देश की शांति भंग कौन कर रहा है? संजौली मस्जिद का विवाद क्या, क्यों सड़कों पर आर-पार, आसान भाषा में समझें

अपनी खूबसूरत पहाड़ियों और शांत वातावरण के लिए मशहूर हिमाचल प्रदेश पिछले कुछ दिनों से अशांत है. शिमला के संजौली से एक मस्जिद को लेकर शुरू हुए बवाल की गूंज अब पूरे देश में सुनाई दे रही है और इसे लेकर काफी बात हो रही है.

दरअसल, हिंदू संगठन शिमला में बनी संजौली मस्जिद को अवैध बताते हुए उसे गिराने की मांग कर रहे हैं. बुधवार (11 सितंबर 2024) को हिंदू संगठनों ने कथित अवैध निर्माण के खिलाफ मस्जिद की दहलीज तक कूच किया और दीवार गिराने की कोशिश की. प्रदर्शनकारियों का हंगामा काफी देर तक चलता रहा. पुलिस को इन्हें कंट्रोल करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी.

पुलिस को करना पड़ा बल प्रयोग

प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए पुलिस ने पानी की बौछारों का सहारा लिया, लाठियां भी भाजीं लेकिन हजारों की संख्या में पहुंचे हिंदू संगठन के लोग पीछे हटने को तैयार नहीं थे. बताया गया है कि हिंदू संगठनों ने पहले से ही रैली निकालने का ऐलान किया था. पुलिस ने हिंदू संगठनों के प्रदर्शन को रोकने के लिए धारा 163 लागू की थी, लेकिन लोग नहीं माने और बुधवार सुबह से ही अलग अलग कोनों से हिंदू सगंठन शिमला में संजौली मस्जिद की तरफ कूच करने लगे.

कहां से बाहर आया संजौली का विवाद

संजौली की मस्जिद को लेकर पहली बार शिकायत साल 2010 में हुई थी. मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही है, ऐसे में सवाल ये उठता है कि अगर मामला इतना पुराना है तो अचानक हिमाचल प्रदेश में इसको लेकर हाहाकार क्यों मच गया? दरअसल 31 अगस्त को दो समुदायों के बीच मारपीट हुई थी. एक समुदाय के लोगों ने स्थानीय व्यक्ति को पीट दिया था. युवक की पिटाई के विरोध में हिंदू संगठन भड़क गए और सबसे पहले 1 सितंबर और फिर 5 सितंबर को प्रदर्शन हुआ था. यही से मस्जिद का मामला भी फिर से उठने लगा. स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि संजौली के पॉश इलाके में बिना इजाजत और बिना नक्शा पास किए 5 मंजिला मस्जिद बना दी गई है. यह अवैध है और इसे गिराना चाहिए. स्थानीय लोगों के मुताबिक यहां बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज पढ़ने आते हैं और इनकी वजह से इलाके का माहौल खराब हो रहा है. वहीं मस्जिद के इमाम शहजाद का कहना है कि मारपीट के मामले में अलग से कार्रवाई होनी चाहिए इसे मस्जिद से क्यों जोड़ा जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह मस्जिद साल 1947 के पहले बनी थी और तब ये कच्ची थी.

कांग्रेस के मंत्री ने भी मस्जिद को बताया था अवैध

इस पूरे बवाल पर हिमाचल की सुक्खू सरकार के मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कुछ दिन पहले सदन में बयान देकर कहा था कि मस्जिद अवैध है और जमीन पर हिमाचल सरकार का मालिकाना हक है. तब उन्होंने मुस्लिम आबादी के घुसपैठ का मुद्दा भी उठाया था.

2010 से नगर निगम कोर्ट में चल रहा केस

संजौली की विवादित मस्जिद का मामला साल 2010 से नगर निगम की कोर्ट में चल रहा है. इस दौरान बीजेपी और कांग्रेस दोनों की सरकारें प्रदेश में रहीं. नगर निगम की कोर्ट में मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर बार-बार नोटिस जारी किए जाते रहे, लेकिन फिर भी पांच मंजिला मस्जिद खड़ी हो गई. दरअसल, शिमला में केवल ढाई मंजिल ही बनाने की इजाजत होती है, जबकि संजौली की मस्जिद पांच मंजिला बन चुकी है. नगर निगम की कोर्ट में मामले की सुनवाई की अगली तारीख 5 अक्टूबर तय की गई है.

विवाद में कांग्रेस और बीजेपी भी आमने-सामने

इस विवाद को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता जयराम ठाकुर का कहना है कि हम इस पर आंखें नहीं मूंद सकते. सरकार को हिंदुओं और स्थानीय लोगों की भावना का सम्मान करना चाहिए. इसके जवाब में सीएम सुक्खू का कहना है कि किसी को कानून हाथ में नहीं लेने देंगे.

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