दिल्ली पुलिस ने गुरुवार (22 अगस्त, 2024) को देश के कई राज्यों में छापेमारी कर के 14 संदिग्धों को हिरासत में लिया था। इन सभी पर आतंकी संगठन अलकायदा के लिए काम करने का आरोप है। अब पूछताछ में इस नेटवर्क के कई खतरनाक मंसूबों का खुलासा हुआ है। ये लोग यमन में अमेरिकी सेना द्वारा मार गिराए गए एक आतंकी के वीडियो अक्सर सुनते थे। इसी के साथ इन्होंने मुंबई से अहमदाबाद तक रेकी की थी और फर्जी नामों से बैंकों के खाते खोले थे। पकड़े गए आतंकियों का नेटवर्क पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भी पाया गया है।
दिल्ली के ISIS मॉड्यूल को रिज़वान अली और शाहनवाज आलम खड़ा कर रहे थे। इन दोनों की मुलाकात शाहीन बाग़ में हुई थी। ये दोनों मिल कर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड, गुजरात और महाराष्ट्र में भी अपना नेटवर्क बना रहे थे। 12 वीं पास 29 वर्षीय रिज़वान अली बम बनाने में एक्सपर्ट है जबकि माइनिंग इंजीनियरिंग से B.Tech डिग्रीधारक 31 साल का शाहनवाज आलम IED का विशेषज्ञ है। रिज़वान दिल्ली के दरियागंज जबकि शाहनवाज आलम झारखंड के हजारीबाग का निवासी है।
नर्सिंग कर रही हिन्दू छात्रा को कबूल करवाया इस्लाम
बताया जा रहा है कि कुछ दिनों पहले रिज़वान और शाहनवाज ने बसंती नाम की हिन्दू लड़की को इस्लाम कबूल करवाया था। वह नर्सिंग की छात्रा है। मूल रूप से छत्तीसगढ़ की रहने वाली बसंती 2016 में राजस्थान के कोटा से मेडिकल का कोर्स कर रही थी। यहाँ उसकी दोस्ती एक मुस्लिम लड़की से हुई जिसका एडमिशन कुछ दिनों बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हो गया था। यहीं पर उसने बसंती को भी बुला लिया। साल 2017 में बसंती का भी एडमिशन AMU के नर्सिंग कोर्स में हो गया।
बताया जा रहा है कि यहीं पर बसंती ने इस्लाम कबूल कर लिया जिसे उसने सबसे छिपा कर रखा। 2018 में बसंती दिल्ली आई और यहाँ वो खुद को खुदीजा मरियम बताने लगी। दिल्ली में बसंती हैरिश फारुक नाम के युवक के पेइंग गेस्ट हाउस में रुकी। यहीं पर बसंती की जान पहचान रिज़वान से हुई। रिज़वान ने बसंती का परिचय शाहनवाज से करवाया। मार्च 2021 में शाहनवाज और बसंती उर्फ़ खुदीजा मरियम का निकाह हो गया।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, बसंती उर्फ़ मरियम से निकाह करने की वजह बैंक का वो खाता खोलना था जिसे ऑपरेट शाहनवाज करता था। कई बार पैसे जुटाने के लिए शाहनवाज और रिज़वान ने मिल कर लूटपाट भी की थी। मरियम को ले कर शाहनवाज कुछ दिनों तक दिल्ली के बटला हाउस इलाके में रहता था। रिज़वान और शाहनवाज को हैरिश फारूक ने PDF फ़ाइल में जिहाद के लिए भड़काने वाले साहित्य और बम बनाने की तकनीकी दी।
यमुना के किनारे की थी बम की टेस्टिंग
इसी तकनीकी से दोनों ने बम बनाया और दिल्ली में यमुना नदी के किनारे उसकी टेस्टिंग भी की। यह टेस्टिंग अगस्त 2021 में की गई थी जो फेल रही थी। इसके एक माह बाद रिज़वान और शाहनवाज उत्तराखंड के हल्द्वानी गए। यहाँ इन्होंने बम की दोबारा टेस्टिंग की जो सफल रही। यहाँ से दोनों दिल्ली लौट आए। बड़ा धमाका करने के लिए रिज़वान और शहनवाज ने राजस्थान-हरियाणा के बॉर्डर पर नूहं इलाके में एक और ब्लास्ट की टेस्टिंग की थी।
जब रिज़वान और शाहनवाज बम बनाने में माहिर हो गए तो उन्होंने ब्लास्ट के लिए टारगेट खोजने शुरू कर दिए। इसी खोजबीन में उन्होंने मुंबई के कई हिस्सों की रेकी की। यहाँ पर उन्होंने नरीमन पॉइंट के उन हिस्सों को चिह्नित किया था जहाँ यहूदी रहते थे। दोनों ने कोलाबा और नरीमन पॉइंट की रेकी के साथ वहाँ से फोटो और वीडियो भी लिए। यहीं पर बने नेवी ऑफिस के कई कैमरों को देख कर दोनों आरोपितों ने वहाँ धमाका करने का प्लान बदल दिया था।
लेना चाहते थे गोधरा का बदला
मुंबई के बाद जनवरी 2023 में दोनों शाहनवाज और रिज़वान ब्लास्ट का टारगेट खोजने गुजरात गए। यहाँ उन्होंने अहमदाबाद, सूरत और वडोदरा जैसे कई शहरों की रेकी की। इस दौरान इन दोनों ने हिन्दू संगठनों के कार्यालयों सहित कोर्ट-कचहरी तक की विडियोग्राफी की। इन दोनों के मन में गोधरा का बदला लेने की भी सनक सवार थी।
दिल्ली का ISIS मॉड्यूल टेलीग्राम के जरिए अपने पाकिस्तानी आकाओं और अफगानिस्तान के कट्टरपंथियों से जुड़ा हुआ था। इन्हे पाकिस्तानी हैंडलर अबू सुलेमान ऑपरेट कर रहा था। रेकी किए गए फोटो और वीडियो रिज़वान और शाहनवाज अपने पाकिस्तानी आकाओं को भेजा करते थे। आखिरकार इस नेटवर्क ने पुणे के एक सुनसान इलाके में अपना ठिकाना बनाया। यहीं पर ट्रेनिंग सेंटर बनाने की तैयारी की गई थी। यहाँ बम के लिए मेहँदी जैसे कोडवर्ड भी रखे गए। फिलहाल दिल्ली पुलिस इस सभी आरोपितों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट लगाने की तैयारी कर रही है।