नई दिल्ली: अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च पिछले साल भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी के खिलाफ रिपोर्ट प्रकाशित कर अपना दोतरफा मकसद साधने में कामयाब रहा। एक तरफ उसने अडानी ग्रुप की कंपनियों में शॉर्ट सेलिंग से मोटा मुनाफा कमाया तो दूसरी तरफ भारतीय शेयर बाजार को कुछ दिनों के लिए तहस-नहस कर दिया। दोनों मोर्चों पर मिली सफलता से उत्साहित हिंडनबर्ग ने डेढ़ वर्ष में ही दूसरी रिपोर्ट प्रकाशित कर दी। लेकिन इस बार उसे मुंह की खानी पड़ी। शेयर बाजार में तूफान आना तो दूर, हवा तक नहीं चली। हालांकि, हिंडनबर्ग ने जिस तरह मौका भांपकर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) को निशाना बनाया उससे उसकी गंदी नीयत स्पष्ट हो गई। देश के कई प्रसिद्ध संस्थान और उद्योग जगत के सूत्रों ने खुलकर कहा कि यह सब डीप स्टेट का किया-धरा है जो अपनी तिकड़म में बुरी तरह मात खा गया। छोटे निवेशकों के दम पर बमबम भारतीय शेयर बाजार से जल रहे डीप स्टेट को कितना बड़ा झटका लगा होगा, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती है।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट 2.0 पूरी तरह बेअसर, और छटपटाएगा डीप स्टेट
भारत में संचालित रूस की न्यूज वेबसाइट स्पूतनिक डॉट इन से बातचीत में सूत्रों ने बताया कि आखिर क्यों कुछ ताकतवर देश भारत के खिलाफ साजिशों को हवा देने लगे हैं। उनके मुताबिक, शानदार प्रदर्शन कर रही भारतीय अर्थव्यवस्था, डॉलर के दबदबे को चुनौती दे रहा रुपया (डीडॉलराइजेशन) और विदेश नीति में रणनीतिक स्वायत्तता की प्राथमिकता ने कई देशों की त्योरियां चढ़ा दी हैं। ताजा रिपोर्ट के धूल फांकने से इन देशों में पल रहे भारत विरोधी डीप स्टेट की हताशा बहुत बढ़ गई होगी। सूत्रों ने स्पूतनिक से कहा, ‘यह भारत की सार्वजनिक संस्थाओं को बदनाम करने का स्पष्ट प्रयास है। यह सिर्फ अडानी पर नहीं बल्कि इस बार सेबी की विश्वसनीयता पर हमला है। इसी तरह, (जनवरी, 2023 में जारी) उनकी पहली रिपोर्ट ने जीवन बीमा निगम (एलआईसी), भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) समेत अन्य बड़े सरकारी बैंकों जैसे बड़े संस्थानों को बड़ा झटका लगा था जो अडानी ग्रुप में हितधारक थे।’
डीप स्टेट को खल रही हैं भारत की कौन सी बातें, जान लीजिए
भारत की जीडीपी के अनुपात में शेयर बाजार 2019 में 77% से 2023-24 में बढ़कर 124% तक पहुंच गया। सूत्रों ने कहा कि हिंडनबर्ग का इरादा मध्य वर्ग के लाखों भारतीयों का शेयर बाजार से विश्वास डिगाने का था। अगर निवेशक घबराते तो उनका भारी नुकसान होता, लेकिन पिछली बार के उलट इस बार ऐसा हुआ नहीं। बल्कि एलआईसी ने हिंडनबर्ग की पहली रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप में निवेश और बढ़ा दिया। सूत्रों ने बताया कि कैसे हिंडनबर्ग ने पिछले वर्ष भारतीय शेयर बाजार की नींव हिलाने की चाक-चौबंद व्यवस्था की थी। सूत्रों ने कहा, ‘माना जाता है कि करीब 200 अमेरिकी शेयर दलालों और बिचौलियों को हिंडनबर्ग रिपोर्ट की कॉपी प्रकाशन से पहले दे दी गई थी। इस कारण सबकुछ नियोजित तरीके से अंजाम दिया गया और भारतीय शेयर बाजार में ऐतिहासिक गिरावट आई।’
सेबी के सवाल से बौखलाई हिंडनबर्ग की गंदी चाल
सेबी ने हिंडनबर्ग को नोटिस भेजकर यह भी पूछा कि क्या उसने अडानी के शेयरों की शॉर्टिंग से मुनाफा कमाया था? हिंडनबर्ग ने इसका जवाब देने के बजाय सेबी को ही कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की। अपनी दूसरी रिपोर्ट में सेबी चीफ माधबी बुच और उनके पति धवल बुच को निशाना बनाने के पीछे हिंडनबर्ग की नीयत साफ झलक गई। सूत्रों ने इस बात पर चिंता जताई कि उन डीप स्टेट ऐक्टर्स को कुछ भारतीयों का भरपूर समर्थन मिल रहा है। इनमें विपक्षी दलों के नेता, प्रतिस्पर्धी उद्योगपति और सरकार में भी बैठे कुछ लोग शामिल हैं। सूत्रों ने कहा कि ये लोग व्यापक भू-राजनैतिक चालों को नजरअंदाज करके तात्कालिक राजनीतिक और आर्थिक हित देख रहे हैं। सूत्रों का दावा है कि अगर भारत से इन लोगों का समर्थन हासिल नहीं होता तो हिंडनबर्ग इतने दस्तावेज नहीं जुटा पाती। अमेरिकी शासन का एक हिस्सा और जॉर्ज सोरोस जैसे अरबपतियों का खड़ा किए गए डीप स्टेट के भारत में कई हितैषी हैं जो फ्रंट फुट पर आकर खेलते हैं।
विदेशी डीप स्टेट के भारत में भी फ्रंट रनर
भारत की मुख्य विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट 2.0 के बाद सेबी चीफ माधबी बुच का इस्तीफा मांगा है। कांग्रेस पार्टी के बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने करीबी मित्र की अवैध गतिविधियों में मददगार हैं। इस पर सत्ताधारी बीजेपी ने कांग्रेस पर विदेशी शक्तियों से मिलकर देश को अस्थिर करने का आरोप लगाया। बीजेपी सांसद कगंना रनौत ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को लेकर कहा कि वो देश की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा को दांव पर लगा रहे हैं। वहीं, सेबी ने रविवार को अपने बयान में कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने 3 जनवरी, 2024 को अपने आदेश मं कहा है कि सेबी ने अडानी ग्रुप की 24 में से 22 कंपनियों की जांच पूरी कर ली है। उसके बाद मार्च, 2024 में एक और कंपनी की जांच हो गई और बाकी बची एक कंपनी की जांच पूरी होने के कगार पर है।’
हिंडनबर्ग रिपोर्ट की टाइमिंग पर सवाल
स्पूतनिक ने बताया कि उसने हिंडनबर्ग की मंशा समझने के लिए कई मार्केट एक्सपर्ट्स से भी बात की है। इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी फर्म KRIS के संस्थापक और निदेशक अरुण केजरीवाल ने कहा, ‘हिंडनबर्ग का इरादा भले ही भारती की घरेलू राजनीति में दखल देने का नहीं हो, लेकिन वह माहौल गरमाए रखने के प्रयास में तो जरूर रहती है। रिपोर्ट की टाइमिंग से ही सवाल खड़ा होता है। बांग्लादेश में बवाल और संसद सत्र स्थगित रहने और बजट सत्र की समाप्ति के बीच रिपोर्ट जारी होती है। प्रत्यक्ष नहीं भी हो तो हिंडनबर्ग परोक्ष तौर पर गोला-बारूद मुहैया कराने में जुटी तो है ताकि इसका जियोपॉलिटिकल इंपैक्ट हो।’ उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग एक तरह से भय का माहौल बनाकर भारतीय शेयर बाजार में हाहाकार मचाने की गंदी चालें चल रही है।
हिंडनबर्ग को जवाब तो मिलना चाहिए
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार को इस तरह हिंडनबर्ग को फ्री हैंड नहीं छोड़ना चाहिए। उसने जिस तरह सेबी को निशाना बनाया, वह कोई हल्की बात नहीं है। एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि सेबी को इंटरनैशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ सेक्युरिटीज कमीशंस (IOSCO) से हिंडनबर्ग की शिकायत करनी चाहिए। आईओएससीओ दुनियाभर के शेयर बाजारों की देखरेख करती है। वह हिंडनबर्ग की विश्वसनीयता की जांच कर सकती है और उससे सवाल कर सकती है। अरुण केजरीवाल ने भी कहा कि अब जब हिंडनबर्ग ने कंपनी की जगह सीधे सेबी जैसे संस्थान को निशाना बनाया है तो उसे इसका सेबी और सरकार से जवाब तो मिलना ही चाहिए।
छोटे निवेशकों ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट की वाट लगा दी
इधर, भारत के मध्य वर्ग के छोटे-छोटे निवेश ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट 2.0 को धूल चटा ही दी है। भारतीय शेयर बाजार में म्यूचुअल फंड से निवेश की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है। भारत का मध्य वर्ग म्यूचुअल फंड के जरिए छोटी बचत का एक हिस्सा शेयर बाजार में निवेश कर रहा है। आंकड़े बताते हैं कि बीते आठ वर्षों में म्यूचुअल फंड एसआईपी निवेश में 320% का उछाल आया है। वित्त वर्ष 2016-17 में म्यूचुअल फंड एसआईपी इन्फ्लो 43,921 करोड़ रुपये का था जो वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 1.84 लाख करोड़ रुपये हो गया है। पिछले महीने के आकंड़े के मुताबिक, अभी म्यूचुअल फंड में 9.34 करोड़ एसआईपी अकाउंट्स हैं।