पश्चिम बंगाल में एक ट्रेनी महिला डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या के विरोध में मध्य प्रदेश के डॉक्टरों की हड़ताल को चुनौती देने वाली याचिका पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शनिवार को सुनवाई की। कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस आरएम सिंह की युगलपीठ ने डॉक्टरों को तुरंत हड़ताल समाप्त कर काम पर लौटने की सलाह दी। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की ओर से मौखिक रूप से हड़ताल समाप्त करने की जानकारी दी गई। एसोसिएशन के मुद्दों पर अगली सुनवाई 20 अगस्त को निर्धारित की गई है।
नरसिंहपुर निवासी अंशुल तिवारी की याचिका में कहा गया था कि पश्चिम बंगाल की घटना के विरोध में देशभर के डॉक्टर आंदोलनरत हैं। इसमें मध्य प्रदेश के जूनियर डॉक्टर भी शामिल हैं। मध्य प्रदेश जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन और जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन गांधी मेडिकल कॉलेज (भोपाल) ने हड़ताल का आह्वान किया था। विज्ञप्ति जारी की थी। याचिकाकर्ता ने पहले इंदरजीत सिंह शेरू की याचिका का हवाला दिया, जिसमें हाईकोर्ट ने फरवरी 2023 में डॉक्टरों की हड़ताल को अवैधानिक करार दिया था।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में चिकित्सा सेवा को अत्यावश्यक सेवा घोषित करते हुए कहा था कि अत्यावश्यक सेवा संधारण और विच्छिन्नता निवारण अधिनियम 1979 के तहत चिकित्सा सेवा के कर्मचारी सामूहिक अवकाश और हड़ताल पर नहीं जा सकते। हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश शासकीय एवं स्व-शासकीय चिकित्सा महासंघ और मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन को निर्देश दिया था कि बिना सूचित किए सांकेतिक हड़ताल भी नहीं की जाए।
24 घंटे में मांगा था जवाब
शुक्रवार को हुई सुनवाई में युगलपीठ ने प्रमुख सचिव स्वास्थ्य विभाग, डीन गांधी मेडिकल कॉलेज, और जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन गांधी मेडिकल कॉलेज को नोटिस जारी कर 24 घंटे के भीतर जवाब मांगा है। कोर्ट ने जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से नोटिस के साथ पहले पारित आदेश की प्रति भेजने के निर्देश भी दिए।
दो दिन का समय मांगने पर कोर्ट नाराज
शनिवार को हुई सुनवाई में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने हड़ताल समाप्त करने पर विचार करने के लिए दो दिन का समय मांगा, लेकिन युगलपीठ ने इस पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि मरीज इलाज के लिए दो दिन इंतजार नहीं कर सकते। कोर्ट ने एसोसिएशन को हड़ताल समाप्त करने के निर्णय के लिए आधे घंटे का समय दिया। आधे घंटे बाद हुई सुनवाई में एसोसिएशन ने मौखिक रूप से हड़ताल समाप्त करने की जानकारी दी। इसके बाद, युगलपीठ ने एसोसिएशन के मुद्दों पर 20 अगस्त को सुनवाई निर्धारित की। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय अग्रवाल और अभिषेक पांडे उपस्थित हुए, जबकि एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता महेन्द्र पटैरिया ने पक्ष रखा।