मध्य प्रदेश की सियासत में बीजेपी के बड़े चेहरे के तौर पर सिंधिया अपनी पहचान बना चुके हैं. कई दिग्गजों की वजाय सिंधिया को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. पिछले कार्यकाल में नागरिक उड्डयन मंत्रालय और इस कार्यकाल में उन्हें केंद्रीय टेलीकॉम मंत्रालय दिया गया है. इसके साथ ही उन्हें पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट माने जाने वाले पूर्वोत्तर विकास की भी जिम्मेदारी दी गई है. पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी के बाद साफ हो गया कि सिंधिया आलाकमान के पास अपनी जगह बनाने में कामयाब हो गए हैं. लेकिन एक चीज बढ़ती जा रही है वह सिंधिया समर्थक नेताओं का इंतजार? कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले नेता अब इंतजार में हैं. कि उनके नेता के केंद्र में मजबूत होने के बाद उन्हें भी मध्य प्रदेश में कोई जिम्मेदारी मिल सकती है. आइये जानते हैं कौन नेता कर रहे इंतजार….
सिंधिया समर्थक नेताओं में सबसे पहला नाम इमरती देवी का है. इमरती देवी जिन्हें पार्टी ने हारने के बाद भी फिर से डबरा सीट से टिकट दिया था. डबरा से वो एक बार फिर विधानसभा चुनाव में हार गईं. महेंद्र सिंह सिसौदिया जो पंचायत मंत्री थे. उन्हें भी इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. तो वहीं पूर्व राजवर्धन सिंह दत्ती गांव वो भी चुनाव हार गए. इन सबको मंत्री का दर्जा दिया गया था. इनमें से दो तो मंत्री थे. वहीं इमरती देवी को मंत्री का दर्जा प्राप्त था.
सिंधिया समर्थक नेताओं को इंतजार
आपको बता दें अब ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्र की राजनीति में मजबूत नेता बनकर उभरे हैं. अब उसके बाद उनके समर्थक नेताओं का इंतजार भी बढ़ रहा है. यही वजह है कि इमरती देवी हों चाहे राजवर्धन सिंह दत्ती गांव हो या महेंद्र सिंह सिसौदिया हो, ऐसे कई लोग हैं. जो इंतजार में हैं. कि उनके नेता यानि कि ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्र में मजबूत हो चुके हैं. सिंधिया समर्थक वो नेता जो चुनाव हार गए उनको इंतजार इस बात का है कि केंद्र में एक बार फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया मंत्री बन गए हैं. तो शायद उनकी किस्मत भी संभर जाए. लेकिन, यह तो बीजेपी आलाकमान तय करेगा.
हां इतना जरूर कहा जा सकता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ताकतवर बनकर उभरे हैं. लेकिन. उनकी इस ताकत के बाद क्या वह अपने उन समर्थकों का इंतजार खत्म करा पाएंगे. जो पहले से ही कतार में है. उनको लग रहा है. कि अब उनके अच्छे दिन आने वाले हैं. यह तो वक्त बताएगा और बीजेपी आलाकमान तय करेगा. लेकिन हां समर्थक जो हैं वह ज्योति राय सिंधिया के भरोसे पर आस लगाए बैठे हैं.
सिंधिया के निकटतम सहयोगी मंत्री पद पर आसीन
सिंधिया समर्थक नेताओं के राजनीतिक भविष्य पर कांग्रेस समय-समय पर तंज कसती रहती है. कांग्रेस अक्सर निशाना साधती है और यह कहती है. कि, जरा देखिए क्या हाल हुआ जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए. हालांकि इससे अलग बात यह है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के जो निकट सहयोगी माने जाते हैं. उनमें से अधिकांश बड़े मंत्री पद पर बैठे हुए हैं.
चाहे आप तुलसीराम सिलावट की बात करें या गोविंद राजपूत इन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में लोकसभा चुनाव में पार्टी को शानदार जीत दिलाई है. यही वजह है कि लगातार आला कमान भी इस चीज का ध्यान रख रहा है.