पुलिस, जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए एक मध्य प्रदेश नगरीय क्षेत्र (कॉलोनी विकास) 2021, एक्ट में संशोधन का ड्रॉफ्ट तैयार किया जा रहा है, जिससे अवैध कॉलोनाइजरों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित हो सके। अवैध कॉलोनी काटने वालों के लिए निर्धारित सजा और जुर्माने को भी कई गुना बढ़ाने की तैयारी है। इसमें दोषी साबित होने पर अब 10 साल की सजा और 50 लाख रुपये तक का जुर्माना होगा। प्रदेश सरकार के नए ड्रॉफ्ट के अनुसार अवैध कॉलोनियों के खिलाफ थाने में शिकायत मिलने पर 90 दिनों के भीतर एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य होगा। अगर पुलिस अधिकारी इस समय सीमा का पालन नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी, ताकि दोषियों को बचने का कोई मौका न मिले। बता दें, अब तक आईं 5000 हजार शिकायतों पर पुलिस ने सिर्फ 605 एफआईआर ही दर्ज की है। इसके बाद भी कार्रवाई की रफ्तार बहुत धीमी है।
अधिकारियों पर भी होगी सख्त कार्रवाई
नए ड्रॉफ्ट में न केवल पुलिस बल्कि जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों पर भी कार्रवाई का प्रावधान है। यदि अधिकारी शिकायत मिलने के बावजूद उचित कदम नहीं उठाते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसमें दोषी पाए गए अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए एक साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। इस कदम से अधिकारियों की जवाबदेही बढ़ेगी और अवैध कॉलोनियों पर अंकुश लगाने में सुधार होगा।
प्रमोटर और दुष्प्रेरण करने वालों पर भी शिकंजा
अब तक अवैध कॉलोनियों के मामलों में किसान और खरीदार ही नामित होते थे, जिससे कॉलोनाइजर कानूनी कार्रवाई से बच जाते थे। लेकिन नए ड्राफ्ट में प्रमोटर और दुष्प्रेरण करने वालों को भी आरोपी बनाया जाएगा, जिससे अवैध कॉलोनाइजरों पर कानूनी शिकंजा कस सकेगा।
सजा और जुर्माने में बढ़ोतरी
मौजूदा कानून के तहत अवैध कॉलोनियों के मामलों में तीन से सात साल की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना है। सरकार अब इस सजा और जुर्माने को बढ़ाने पर विचार कर रही है। अभी अवैध कॉलोनाइजर से जुर्माने के रूप में विकास शुलक वसूला जाता है। नए प्रावधानों के तहत सजा को बढ़ाकर 10 साल और जुर्माने की राशि को 50 लाख रुपये तक किया जा सकता है।