इस्लामाबाद: पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में बंदरगाह शहर ग्वादर में हजारों की तादाद में बलूच समुदाय विरोध प्रदर्शन कर रहा है। चीन के ग्वादर प्रोजेक्ट, मानवाधिकार हनन, युवाओं को गायब किए जाने और प्रांत के संसाधनों के नाजायाज दोहन की बात कहते हुए लोग सड़कों पर उतर गए हैं। ग्वादर, 60 बिलियन डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का एक अहम हिस्सा है। ये अरब सागर पर पाकिस्तान के एकमात्र गहरे समुद्र का बंदरगाह है, जो आर्थिक और भूराजनीतिक दोनों दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसे में इन प्रदर्शनों ने चीन की चिंता को बढ़ा दिया है, जिसने बड़ा निवेश सीपीईसी में किया है। इन विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई बलूच याकजेहती कमेटी कर रही है।
फर्स्टपोस्ट ने इन प्रदर्शनों पर की गई रिपोर्ट में विरोध के पीछे की वजह तलाशी है। पाकिस्तान में बलूचों की जनसंख्या करीब डेढ़ करोड़ है लेकिन ये लोग लंबे समय से खुद को हाशिए पर महसूस करते रहे हैं। बलूचों का प्रान्त बलूचिस्तान तेल, कोयला, सोना, तांबा और गैस जैसे प्राकृतिक संसाधनों का घर है लेकिन इनका लाभ स्थानीय लोगों की बजाय केंद्र की सरकार को मिलता रहा है। ऐसे में बलूचिस्तान में समय-समय पर प्रदर्शन होते रहे हैं। 1947 में पाकिस्तान के बनने के बाद से कम से कम पांच बड़े विद्रोह इस क्षेत्र में हैं। इन प्रदर्शनों में ज्यादा स्वायत्तता और प्रांत के संसाधनों का उचित हिस्सा की मांग अहम रही है। हाल के दिनों में ग्वादर में बहुत तेजी से विरोध प्रदर्शन बढ़े हैं, प्रदर्शनकारियों में महिलाएं और बच्चे भी बड़ी तादाद में शामिल हैं। बलूच समिति (बीवाईसी) के आह्वान पर शुरू हुए ये प्रदर्शन अब बड़ा रूप ले चुके हैं। प्रदर्शनकारियों का सुरक्षाबलों से भी टकराव हो चुका है और मस्तुंग जिले में गोलीबारी में एक प्रदर्शनकारी की मौत भी हो चुकी है।
चीन की चिंता क्यों बढ़ा रहे प्रदर्शन!
ग्वादर में बढ़ रहे विरोध प्रदर्शन चीनी हितों को भी प्रभावित कर रहे हैं। ग्वादर का रणनीतिक महत्व चीन की बेल्ट एंड रोड पहल की एक प्रमुख परियोजना सीपीईसी में इसकी भूमिका से साफ होता है, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय संपर्क और व्यापार को बढ़ाना है। 2016 में शुरू गए ग्वादर बंदरगाह को पाकिस्तान और चीन के लिए ‘गेम-चेंजर’ कहा गया है। स्थानीय अर्थव्यवस्था को बदलने और द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने में इसका रोल है। मौजूदा अशांति और सुरक्षा ने चीन की चिंताओं को बढ़ा दिया है। विरोध प्रदर्शनों और उसके बाद की सरकारी कार्रवाई ने इस क्षेत्र के सामने आने वाले मुद्दों को उजागर किया है, जिसमें प्रमुख परियोजनाओं में स्थानीय भागीदारी की कमी और केंद्र सरकार और विदेशी निवेशकों द्वारा शोषण की बात शामिल है।
इस असंतोष को क्षेत्र में हिंसा और असुरक्षा के हालिया इतिहास से और भी बढ़ावा मिला है, जिसमें चीनी कर्मियों और परियोजनाओं पर हमले हुए हैं। पाकिस्तान की सरकार को उग्रवादियों और बलूच अलगाववादियों से चुनौती मिल रही है। पाक पर सरकार चीनी नागरिकों और निवेशों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बीजिंग का भी दबाव है। हाल ही में पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने लाहौर में चीन के महावाणिज्यदूत झाओ शिरेन को चीनी हितों की रक्षा के लिए उठाए जा रहे सुरक्षा उपायों के बारे में जानकारी भी दी है।
‘बलूचों पर अत्याचार हम बर्दाश्त नहीं करेंगे’
ग्वादर में प्रदर्शनकारियों के बीच बोलते हुए बीवाईसी नेता महरंग बलूच ने ऐलान किया है कि उनके लोगों को गिरफ्तार करके इस प्रदर्शन को खत्म करने का प्रयास हो रहा है लेकिन हम बलूचों पर और अधिक अत्याचार बर्दाश्त नहीं करेंगे। दूसरी ओर बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री सरफराज बुगती ने विरोध प्रदर्शनों की निंदा करते हुए कहा कि ये सब क्षेत्र के विकास और प्रगति को बाधित करने की साजिश का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि नागरिकों को इकट्ठा होने का अधिकार है लेकिन सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।