वाशिंगटन. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ पिछले हफ्ते फोन पर हुई बातचीत में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक लोगों, खासकर हिंदुओं की सुरक्षा और वहां लोकतांत्रिक संस्थानों के भविष्य को लेकर चिंता जाहिर की. अमेरिका के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय ‘व्हाइट हाउस’ ने यह जानकारी दी. ‘व्हाइट हाउस ने पहले इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी थी और अब एक तरह से इस मामले में यू-टर्न लिया है. ‘व्हाइट हाउस’ के राष्ट्रीय सुरक्षा संचार सलाहकार जॉन किर्बी ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बातचीत के दौरान बाइडन और मोदी ने बांग्लादेश में हुए हालिया घटनाक्रम को लेकर ‘चिंताएं जाहिर’ कीं. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि ‘राष्ट्रपति बाइडन ने बांग्लादेश में लोगों की सुरक्षा तथा वहां मौजूद लोकतांत्रिक संस्थानों के भविष्य को लेकर साफ तौर पर अपनी चिंता साझा की.’
दोनों नेताओं के बीच 26 अगस्त को फोन पर बातचीत हुई थी और उसके बाद ‘व्हाइट हाउस’ द्वारा जारी बयान में बांग्लादेश का जिक्र नहीं किया गया था. हालांकि सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर मोदी के एक पोस्ट और उनके कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी बयान में कहा गया कि टेलीफोन पर हुई बातचीत के दौरान बांग्लादेश के मुद्दे पर भी चर्चा हुई. पीएमओ ने कहा था कि ‘दोनों नेताओं ने बांग्लादेश में हालात को लेकर साझा चिंताएं जताई थीं. दोनों नेताओं ने बांग्लादेश में कानून व्यवस्था की बहाली, अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर जोर दिया था.’
हिंदुओं की सुरक्षा पर जोर
‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में मोदी ने कहा था कि ‘हमने बांग्लादेश में हालात पर भी चर्चा की और बांग्लादेश में सामान्य स्थिति शीघ्र बहाल किए जाने तथा अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर जोर दिया.’ वहीं बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने चेतावनी दी कि वह देश में अस्थिरता पैदा करने वाले किसी भी शख्स के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करेगी. गृह मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी कर चेतावनी दी है तथा अति उत्साही एवं स्वार्थी लोगों द्वारा जबरन इस्तीफे, तोड़फोड़, आगजनी, अवैध तलाशी, लूटपाट और जबरन वसूली से पैदा हो रही अस्थिरता पर चिंता जाहिर की है.
बांग्लादेश में कुछ लोग ज्यादा अक्रामक
बांग्लादेश सरकार के सर्कुलर में कहा गया है कि अस्थिरता पैदा करने के लिए कुछ लोग पुलिस पर एफआईआर दर्ज करने का दबाव बना रहे हैं और अदालत में आरोपियों पर हमला भी कर रहे हैं. सरकार ने भरोसा दिलाया कि एफआईआर दर्ज होने का मतलब यह नहीं है कि मनमाने ढंग से गिरफ्तारियां की जाएंगी. सभी मामलों की उचित जांच की जाएगी और उचित कार्रवाई की जाएगी. सरकार ने कहा कि वह सभी उपद्रवियों की पहचान करेगी और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी, चाहे वे किसी भी पार्टी से जुड़े हों.