मध्य प्रदेश के इंदौर लोकसभा सीट को जीतने के लिए कांग्रेस ने अक्षय कांति बम को चुनावी मैदान में उतारा है. इधर बीजेपी मौजूदा सांसद शंकर लालवानी को अपना उम्मीदवार घोषित कर चुकी है. चर्चा है कि कांग्रेस ने बीजेपी के गढ़ में सेंध लगाने के लिए एक युवा चेहरे को मैदान में उतारा है. यहां बीजेपी पिछले 35 सालों से अजेय है. 1989 में सुमित्रा महाजन के कार्यकाल के बाद से बीजेपी इस सीट पर जीतती आ रही है.
इंदौर में सुमित्रा महाजन ने सबसे पहले कांग्रेस नेता प्रकाश चंद सेठी को हराया तो, ये सिलसिला 2019 तक अनवरत चला. वहीं 2019 में ताई यानी सुमित्रा महाजन की जगह शंकर लालवानी को टिकट मिला और वह 5 लाख की लीड लेकर विजयी हुए. कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ अपने कई बड़े चेहरों को आजमाया, लेकिन कोई भी जीत का अंतर कम नहीं कर सका.
2019 में शंकर के खिलाफ संघवी मैदान में थे
पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने शंकर लालवानी के खिलाफ पंकज संघवी को मैदान में उतारा था, लेकिन लालवानी ने 5.47 लाख से अधिक वोटों से लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. शंकर लालवानी को 10,68,569 वोट मिले थे, जबकि पंकज संघवी को 5,20,815 वोट मिले थे. वहीं बसपा के दीपचंद अहिरवार को 8,666 वोट मिले थे. चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इंदौर में 2019में कुल 69.56 फीसदी वोटिंग हुई थी. फिलहाल, सांघवी ने कुछ दिन पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन कर लिया.
2019 के आम चुनाव में ये थे प्रत्याशी
2019 के आम चुनाव में इंदौर संसदीय सीट से उम्मीदवार थे पंकज संघवी (कांग्रेस), शंकर लालवानी (भारतीय जनता पार्टी), इंजीनियर दीपचंद अहिरवार (बहुजन समाज पार्टी), इफ्तिखार अहमद खान (अल्पसंख्यक डेमोक्रेटिक पार्टी), कमलेश वैष्णव (हिंदुस्तान निर्माण दल), धीरज दुबे पत्रकार (सपाक्स पार्टी), भावना किशोर संगेलिया (जनता कांग्रेस) और सोशलिस्ट पार्टी) से मैदान में थे. वहीं निर्दलीय उम्मीदवारों में इमरान बख्श, परमानंद तोलानी, प्रकाश वर्मा, प्रवीण कुमार अजमेरा, महेंद्र टिकलिया, हाजी मुश्ताक अंसारी, रंजीत गौहर, रमेश पाटिल, राजकरण यादव, शैलेन्द्र शर्मा, सुरेंद्र और डॉ. संदीप वसंतराव कड़वे शामिल थे.
विधानसभा में मांगा था टिकट
कांग्रेस ने निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-4 से अक्षय कांति बम को विधानसभा का टिकट नहीं गया दिया था और अंतिम समय में राजा मंधवानी को पार्टी ने मैदान में उतारा था. अक्षय के समर्थकों ने पार्टी के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ था. वहीं टिकट मिलने के बाद अक्षय ने कहा कि मैंने इंदौर से एमबीए और लॉ किया है. मैं इंदौर में तीन शैक्षणिक संस्थान चला रहा हूं और मेरा परिवार समाज सेवा में रहा है, इसने ही मुझे समाज की सेवा करने के लिए राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया.