‘अपनी दलीलें बाद के लिए बचा कर रखिए…’, केजरीवाल के वकील सिंघवी से सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?

नई दिल्ली। चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट से फौरी राहत की उम्मीद लगाए बैठे दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सोमवार को निराशा हाथ लगी। सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नोटिस तो जारी किया लेकिन चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने की दुहाई देते हुए मामले पर इसी शुक्रवार सुनवाई कर लेने की मांग नहीं मानी।

सुप्रीम कोर्ट से भी केजरीवाल को राहत नहीं

कोर्ट ने ईडी को 24 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने को कहा है और मामले को 29 अप्रैल से शुरु होने वाले सप्ताह में सुनवाई के लिए लगाने का आदेश दिया है। इससे साफ होता है कि गिरफ्तारी को चुनौती देने के इस मामले में 28 अप्रैल तक तो केजरीवाल को कोई राहत नहीं मिलने वाली। हालांकि केजरीवाल इस समय न्यायिक हिरासत में हैं और जमानत याचिका दाखिल कर जमानत मांगने का विकल्प उनके पास खुला हुआ है।

याचिका खारिज और गिरफ्तारी वैध

सोमवार को उपरोक्त आदेश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने केजरीवाल की दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद दिए। दिल्ली हाई कोर्ट ने गत नौ अप्रैल को केजरीवाल की याचिका खारिज कर दी थी और गिरफ्तारी को वैध ठहराया था।

महीने के अंत तक हो पाएगी सुनवाई

सोमवार को जब मामला सुनवाई पर आया तो केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी सुप्रीम कोर्ट से कुछ अंतरिम राहत चाहते थे या फिर मामले पर जल्दी सुनवाई की तारीख चाहते थे लेकिन कोर्ट ने ऐसा नहीं किया और याचिका पर विचार का मन बनाते हुए नोटिस जारी किया। कोर्ट ने कहा कि ईडी 24 अप्रैल तक अपना जवाब दाखिल कर दे उसके बाद 26 अप्रैल तक याचिकाकर्ता प्रतिउत्तर दाखिल कर सकता है। मामले को 29 अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह में सुनवाई पर लगाया जाए।

सिंघवी ने कोर्ट से मांगी अंतरिम राहत

कोर्ट ने सिंघवी को साफ किया कि वह इससे नजदीक की तारीख नहीं दे सकता। जब सिंघवी ने मामले को असामान्य बताते हुए बहस करनी चाही तो कोर्ट ने उनसे कहा कि वह अभी नोटिस जारी कर रहा है सिंघवी अपनी दलीलें बाद के लिए बचा कर रखें। कोर्ट ने कहा कि उन्हें मामले के तथ्य मालूम हैं और उन्होंने इस केस की फाइल अच्छे से पढ़ी है। सिंघवी ने कहा कि वह वह सिर्फ इतना चाहते हैं कि कोर्ट या तो अंतरिम राहत दे या फिर सुनवाई की तारीख बहुत नजदीक की लगाए। कहा कि वह कुछ तथ्य बताना चाहते हैं जो कि अदालत की अंतरात्मा को झकझोर देंगे।

सिर्फ एक बयान सकारात्मक

उन्होंने कहा कि इस मामले में आठ आरोपपत्र दाखिल हो चुके हैं और उनमें से किसी में भी केजरीवाल का नाम नहीं है। संघवी ने कहा कि इस मामले की कहानी सितंबर 2022 से शुरू होती है और केजरीवाल को मार्च 2024 में गिरफ्तार किया गया। इस दौरान 15 बयान दर्ज किये गए जिनमें नौ एक व्यक्ति के और छह अन्य द्वारा दिए गए थे और उनमें से किसी में भी केजरीवाल का नाम नहीं था। सिर्फ एक बयान सकारात्मक है।

केजरीवाल की गिरफ्तारी की टाइमिंग पर सवाल

सिंघवी ने गिरफ्तारी की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा कि चुनाव की घोषणा और आचार संहिता लागू होने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया ताकि वे चुनाव प्रचार में हिस्सा न ले पाएं। पहले दौर का चुनाव 19 अप्रैल को है इसलिए उनकी मांग है कि नजदीक की तारीख लगाई जाए। इसी शुक्रवार सुनवाई की जाए। ईडी की ओर से पहले से कोर्ट में मौजूद सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील का विरोध करते हुए कहा कि चुनाव प्रचार ऐसे मामलों में राहत पाने का आधार नहीं हो सकता।

केजरीवाल के जांच में सहयोग न करने की बात

पीठ ने सिंघवी से कहा कि जब कोर्ट ने मामले पर नोटिस जारी कर दिया है तो उन्हें बहस जारी नहीं रखनी चाहिए। दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल की याचिका खारिज करते हुए आदेश में कहा था कि यह तय करना आरोपित का काम नहीं है कि जांच कैसे की जानी है, सीएम सहित किसी के लिए कोई विशेषाधिकार नहीं हो सकता। हाई कोर्ट ने राजनीति से प्रेरित कार्रवाई की दलीलें भी नकार दी थीं और ईडी द्वारा बार बार सम्मन भेजे जाने के बावजूद केजरीवाल के जांच में सहयोग न करने की बात भी कही थी।

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