मोसाद ने ईरान में घुसकर हमास चीफ का किया खात्मा, भारत से रहे सीक्रेट संबंध; पाकिस्तान के डर की कहानी जानिए

इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद की ताकत और उसकी क्षमता कितनी है यह दुनिया जानती है. तेहरान में हुई हमास के पॉलीटिकल लीडर इस्माइल हानिया की मौत खूब चर्चा में है. मौत की वजह इजराइल को ठहराया जा रहा है, लेकिन क्या आप मोसाद और भारत के रिश्ते के बारे में जानते हैं.

भारत की खूफिया एजेंसी RAW यानी की रिसर्च एंड एनालिसिस विंग लंबे समय से मोसाद की सीक्रेट पार्टनर रही है. भारत के आजाद होने के ठीक 1 साल बाद इजरायल स्वतंत्र देश बना था. 1950 में भारत ने इजराइल को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता दी, लेकिन दोनों के बीच संबंध 1992 में शुरू हुए.

रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की नजरों में दोनों एक दूसरे के संपर्क में बिल्कुल भी नहीं थे, लेकिन असलियत में ऐसा बिल्कुल भी नहीं था. 1968 में भारत में रिसर्च और एनालिसिस विंग नाम की एक खुफिया एजेंसी बनाई. RAW के प्रमुख आरएन काव को इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के साथ रिश्ते बनाने का काम सौंपा गया.

शुरुआती सालों में RAW और मोसाद ने मिलकर चीन नॉर्थ कोरिया और पाकिस्तान पर अपने अभियान चलाए. पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम 1970 में कंडक्ट किया जा रहा था जो कि RAW और मोसाद के लिए एक मिशन के रूप में बन गया.

RAW और मोसाद के एक साथ काम करने से पाकिस्तान को अपनी कहुटा परमाणु सुविधा को लेकर घबराने लगा था कि भारत और इजराइल एक साथ मिलकर उस पर हमला कर सकते हैं. 1981 की बात है जब इजरायल ने ईरान की परमाणु सुविधा को जड़ से उखाड़ फेंका था.

आतंकवाद को भी लेकर रॉ और मोसाद ने साथ काम किया. 1987 में रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के प्रमुख एके वर्मा इजराइल गए, जहां उन्होंने आतंकियों के उपकरणों से निपटने की तकनीकी मदद की मांग की थी और एक दोस्त होने के नाते इजरायल ने भारत की मदद भी की, जबकि ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों ने भारत को इसे देने से साफ इनकार कर दिया था. 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या हुई, जिसके बाद भारतीय खुफिया एजेंसी के अधिकारियों को प्रशिक्षण के लिए इजरायल भेजा गया.

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