नई दिल्ली:
भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद अब नई अंतरिम सरकार का गठन हो चुका है. इस सरकार की अगुवाई नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं. बांग्लादेश की नई सरकार में 16 अन्य सदस्य भी शामिल हैं.जिन्हें अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई है. जिन 16 अन्य लोगों को सरकार का हिस्सा बनाया गया है उनमें फिलहाल सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है अबुल फैयाज मोहम्मद खालिद हुसैन (AFM खालिद हुसैन) की. मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार में खालिद हुसैन को धार्मिक मामलों का मंत्री बनाया गया है. आपको बता दें कि खालिद हुसैन को बांग्लादेश में एक प्रमुख कट्टरपंथी के तौर पर देखा जाता है. ऐसे में किसी कट्टरपंथी को ही धार्मिक मामलों का मंत्री बनाना कितना सही है ये एक बड़ा सवाल है. यूनुस सरकार ने जब खालिद हुसैन को यह जिम्मेदारी दी है उसकी टाइमिंग भी काफी कुछ कहती है. दरअसल कुछ दिन पहले ही पीएम नरेंद्र मोदी ने अंतरिम सरकार के गठन के बाद मोहम्मद यूनुस को सोशल मीडिया साइट एक्स पर बधाई देते हुए, बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा और संरक्षण की अपील की थी. लेकिन इस अपील के बाद भी यूनुस सरकार ने खालिद हुसैन जैसे कंट्टरपंथी को इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी. ये साफ बताता है कि यूनुस सरकार का छुकाव ऐसे लोगों के प्रति ज्यादा है जिनका इतिहास अल्पसंख्यकों पर अत्याचार को बढ़ावा देने का रहा है.
आपको बता दें कि बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के जाने के बाद से ही इस्लामी कट्टरपंथी हिंदुओं के खिलाफ हिंसा कर रहे हैं. स्थिति इस कदर बिगड़ी जा रही है कि कई इलाकों में मंदिरों में तोड़ फोड़ और हिंदु समुदाय के लोगों को निशाना बनाने तक की बात सामने आई है.
आखिर है कौन ये AFM खालिद हुसैन ?
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में AFM खालिद हुसैन को भी सलाहाकार बनाया गया है. खालिद हुसैन एक इस्लामी कट्टरपंथी देवबंदी मौलाना है. बताया जाता है कि खालिद हुसैन हिफाजत-ए-इस्लाम बांग्लादेश नाम से एक संगठन से जुड़ा हुआ है. इस संगठन का इतिहास रहा है कि यह हिंदू और खास तौर पर भारत विरोधी रैवया अपनाता रहा है. कहा तो ये भी जाता है कि हिफाजत-ए-इस्लाम बांग्लादेश को अफगानिस्तान की तरह बनाना चाहता है. इस संगठन का इतिहास हिंदू विरोधी हिंसा में लिप्त रहने का है. खालिद हुसैन इस संगठन का उपाध्यक्ष रहा है. वह कुछ वर्ष पहले तक इस संगठन का उप-मुखिया के तौर पर भी काम कर चुका है.यह संगठन लगातार बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लाम लाने की वकालत करता रहा है.
बांग्लादेश में कम हो रही है हिंदुओं की आबादी?
बांग्लादेश में पिछले कुछ सालों में हिंदुओं की आबादी लगातार कम होती जा रही है,साल 1951 में हिंदुओं की आबादी लगभग 22 फीसदी थी. लेकिन 2011 तक यह घटकर लगभग 8.54 फीसदी हो गई.हाल ही में मुस्लिम बहुल बांग्लादेश की 170 मिलियन आबादी में हिंदुओं की संख्या लगभग 8% है. यहां पर हिंदू समुदाय आबादी के मामले में दूसरे नंबर पर है.
हिंदुओं पर कट्टरपंथियों को बढ़ रहे हैं हमले
बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से वहां रह रहे हिंदुओं पर हो रहे हमलों की घटनाओं में लगातार इजाफा देखा जा रहा है. बीते कुछ दिनों में बांग्लादेश में कई मंदिरों में तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं देखी गई हैं. हिंदू समुदाय से जुड़े लोगों को पर भी हमले हो रहे हैं.अभी तक कई महिलाओं पर हमले और हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग पार्टी से जुड़े दो हिंदू नेताओं की हत्या की भी खबरें आई है.