‘महाराज का तो चल गया..’, सबसे ज्यादा फायदे में रहे सिंधिया, BJP ही नहीं कांग्रेस में गए समर्थकों को भी मिले टिकट

मध्य प्रदेश में सियासी माहौल गर्म है। राज्य में टिकट बंटवारे के बाद रार मची हुई है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल असंतुष्टों को मनाने में लगे हुए हैं लेकिन इन सबके बीच एक नेता ऐसा है जिसके ज्यादातर समर्थकों को टिकट मिल गया है। हम बात कर रहे हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया की, जिनके स्कूल के 125वें फाउंडेशन डे में पिछले दिनों पीएम नरेंद्र मोदी शामिल हुए। कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने ज्योदिरादित्य सिंधिया को ‘गुजरात का दामाद’ बताया।

सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद से ही एमपी बीजेपी और उनके समर्थकों के बीच रार देखने को मिली है। सिंधिया के वफादार और बीजेपी के पुराने नेताओं आमने-सामने देखे गए हैं। हाल के महीनों में सिंधिया के कुछ समर्थक वापस कांग्रेस में भी लौटे हैं, जिसके बाद ये सियासी हलकों में उनको मिलने वाले टिकट को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे।

अब जब बीजेपी औऱ कांग्रेस ने एमपी में तकरीबन सभी कैंडिडेट्स घोषित कर दिए हैं, ऐसे में यह स्पष्ट है कि सिंधिया के समर्थक दोनों ही पार्टियों से टिकट पाने में सफल रहे हैं। साल 2020 में सिंधिया के साथ बीजेपी में आने वाले उनके 25 वफादारों में से 18 विधायकों की बीजेपी ने रिपीट कर दिया है।

इनमें ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (ग्वालियर), जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट (सांवेर, इंदौर), औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव (बदनावर, धार), लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री प्रभुराम चौधरी (सांची, रायसेन), राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत (सुरखी, सागर), खाद्य मंत्री बिसाहूलाल सिंह (अनूपपुर), पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग (सुवासरा, मंसूर), पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री, महेंद्र सिंह सिसौदिया (बमोरी, गुना), राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष प्रद्युम्न सिंह लोधी (मलहरा, छतरपुर) और राज्य के लोक निर्माण मंत्री सुरेश धाकड़ (पोहरी, शिवपुरी) शामिल हैं।

इनके अलावा 5 सिंधिया समर्थकों जयपाल सिंह जज्जी (अशोक नगर), कमलेश जाटव (अंबाह, मुरैना), ब्रजेंद्र सिंह यादव (मुंगावली, अशोक नगर), मनोज चौधरी (हाटपिपलिया, देवास) और नारायण पटेल (मांधाता, निमाड़) पर भी बीजेपी ने विश्वास जताया है। इसमें खास बात यह है कि बीजेपी ने अपने पुराने नेताओं के गुस्से को देखते हुए जोखिम लिया है और सिंधिया के तीन ऐसे वफादारों को भी टिकट दिया है, जो 2020 के दलबदल के बाद उपचुनाव हार गए थे। इनमें डबरा से इमरती देवी, सुमावली से ऐदल सिंह कंसाना (सुमावली, मुरैना) और रघुराज सिंह कंसाना (मुरैना) शामिल हैं।

इन्हें नहीं मिला टिकट

सिंधिया के 7 समर्थकों को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया है, इनमें नवंबर 2020 में चुनाव हारने वाले – ओपीएस भदोरिया (मेहगांव), मुन्ना लाल गोयल (ग्वालियर पूर्व), रक्षा सनोरिया (भांडेर) और सुमित्रा देवी कास्डेकर (नेपानगर) शामिल हैं। बीजेपी की तरफ से जब इन नेताओं को टिकट नहीं दिया गया तो ऐसा नहीं है कि विरोध नहीं जताया गया। मुन्ना लाल गोयल के समर्थक विरोध प्रदर्शन करने के लिए सिंधिया के जय विलास पैलेस के बाहर पहुंच गए। इसके बाद सिंधिया खुद बाहर आए और जमीन पर बैठकर नाराज कार्यकर्ताओं से बात की। इसके अलावा ज्यादातर सिंधिया समर्थक शांत बने रहे। इनमें गिरिराज दण्डोतिया (दिमनी), रणवीर जाटव (गोहद) और जसवन्त जाटव (करेरा) शामिल हैं।

कांग्रेस में भी सिंधिया समर्थकों को मिला इनाम

मजेदार बात यह है कि कांग्रेस कैंप में भी कुछ सिंधिया समर्थकों को टिकट मिल गया है। ये बीजेपी से वापस कांग्रेस में लौट गए थे। इन नेताओं में बोधी सिंह भगत (कटंगी, बालाघाट), समंदर पटेल (जावद, नीमच), और बैजनाथ यादव (कोलारस, शिवपुरी) शामिल है।

आपको बता दें कि बीजेपी ने सिंधिया को मैदान में नहीं उतारा है। ऐसे कयास थे कि वो सियासी रण में उतारा जा सकते हैं। मोदी सरकार में उनके साथी प्रह्लाद पटेल (नरसिंहपुर), नरेन्द्र सिंह तोमर (दिमनी) और फग्गन कुलस्ते (निवास) से चुनाव लड़ रहे हैं जबकि बीजेपी के जनरल सेक्रेटरी कैलाश विजयवर्गीय इंदौर-3 विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं।

‘महाराज का चल गया’

टिकट बंटवारे के बाद सिंधिया के एक वफादार कहते हैं कि महाराज का चल गया। वो अपने करीब सभी समर्थकों को टिकट दिलाने में सफल रहे। उनके प्रमुख नेताओं में से कोई भी कैंप छोड़कर नहीं गया। वह चुनाव नहीं लड़ेंगे और अपने राजनीतिक करियर को खतरे में नहीं डालेंगे। वह मोदी और अमित शाह को पसंद हैं, उनके पास उनके लिए बड़ी योजनाएं हैं।

बीजेपी के एक सीनियर नेता ने कहा कि पार्टी की लिस्ट पूरी तरह से जीतने वाले उम्मदीवारों पर बेस्ड है। हम उम्र या कोई अन्य फैक्टर नहीं देखते। हालांकि चंबल-ग्वालियर इलाके के एक कांग्रेस नेता कहते हैं कि सिंधिया खतरे से बाहर नहीं हैं। उनके वफादारों को चुनाव जीतना होगा, नहीं तो उनका सियासी करियर छोटा हो जाएगा। गोविंद सिंह, इमरती देवी जैसे उनके समर्थक मुश्किल स्थिति में हैं।

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