नीतीश कुमार की सबसे बड़ी मांग मोदी सरकार ने ठुकराई, कारण बताकर संसद में कहा- No

केंद्र ने बिहार को स्पेशल स्टेटस का दर्जा देने मांग को खारिज कर दिया है. एनडीए के प्रमुख सहयोगी दल जनता दल (यूनाइटेड) की ये प्रमुख मांग थी. एक लिखित जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा देने का मामला नहीं बनता है.

बिहार के झंझारपुर से जेडीयू सांसद रामप्रीत मंडल ने वित्त मंत्रालय से पूछा था कि क्या सरकार के पास आर्थिक विकास और औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए बिहार और अन्य सबसे पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा देने की कोई योजना है.

जेडीयू को मिला ये जवाब

पंकज चौधरी ने जवाब देते हुए कहा, “पहले राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) ने कुछ राज्यों को योजना सहायता के लिए विशेष श्रेणी का दर्जा दिया था, जिनकी कई विशेषताएं ऐसी थीं, जिन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत थी. इन विशेषताओं में पहाड़ी और कठिन भूभाग, कम जनसंख्या घनत्व और/या आदिवासी आबादी का बड़ा हिस्सा, पड़ोसी देशों के साथ सीमाओं पर रणनीतिक स्थान, आर्थिक और अवसंरचनात्मक पिछड़ापन और  राज्य के वित्त की गैर-व्यवहार्य प्रकृति शामिल हैं.”

उन्होंने आगे बताया, “इससे पहले, विशेष श्रेणी के दर्जे के लिए बिहार के अनुरोध पर एक अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) की ओर से विचार किया गया था, जिसने 30 मार्च, 2012 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. आईएमजी इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि मौजूदा एनडीसी मानदंडों के आधार पर बिहार के लिए विशेष श्रेणी के दर्जे का मामला नहीं बनता है.”

क्या है स्पेशल स्टेटस?

दरअसल, विशेष दर्जा किसी पिछड़े राज्य को उसके विकास में तेजी लाने के लिए अधिक केंद्रीय सहायता सुनिश्चित करता है. हालांकि, संविधान में किसी भी राज्य के लिए विशेष दर्जा प्रदान नहीं किया गया है, लेकिन इसे 1969 में पांचवें वित्त आयोग की सिफारिशों पर पेश किया गया था. अब तक जिन राज्यों को विशेष दर्जा मिला है, उनमें जम्मू और कश्मीर (अब एक केंद्र शासित प्रदेश), पूर्वोत्तर राज्य, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य शामिल हैं.

जेडीयू लंबे समय से कर रही बिहार को स्पेशल स्टेटस देने की मांग

बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा जेडीयू की लंबे समय से मांग रही है. इस चुनाव में बीजेपी के बहुमत से दूर रहने और जादुई आंकड़े को हासिल करने के लिए जेडीयू, टीडीपी और अन्य दलों के साथ गठबंधन करने के बाद नीतीश कुमार की अगुआई वाली पार्टी से उम्मीद थी कि वह अपनी मुख्य मांग के लिए पुरजोर कोशिश करेगी. जेडीयू ने बजट सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में भी यह मांग उठाई थी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *