नई दिल्ली : सीनियर एडवोकेट और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने बिना डर या पक्षपात के न्याय देने के लिए ट्रायल कोर्ट, जिला अदालतों और सेशन कोर्ट को सशक्त बनाने के महत्व पर जोर दिया। डिस्ट्रिक्ट जूडिशरी के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए सिब्बल ने कहा कि इन अदालतों को अधीनस्थ नहीं बल्कि न्याय प्रणाली के महत्वपूर्ण घटकों के रूप में देखा जाना चाहिए। खास बात है कि सिब्बल जब यह बात कह रहे थे तो चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और पीएम नरेंद्र मोदी भी वहीं मौजूद थे।
‘ जिला अदालतें अधीनस्थ नहीं हैं’
सिब्बल ने जिला अदालतों के संदर्भ में कहा कि वे अधीनस्थ नहीं हैं क्योंकि वे न्याय देते हैं। उस स्तर पर जूडिशरी को विश्वास होना चाहिए कि उनके निर्णयों को उनके खिलाफ नहीं माना जाएगा और वे न्याय वितरण प्रणाली की रीढ़ की हड्डी का प्रतिनिधित्व करते हैं। सिब्बल ने जिला अदालत स्तर पर कम मामलों में जमानत दिए जाने को लेकर चिंता व्यक्त की।
उन्होंने कहाकि अपने करियर में, मैंने शायद ही कभी उस स्तर पर जमानत दी देखी है। यह सिर्फ मेरा अनुभव नहीं है बल्कि CJI ने भी यह कहा है क्योंकि हाई कोर्ट में मामलों का बोझ है। आखिरकार, निचली अदालत में जमानत एक अपवाद है। सिब्बल ने कहा कि स्वतंत्रता एक संपन्न लोकतंत्र का मूलभूत आधार है और इसे झुकने देने के किसी भी प्रयास से हमारे लोकतंत्र की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
पीएम मोदी ने किया उद्घाटन
इससे पहले पीएम मोदी ने इस राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने भी इस सम्मेलन को संबोधित किया। सीजेआई ने भी कहा कि यह जरूरी है कि जिला न्यायपालिका को अधीनस्थ कहना बंद किया जाए। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि न्याय की तलाश कर रहा कोई नागरिक सबसे पहले जिला न्यायपालिका से संपर्क करता है। जिला न्यायपालिका कानून का अहम घटक है। उन्होंने कहा कि काम की गुणवत्ता और वे स्थितियां जिनमें न्यायपालिका नागरिकों को न्याय प्रदान करती है, यह निर्धारित करती है कि उन्हें न्यायिक प्रणाली पर भरोसा है या नहीं।