नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शराब घोटाले मामले में जेल में है. अब केजरीवाल मामले में एक बड़ी खबर सामने आई है. दिल्ली की एक अदालत ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है. याचिका में उन्होंने मेडिकल बोर्ड के साथ परामर्श के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए अपनी पत्नी की मौजूदगी की मांग की थी. अदालत 6 जुलाई को अपना फ़ैसला सुनाएगी.
केजरीवाल का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता विकास जैन ने तर्क दिया कि डॉक्टरों द्वारा दी गई चिकित्सीय सलाह और आहार संबंधी आवश्यकताओं को समझने के लिए उनकी उपस्थिति महत्वपूर्ण है. इसका विरोध करते हुए प्रवर्तन निदेशालय के विशेष लोक अभियोजकों एन.के. मट्टा और साइमन बेंजामिन ने याचिका का विरोध किया.
याचिका में क्या दिया गया तर्क
उन्होंने कहा कि सभी आवश्यक मेडिकल रिकॉर्ड उपलब्ध कराए जा रहे हैं और तर्क दिया कि परामर्श के दौरान केजरीवाल की पत्नी के मौजूद रहने की कोई आवश्यकता नहीं है. हालांकि, जैन ने इस बात पर जोर दिया कि यह याचिका मानवीय आधार पर किया गया है. उन्होंने कहा कि केजरीवाल की पत्नी केवल एक परिचारिका के रूप में काम करेंगी, जो चिकित्सा सलाह को समझने और लागू करने में मदद करेंगी, खासकर आहार संबंधी निर्देशों के संबंध में.
केजरीवाल की ओर से एक और याचिका
वहीं एक और याचिका भी केजरीवाल की तरफ इससे पहले लगाया गया था. याचिका में सीएम की तरफ से इसे अर्जेंट बताते हुए जल्द से जल्द सुनवाई का अनुरोध किया गया. याचिका में अरविंद केजरीवाल ने जमानत दिए जाने की मांग की गई. दिल्ली के कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने इसपर संज्ञान ले लिया है.