अगर सरकार ने नहीं मानी ये बात तो… आजाद भारत में पहली बार होगा लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव; अड़ गया विपक्ष

नई दिल्ली। लोकसभा में उपाध्यक्ष के पद की मांग पर अड़े विपक्ष ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार किसी विपक्षी नेता को उपाध्यक्ष बनाने पर सहमत नहीं हुई तो वे लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ेंगे। अगर विपक्ष अगले हफ्ते लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए प्रत्याशी खड़ा करता है तो स्वतंत्र भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होंगे।

अब तक सर्वसम्मति से हुआ लोस अध्यक्ष का चयन

आजादी के बाद से अब तक लोकसभा अध्यक्षों को हमेशा सर्वसम्मति से ही चुना गया है। 18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून को शुरू होगा। परंपरा के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 26 जून को लोकसभा में अध्यक्ष के चुनाव के लिए प्रस्ताव पेश करेंगे। वरिष्ठ कांग्रेस नेता के सुरेश लोकसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं और उम्मीद है कि उन्हें प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाएगा, जिनके समक्ष सदस्य शपथ लेंगे।

आजादी के पहले हुए छह बार चुनाव

दो वोटों के अंतर से विट्ठलभाई ने जीता चुनाव: केंद्रीय विधानसभा के अध्यक्ष पद के लिए पहली बार चुनाव 24 अगस्त, 1925 को हुआ था। इसमें स्वराजवादी पार्टी के उम्मीदवार विट्ठलभाई जे पटेल ने टी रंगाचारियार को दो वोटों से हराया। पटेल को 58 वोट मिले थे। नंद लाल को पछाड़ कर अध्यक्ष बने याकूब: नौ जुलाई, 1930 को सर मु. याकूब (78 वोट) ने नंद लाल (22 वोट) को हरा कर अध्यक्ष का चुनाव जीता। वह तीसरी विस के आखिरी सत्र तक पद पर रहे। चौथी विस में अध्यक्ष बने रहिमतुल्ला: इब्राहिम रहिमतुल्ला (76 वोट) ने हरि सिंह गौर (36 वोट) को अध्यक्ष के चुनाव में मात दी। पांचवीं विस के अध्यक्ष चुने गए अब्दुर रहीम: 24 जनवरी, 1935 को सर अब्दुर रहीम ने टीएके शेरवानी को हराया और अध्यक्ष बने। मावलंकर-कोवासजी के बीच हुई आखिरी प्रतिस्पर्धा: केंद्रीय विधान सभा के अध्यक्ष पद का चुनाव आखिरी बार 24 जनवरी, 1946 को हुआ था, जिसमें कांग्रेस नेता जीवी मावलंकर ने कोवासजी जहांगीर के खिलाफ तीन वोटों के अंतर से चुनाव जीता था।

Loading

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *