चीन की आक्रामकता को ध्यान में रखकर बने भारत की हर रणनीति’, बोले CDS अनिल चौहान

चीन की आक्रामकता को लेकर चिंता जाहिर करते हुए भारतीय सशस्त्र सेनाओं के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) अनिल चौहान ने कहा है कि भारत को अपनी हर रणनीति चीन की आक्रामकता को ध्यान में रखते हुए बनानी होगी.

पांचवें जनरल के वी कृष्ण राव की स्मृति कार्यक्रम में संबोधन करते हुए सीडीएस चौहान ने कहा कि चीन के उदय के साथ उसकी आक्रामकता भी स्पष्ट है. इसलिए भारत को अपनी सारी रणनीति इसे ध्यान में रखकर बनानी होगी. उन्होंने कहा कि वर्तमान में ग्लोबल जियो पोलिटिकल व्यवस्था में राजनीतिक स्वायत्तता बेहद जरूरी है. चौहान ने कहा कि भारत गुटनिरपेक्षता के अपने दृष्टिकोण के साथ विश्व पटल पर आगे बढ़ रहा है.

उत्तरी सीमाओं पर चीन से विवाद
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक सीडीएस चौहान ने चीन के साथ उत्तरी सीमाओं पर भारत के ‘प्रमुख विवाद’ का भी उल्लेख किया और सुझाव दिया कि नई दिल्ली को रणनीतिक स्वायत्तता पर गौर करना होगा.

उन्होंने कहा, “रणनीतिक स्वायत्तता आपके खतरों से निपटने के बजाय अवसरों का फायदा उठाने के लिए प्रासंगिक हो सकती है. भविष्य यहीं होना चाहिए. हमें अवसरों के बारे में अधिक सोचना चाहिए.”

‘चीन एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभर रहा’
उन्होंने कहा, “मैं जो कुछ भी कह रहा हूं, वह उत्तरी सीमा पर चीन से जारी विवाद को ध्यान में रखते हुए है. चीन एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभर रहा है और इसके साथ ही उसकी आक्रामकता स्पष्ट है. इसलिए भारत को अपनी रणनीति उसी के मुताबिक बनानी होगी.” सीडीएस ने कहा, “भारत का चीन के साथ उत्तरी सीमाओं पर बड़ा विवाद है और उसे रणनीतिक स्वायत्तता का कार्ड खेलना होगा.”

गुटनिरपेक्षता पर सुझाव 
रणनीतिक स्वायत्तता को लेकर भारत की यात्रा की सराहना करते हुए सीडीएस चौहान ने कहा, “अगर मुझे गुटनिरपेक्षता से लेकर रणनीतिक स्वायत्तता हासिल करने तक की भारत की यात्रा का सारांश प्रस्तुत करना हो, तो मैं जो कह सकता हूं वह ‘तीन एस’ पर आधारित हो सकता है. पहला है भारत को सुरक्षित करना. अगला है आत्मनिर्भरता और अंत में भारत के लाभ और हित के लिए पर्यावरण को आकार देना.”

आपको बता दें कि उत्तरी सीमा पर चीन लगातार भारत के क्षेत्र को अपने नक्शे में शामिल कर विवाद को बढ़ता रहा है. अभी हाल ही में चीन ने अरुणाचल प्रदेश को अपने नक्शे में शामिल कर अपना हिस्सा बताया था, जिसे लेकर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी. इस बीच सीडीएस चौहान की टिप्पणी बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है.

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