भाजपा का कमल एक बार फिर जम्मू में कमाल कर गया। नए चेहरों और जम्मू के डोगरा सीएम का नारा लेकर मैदान में उतरी भाजपा ने 11 में से 10 सीटें जीतीं। हालांकि चुनाव से पहले कुछ सीटों पर कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी। लेकिन पुराने चेहरों के सहारे मैदान में उतरी कांग्रेस फिर खाता नहीं खोल सकी।
2014 में कांग्रेस सभी 11 सीटों हारी थी। 2024 में भी सब हार गई। छंब विधानसभा सीट से निर्दलीय सतीश शर्मा ने जीत हासिल की। वे कांग्रेस के बागी थे। 2014 में दो सीटें जीतने वाली नेकां भी शून्य पर सिमट गई।
भाजपा ने 11 में से 7 सीटों पर बिश्नाह से राजीव कुमार, मड़ सुरिंदर कुमार, अखनूर मोहन लाल, आरएस पुरा जम्मू दक्षिण नरिंदर सिंह रैना, बाहु विक्रम रंधावा, जम्मू पश्चिम अरविंद गुप्ता, जम्मू पूर्व युद्धवीर सेठी के रूप में नए चेहरे मैदान में उतारे।
ये सातों जीत गए। दूसरे दलों से भाजपा में शामिल हुए देवेंद्र सिंह राणा ने नगरोटा, शाम लाल शर्मा ने जम्मू उत्तर से निराश नहीं किया और जीत गए। भाजपा के सुचेतगढ़ से गारू राम जीते, जो भाजपा के ही पूर्व विधायक थे।
खुद तो डूबी, नेकां को भी ले डूबी कांग्रेस
वर्ष 2014 में नेकां के नगरोटा से देवेंद्र राणा और बिश्नाह से कमल अरोड़ा जीते थे। तब नेकां अकेले चुनाव लड़ी थी। इस बार नेकां का कांग्रेस से गठबंधन था। सीट शेयर में नेकां को जम्मू में सिर्फ एक ही सीट मिली थी। जिस पर मड़ से पूर्व मंत्री अजय सढोत्रा लड़े, लेकिन हार गए। कांग्रेस 10 सीटों पर लड़ी और एक पर भी नही जीत सकी।
सिर्फ भल्ला ही दिखे टक्कर में
छंब सीट को छोड़ दें तो जम्मू जिले की 11 सीटों पर सीधे तौर पर भाजपा और कांग्रेस में ही मुकाबला दिखा। सिर्फ एक सीट पर कांग्रेस भाजपा को टक्कर देती दिखी। बाकी हर जगह पार्टी को अच्छे खासे अंतर से हारना पड़ा। आरएस पुरा जम्मू दक्षिण सीट पर कांग्रेस के रमन भल्ला और भाजपा के नरिंदर सिंह के बीच 17 राउंड तक टक्कर रही। अंत में भल्ला मात्र 1966 वोटों से हार गए।
पुराने दिग्गज नहीं बचा पाए साख
कांग्रेस ने छंब से पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद, मड़ से पूर्व मंत्री मूला राम, जम्मू पूर्व से पूर्व मंत्री योगेश साहनी, आरएस पुरा दक्षिण से पूर्व मंत्री रमन भल्ला, बाहु से टी एस टोनी, सुचेतगढ़ से भूषण लाल डोगरा, जम्मू पश्चिम से मनमोहन सिंह, नगरोटा से बलवीर सिंह कांग्रेस के पुराने चेहरे थे। बावजूद इसके ये हार गए। इसके अलावा बिश्नाह से युवा नीरज कुंदन, अखनूर से अशोक कुमार भी पार्टी को जीत नहीं दिला सके। कांग्रेस के पुराने चेहरे लोगों के बीच विश्वास पैदा नहीं कर सके। भाजपा की हिंदु बहुल इलाकों में मजबूत छवि को नहीं तोड़ सके।
निर्दल लड़ना सतीश को आया रास
छंब सीट: टिकट न मिलने से नाराज सतीश शर्मा निर्दलीय मैदान में उतर गए। कांग्रेस के पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद को टिकट दे दिया। जबकि भाजपा ने राजीव शर्मा को मैदान में उतारा। कांग्रेस और भाजपा के समर्थक दोनों ही अपने प्रत्याशियों से नाखुश थे। इसका लाभ सतीश शर्मा को मिला। क्योंकि उनके पिता मदन लाल दो बार के सांसद थे। इसका भी लाभ मिला।
कोई मजबूत दावेदार नहीं होना आया रास
नगरोटा सीट: इस सीट पर देवेंद्र सिंह राणा ने जीत दर्ज की। पिछली दफा नेकां से चुनाव लड़कर जीते थे। तब उन्हें भाजपा से कड़ी टक्कर मिली थी। वे 4 हजार के अंतर से जीते थे। इस बार लगभग 28 हजार वोट से जीते। व्यक्तिगत वोट और पार्टी का वोट मिलना और सामने कोई मजबूत उम्मीदवार न होना राणा को रास आया। यहां कांग्रेस के बलवीर सिंह मजबूत नहीं थे।
भाजपा अपने गढ़ में फिर से मजबूत
बाहु, जम्मू पश्चिम, जम्मू उत्तर, जम्मू पूर्व, मड़, अखनूर सीट: जम्मू जिले की ये वो सीटें हैं। जो पूर्व में भाजपा का गढ़ रही हैं। इन सभी सीटों पर भाजपा ने 10 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की है। इन सीटों पर भाजपा के साथ आरएसएस का प्रभाव रहा है। कांग्रेस इन इलाकाें में भाजपा के गढ़ को नहीं भेद सकी। बड़े और पुराने चेहरों के बावजूद कांग्रेस भाजपा को शिकस्त नहीं दे सकी।
एससी वोटर को रिझाने में कामयाब रही भाजपा
सुचेतगढ़, बिश्नाह सीट: लोकसभा चुनाव में सुचेतगढ़ सीट पर कांग्रेस को बढ़त थी। बिश्नाह में भी कांग्रेस मामूली अंतर से भाजपा से पिछड़ी। ये दोनों सीटें एससी आरक्षित हैं। भाजपा ने दोनों सीटों पर अब जीत दर्ज की है। भाजपा ने लोकसभा चुनाव के बाद दोनों सीटों पर मंथन किया। पार्टी ने पहली बैठक और रैली ही इन इलाकों में की। यहीं कारण है कि पार्टी एससी वोटरों को रिझाने में कामयाब रही। वहीं कांग्रेस ने सुचेतगढ़ और बिश्नाह दोनों सीटों पर कई नेताओं को गंवा दिया। इसका भी नुकसान पार्टी को झेलना पड़ा।
सिख वोटरों, रिफ्यूजी ने बदला समीकरण
आरएस पुरा जम्मू दक्षिण सीट: इस सीट पर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बढ़त ली थी। कांग्रेस के ही रमन भल्ला करीब 7 हजार वोटों की लीड लेकर आगे रहे। लेकिन अबकी बार वे हार गए। इस सीट पर सिंबल, गाढीगढ़ और चट्ठा भोर कैंप जैसे सिख बहुल इलाके हैं। इन वोटरों पर रमन भल्ला का खासा प्रभाव रहा है। लेकिन भाजपा ने इस सीट पर सिख उम्मीदवार नरिंदर सिंह को मैदान में उतार कर सिख वोट में सेंध लगाई। जबकि इस सीट पर पहली बार 4 से 5 हजार पश्चिम पाकिस्तानी रिफ्यूजियें ने भी पहली बार वोट किया। इसका भी भाजपा को लाभ मिला।