कोर्ट ने यह भी कहा कि CBI ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि उसे पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारियों का जांच में सहयोग नहीं मिल रहा है। मामले में एजेंसी की जांच जारी है। ऐसे में कोर्ट एजेंसी की रिपोर्ट का खुलासा करना नहीं करना चाहेगा। क्योंकि इससे जांच पर असर पड़ सकता है।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस टीएस शिवगनम और जस्टिस हिरणमय भट्टाचार्य की बेंच ने CBI की रिपोर्ट को गोपनीय रखने की अपील भी मान ली। मामले की अगली सुनवाई 13 जून को होगी।
कोर्ट ने खुद मामले की बारीकी से निगरानी करने की बात कही है। साथ ही कहा है कि यौन उत्पीड़न के पीड़ितों में आत्मविश्वास पैदा होना चाहिए। इसलिए CBI की महिला अधिकारियों की एक टीम भी तैनात की जाएगी।
कोर्ट का निर्देश- जांच में सहयोग करे राज्य सरकार
सुनवाई के दौरान CBI ने कहा कि जमीन हड़पने के 900 से ज्यादा आरोप हैं। इसलिए कोर्ट राज्य प्राधिकारियों को सहयोग करने का निर्देश दे। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर सरकार के पास कर्मचारियों की कमी है, तो अतिरिक्त कर्मचारियों तैनात किए जाएं जो CBI के साथ मिलकर काम करेंगे। कोर्ट ने 13 जून को CBI को भी प्रोग्रेस रिपोर्ट सबमिट करने कहा है।
25 अप्रैल को CBI ने पहली FIR दर्ज की थी
इससे पहले 25 अप्रैल को कलकत्ता HC के आदेश के बाद CBI ने पहली FIR दर्ज की थी। इसमें 5 मुख्य आरोपियों के नाम शामिल हैं। कलकत्ता हाईकोर्ट ने 10 अप्रैल को संदेशखाली मामले की जांच CBI को सौंप दी थी। अपने आदेश में कहा था कि CBI कोर्ट की निगरानी में जांच करेगी और रिपोर्ट सौंपेगी।
संदेशखाली की महिलाओं ने 8 फरवरी को तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेताओं पर यौन उत्पीड़न और जबरन जमीन कब्जाने का आरोप लगाया था। मामले में 3 आरोपी शाहजहां शेख, शिबू हाजरा और उत्तम सरदार 13 मई तक कस्टडी में हैं।
जांच CBI को सौंपने के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की SC में याचिका
वहीं, पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट के संदेशखाली केस की जांच CBI को सौंपने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। उस पर 29 अप्रैल को सुनवाई हुई थी। SC ने दलीलें सुनने के बाद मामले को जुलाई के लिए लिस्ट कर दिया था।
जस्टिस बीआर गंवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने सवाल किया था कि निजी लोगों के हितों की रक्षा करने के लिए राज्य सरकार ने याचिका क्यों लगाई है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने 10 अप्रैल को संदेशखाली केस CBI को सौंपा था। हाईकोर्ट ने 2 मई को सुनवाई तय की थी, लेकिन इसके पहले ही ममता सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी।
कौन है मुख्य आरोपी शाहजहां शेख
आरोपी शाहजहां शेक संदेशखाली में कहां से आया, ये कोई नहीं जानता। 2000-2001 में वो मत्स्य केंद्र में मजदूर था। वह भी सब्जी भी बेचता था। फिर ईंट-भट्ठे पर काम करने लगा। यहीं उसने मजदूरों की यूनियन बनाई। फिर सीपीएम से जुड़ा। सिंगूर और नंदीग्राम आंदोलन में वामदलों की जमीन खिसकी तो 2012 में शाहजहां तृणमूल कांग्रेस के तत्कालीन महासचिव मुकुल रॉय और उत्तर 24 परगना जिले के ताकतवर नेता ज्योतिप्रिय मलिक के सहारे पार्टी से जुड़ गया।
संदेशखाली के लोगों के मुताबिक, शाहजहां के पास सैकड़ों मछली पालन केंद्र, ईंट भट्ठे, सैकड़ों एकड़ जमीन हैं। वो 2 से 4 हजार करोड़ की संपत्ति का मालिक है।
शेख के समर्थकों ने ED की टीम पर हमला किया था
कोरोना के दौरान कथित तौर पर हुए हजारों करोड़ रुपए के राशन घोटाले में ED ने 5 जनवरी को बंगाल में 15 ठिकानों पर छापा मारा था। टीम नॉर्थ 24 परगना जिले के संदेशखाली गांव में शेख शाहजहां और शंकर अध्य के घर भी रेड डालने गई थी। इस दौरान उन पर TMC समर्थकों ने जानलेवा हमला किया था। इसमें तीन अधिकारी घायल हो गए थे।
आरोप लगाने वाली पीड़ित महिलाओं का कहना है कि शाहजहां शेख जिसे चाहे उसे अपनी हवस का शिकार बनाता था। ED की रेड के बाद वह फरार हो गया था। करीब 55 दिन बाद उसे 29 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था।
जमीन गंवाने वालों के लिए CBI ने संदेशखाली पीड़ितों के लिए मेल ID बनाई
कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के तुरंत बाद 11 अप्रैल को नॉर्थ 24 परगना जिले के संदेशखाली में जमीन हड़पने के शिकार हुए लोगों के लिए CBI ने मेल ID-sandeshkhali@cbi.gov.in बनाई। CBI के अधिकारी ने बताया कि पीड़ित इस मेल ID पर अपनी शिकायत भेजेंगे। शिकायतों के आधार पर केस दर्ज किया जाएगा।