ग्वालियर: मध्य प्रदेश की राजनीति में ग्वालियर-चंबल का एक बड़ा दखल होता है। इस अंचल से आने वाले लोगों की प्रदेश की राजनीति में बड़ा कद होता है। बीजेपी के अंदर एक साल पहले तक ही यही स्थिति थी। नरेंद्र सिंह तोमर से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया तक इसी क्षेत्र से आते हैं। एक्टिव पॉलिटिक्स से नरेंद्र सिंह तोमर अभी किनारे हैं। ऐसे में ग्वालियर चंबल अंचल में ज्योतिरादित्या सिंधिया का ही दबदबा देखने को मिलता है। ऐसे में अब इनकी दूसरी पीढ़ी पर राजनीति में आने की तैयारी में जुटा है। स्थानीय स्तर पर बड़े कार्यक्रमों के आयोजन से ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन सिंधिया खुद को कुछ हद स्थापित कर चुके हैं। ऐसे में नरेंद्र सिंह तोमर की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए उनके छोटे बेटे प्रबल सिंह तोमर भी सियासी पारी की कथित रूप से तैयारी शुरू कर दी है।
महाआर्यमन सिंधिया क्या प्रबल तोमर पर पड़ रहे भारी?
महाआर्यमन सिंधिया पिता के बीजेपी में आने के बाद से लगातार ग्वालियर चंबल में एक्टिव हैं। वह सियासी मैदान से लेकर क्रिकेट के मैदान तक में दिख रहे हैं। उनकी मेहनत का असर हुआ कि ग्वालियर में 14 साल बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का मैच हो रहा है। यह महाआर्यमन की सबसे बड़ी उपलब्धि हैं। उनके पिता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी ग्वालियर को कई सौगातें दी। ऐसे में एक्टिव पॉलिटिक्स से दूर होने के बाद नरेंद्र सिंह तोमर के बेटों को खुद को स्थापित करने की बड़ी चुनौती है। कथित तौर पर प्रबल सिंह तोमर ने खुद को स्थापित करने लिए बर्थडे पर उनके समर्थकों ने ब्रांडिंग शुरू की है।
तोमर की राजनीति पर दिखने लगा है असर
ग्वालियर चंबल में एक समय नरेंद्र सिंह तोमर का बड़ा नाम रहा है। भाजपा के अन्य दिगज्जों की तुलना में तोमर की पकड़ इस क्षेत्र में अधिक रही है। एक समय ग्वालियर-चंबल में सारे फैसले उनकी मर्जी से ही होती थी। सिंधिया परिवार को लेकर कई बार वे बड़ी दीवार के रूप में भी सामने आए। लेकिन केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जब अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल हुए तो क्षेत्र में बीजेपी के साथ तोमर की राजनीति पर भी बड़ा असर देखने को मिला।
सिंधिया का हो रहा है उभार
अब ग्वालियर-चंबल अंचल में धीरे-धीरे सिंधिया ने अपनी पकड़ बनाई है। साथ ही तोमर की पकड़ भी क्षेत्र से कमजोर होने लगी। इसी बीच भाजपा द्वारा केंद्रीय नेतृत्व से खींचकर नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा सरकार में लाने का निर्णय, उनकी राजनीति पर गहरा असर डाला। इसकी वजह से ज्योतिरादित्य सिंधिया के ग्राफ में उभार नजर आया है।
बेटे का वीडियो वायरल होने से भी पहुंचा डेंट
इस बीच एक बड़ी घटना घटित हुई। विधानसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र सिंह तोमर के बड़े बेटे का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें रुपए की लेनदेन की बात हो रही थी। इससे उनकी राजनीति पर बड़ा असर पड़ा। साथ ही बेटे की राजनीति पर भी ब्लैक फिल्म चढ़ गई।
सिंधिया के बेटे हो रहे स्थापित
वहीं, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिए हैं। अपने साथ-साथ अपने बेटे महा आर्यमन सिंधिया को भी मंच पर लाना शुरू किया। बड़े मंचों पर महाआर्यमन सिंधिया पिता के साथ नजर आने लगे। साथ ही धीरे-धीरे कर राजनीति में एक्टिव हो रहे हैं। ग्वालियर की वह अपनी नई छवि गढ़ रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के माध्यम से विदेश ही नहीं बल्कि विदेशों तक में अपनी पहचान बनाने लगे हैं। साथ ही संगठन में अब सिंधिया की बड़ी पैठ हो गई है। एमपीएल के दौरान ग्वालियर आईआईसी के चेयरमैन जय शाह भी आए थे।
ग्वालियर में खत्म हो रहा प्रभुत्व?
एक समय में ग्वालियर स्थित नरेंद्र सिंह तोमर का बंगला सत्ता का केंद्र होता था। अब उतनी चहलकदमी वहां नहीं होती है। ऐसे में पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रबल सिंह तोमर आगे आए हैं। बर्थडे पर प्रबल सिंह तोमर की ब्रांडिंग उनके समर्थकों ने की है। बड़े अखबारों में भोपाल से लेकर ग्वालियर तक विज्ञापन दिए गए। यही नहीं शहर में बॉस के नाम से पोस्टर लगाए गए । इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि प्रबल अब एक्टिव पॉलिटिक्स में सक्रिय होंगे।
वहीं, बर्थडे पर उल्लास के सवार पर प्रबल सिंह तोमर ने कहा कि शक्ति प्रदर्शन तो बहुत पहले हो चुका है। पांच साल पहले इससे बड़ा जन्मदिन मन चुका है।
काम की वजह से मिलेगा पहचान
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विशेषज्ञ डॉ. सत्य प्रकाश शर्मा ने कहा कि बीजेपी सदैव से ही नेपोटिज्म के अगेंस्ट रही है। यदि यह आइडियोलॉजी आगे भी सक्रिय रहती है तो फिलहाल नेता पुत्रों का भविष्य उनके काम और उनकी सक्रियता पर निर्भर करता है। कई नेताओं ने अपने बच्चों को भाजपा की आइडियोलॉजी के अनुरूप भी उतारने की कोशिश की लेकिन अधिकांश को असफलता ही हाथ लगी है। ऐसे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है।