ग्वालियर। विजयपुर में विधानसभा का उपचुनाव की तारीख की घोषणा होने से पहले कांग्रेस और भाजपा के बीच शह और मात की राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस की रणनीति नवरात्र में चुनाव का शंखनाद करते हुए रामनिवास रावत को प्रदेश सरकार में शामिल किये जाने से नाराज भाजपा के पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी को पार्टी में शामिल कर भाजपा को झटका देने की थी।
किंतु भाजपा रणननीतिकारों ने कांग्रेस की रणनीति को पहले भांपकर दो दिन पहले ही नाराज आदिवासी को साधते हुए कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर कांग्रेस के राजनीतिक दांव को विफल कर दिया। प्रदेश सरकार ने सर्वपितृ अमावस्या के दिन आदेश जारी कर सीताराम को सहरिया संघ का सदस्य नियुक्त कर दिया। हालंकि भाजपा के समयोजन की यह राजनीति पार्टी के मूल कार्यकर्ताओं को रास नहीं आ रही है।
कांग्रेस की रणनीति को विफल किया
भाजपा भी विजयपुर विधानसभा की तैयारियाों में कई दिनों से जुटी हैं। क्योंकि यहां अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। रामनिवास रावत को प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में स्थान मिलने के बाद पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी ने सार्वजनिक रूप से नाराजगी प्रकट करते हुए चेतावनी दी कि उनके लिए भी दूसरे दल में जाने के रास्ते खुले हैं। पूर्व विधायक कांग्रेस के संपर्क में थे। आदिवासी की नाराजगी दूर करने उन्हें सहरिया संघ का सदस्य बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया, क्योंकि नवरात्र के दूसरे दिन कांग्रेस की सभा थी।
रावत ने लोकसभा चुनाव में की थी कांग्रेस से बगावत
लोकसभा चुनाव में पूर्व मंत्री विजयपुर से कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत ने कांग्रेस प्रत्याशी का विरोध करते हुए भाजपा प्रत्याशी का समर्थन किया था। लोकसभा चुनाव के तीन माह बाद रावत ने कांग्रेस छोड़ने के साथ विधानसभा की सदस्यता से भी त्यागपत्र दे दिया था।
इस कारण विजयपुर विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होना है। हालांकि चुनाव आयोग ने अभी उपचुनाव कराने की तारीख घोषित नहीं की है, लेकिन दोनों ही दलों ने जीत के लिए चुनावी रणनीति बनाना शुरू कर दी है।
शुक्रवार को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी सहित वरिष्ठ नेताओं ने श्योपुर पहुंचकर एकजुटता का प्रदर्शन किया। इससे पहले पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह भी क्षेत्र के प्रत्येक मतदान केंद्र की जिम्मेदारी कांग्रेस के बड़े नेताओं को सौपने की घोषणा कर चुके हैं।