केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने कहा मुझसे चुनाव लड़ने की चर्चा नहीं हुई, न मैं सीएम रेस में

ग्वालियर। मैं सीएम की रेस में नहीं हूं और न ही मेरी अभिलाषा है। मुझे यदि चुनाव लड़ने का कहा जाता तो मैं चुनाव लड़ता लेकिन एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूं इस संबंध में मुझसे पार्टी की कोई चर्चा ही नहीं हुई। ग्वालियर चंबल में पार्टी में कोई असंतोष नहीं है क्योंकि हम अनुशासित पार्टी के सिपाही हैं, कांग्रेस जैसे नहीं जहां जूते मारे जा रहे हैं,कपड़े फाड़ने की बातें की जा रही है। कमल नाथ और दिग्विजय सिंह का कुर्सी का संकल्प है जिससे स्थिति सामने है। विकास के मुद्दे को लेकर मैं भाजपा में आया था और मुझे प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ। अब मैं पुराना भाजपाई हो गया हूं ऐसा लगता है जैसे पिछले 50 सालों से पार्टी में हूं यह कहना है केंद्रीय उड़्डन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का। बता दें कि 2018 में जिस ग्वालियर चंबल अंचल के कारण भाजपा ने सत्ता गंवाई थी इस बार वहां पार्टी न सिर्फ विशेष सतर्कता बरत रही है बल्कि चुनाव भी आक्रामक ढंग से लड़ रही है। केंद्रीय मंत्रियों का तूफानी प्रचार शुरू हो चुका है। अंचल की राजनीति की धुरी ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले चार दिनों से एक-एक विधानसभा क्षेत्रों में जाकर बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं की बैठकें ले रहे हैं। शनिवार को ग्वालियर से शिवपुरी के कोलारस जाते हुए सिंधिया ने विशेष यान में  चुनावी माहौल पर चर्चा की।

प्रश्न : भाजपा में साढ़े तीन साल का सफर कैसा रहा, क्या जिस मुद्दे पर आए थे उससे संतुष्ट हैं. ?

अब मैं पुराना भाजपाई हो गया हूं। मैं विकास के मुद्दे पर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आया था और मैं पूर्ण रूप से संतुष्ट हूं.प्रधानमंत्री मोदी के साथ काम करने का मौका मिला है. जितने भी विकास और प्रगति के मुद्दे हैं उससे मैं संतुष्ट हूं.।

प्रश्न : कहा जा रहा है कि उच्च स्तर पर तो ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में घुल मिल गए लेकिन साथ आए लोगों को परेशानी आ रही है ?

बिल्कुल नहीं.साथ आए लोग तो पूरी तरह से भाजपा में रच बस गए हैं। कई लोग इतनी अच्छी तरह से घुल मिल गए हैं कि ऐसा लगता है कि पिछले 50 सालों से भाजपा में ही हों। वैसे भी भाजपा मेरे लिए कोई नई पार्टी नहीं है। मेरी आजी अम्मा ने भाजपा को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मेरी बचपन से ही भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं से मेल मुलाकात होती रही।

प्रश्न : इस बार भाजपा किन मुद्दों पर चुनाव लड़ रही है. जनता क्यों भाजपा को वोट करे ? हमारा मुद्दा विकास,विकास और सिर्फ विकास ही है। जो हमने प्रदेश के हर क्षेत्र में विकास किया है उसी को लेकर जनता हमें वोट करेगी ।

प्रश्न : लेकिन इतने विकास के बाद भी केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव लड़ना पड़ रहा है,सारे घोड़े खोलने पड़े, लगता है कुछ विकास में कमी रह गई ? बहुत अच्छा प्रश्न आपने किया है। आपको यह समझना पड़ेगा कि हमारी रणनीति क्या है। 120-125 तक हमारे विधायक थे। 100 सीटों पर विपक्ष के विधायक थे। 50 सीटें ऐसी हैं जहां हमें अपने किले को मजबूत करना और विपक्ष के किले को ढहाना है। यह सब रणनीति के तहत ही किया गया है। जहां भी केंद्रीय मंत्री और सांसदों को उतारा गया है वहां हम दो या तीन बार से नहीं जीते हैं। हमारी रणनीति है कि जो सीट कांग्रेस अपनी झोली में मान रही थी अब वहां स्थिति हमने बदल दी है, अब एक जिताऊ प्रत्याशी वहां है जिससे कांग्रेस के खेमे में हलचल मची हुई है।

प्रश्न :फिर तो ज्योतिरादित्य सिंधिया सबसे मजबूत प्रत्याशी हो सकते थे आप चुनाव क्यों नहीं लड़ रहे ? मैं समर्पित कार्यकर्ता हूं मुझे जो कहा जाएगा वह कर रहा हूं।

प्रश्न : तो क्या पार्टी ने आपसे चुनाव लड़ने का कहा था ?

नहीं मुझसे चुनाव लड़ने संबंधी कोई चर्चा नहीं हुई। जो आदेश होता मैं उसका पालन करता।

प्रश्न : फिर यह माना जाए कि आप सीधे सीएम पद की शपथ ही लेंगे.? हाहा (हंसते हुए). मैं कई बार कह चुका हूं कि मैं न कांग्रेस में सीएम पद की दौड़ में था न भाजपा में हूं। मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन सीएम बन रहा है। कुर्सी के पीछे न मेरी आजी भागी न मेरे पूज्य पिताजी भागे न ही मैं भाग रहा हूं। 2018 में जब मुझे कांग्रेस में कहा गया कि फलां (कमल नाथ) को सीएम बनाना है मैंने तुरंत हां भरी। यहां भी कोई घमासान नहीं कोई कठिनाई नहीं। हमें जनता को कुर्सी पर बैठाना है।

प्रश्न : पुराने साथी कमल नाथ और दिग्विजय सिंह के बीच मतभेद दिखाई दे रहे हैं,आपकी प्रतिक्रिया देखिए मैं उन लोगों में से नहीं , जिन्हें चुटकुले और चुटकी लेने में मजा आता हो। जो उनकी स्थिति है वो उनकी स्थिति है। मेरा जोश और संकल्प जनता से जुड़ा हुआ है कुर्सी से नहीं है, जैसा कमल नाथ और दिग्विजय सिंह का है।

प्रश्न : लेकिन टिकट वितरण में मतभेद तो भाजपा में भी हैं, पहली बार महल तक घेर लिया ? कोई असंतोष नहीं है.आप बताएं यदि कोई घर में मिलने आए,अपनी बात रखना चाहे तो आप इसे बगावत कहेंगे। हां कार्यकर्ताओं की इच्छा होती है.उनकी गुहार थी .मैं एक-एक से मिला और उन्हें समझाया। हर चीज को बगावत या विरोध से मत जोड़ो.लोगों की आशा अभिलाषा होती है, उसको समझना हमारी जिम्मेदारी है। ग्वालियर चंबल में कोई भी विरोध नहीं है। हमारी पार्टी अनुशासित है।

प्रश्न : फिर भी कई जगह तो भाजपा के विधायक, पूर्व विधायक बसपा से चुनाव मैदान में उतर गए हैं,यह बगावत नहीं है? देखिए, कुछ उदाहरण हैं, जहां ऐसी स्थिति बनी है लेकिन यह हर बार बनती है। आप कांग्रेस को देखिए वहां तो पुतले फूंके जा रहे है,जूते मारे जा रहे हैं.वहां तो पूर्व मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि फलां (दिग्विजय सिंह) के कपड़े फाड़ो। क्या यह सब बीजेपी में हो रहा है? नहीं ना।

प्रश्न : सर्वे में बात आई थी कि जनता जनप्रतिनिधियों से नाराज है लेकिन संगठन टिकट काटने की हिम्मत नहीं दिखा पाई, क्या सरकार संगठन पर हावी हो चुकी थी जिससे सेकंड लाइन ही नहीं बन सकी ? जितने भी चेहरे भाजपा ने मध्य प्रदेश में उतारे हैं मुझे पूर्ण विश्वास है कि हम पूर्ण बहुमत से सरकार बनाएंगे।

प्रश्न : कांग्रेस ने जातिगत जनगणना की दांव चला है आप प्रदेश की राजनीति में इसका कितना असर देखते हैं ? जिस पार्टी ने हमेशा से पिछड़ी जाति का विरोध किया,उनके लिए जितने भी आयोग बने उसका विरोध किया वह आज पिछड़े वर्ग की बात कह रही है। अखिलेश यादव पर कहते थे कि अखिलेश वखिलेश की बात मत करो। कांग्रेस ने पिछले दस दिनों में जातिगत जनगणना की बात को तिलांजली दे दी है।

प्रश्न : तो क्या कांग्रेस मुद्दा विहीन चुनाव लड़ रही?

मैं विपक्ष के बारे में बात नहीं करना चाहता लेकिन सच्चाई यह है कि हम सकारात्मक चुनाव लड़ना चाहते हैं और लड़ रहे हैं।

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