CAA लागू होने से देश में क्या होगा, पांच प्वाइंट में समझिए पूरी बात

नई दिल्ली: नोटिफिकेशन जारी होते ही देशभर में सीएए का कानून लागू हो गया। एक ओर सत्ता पक्ष इसे लेकर अपनी पीठ थपथपा रहा है तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष एक स्वर में इसके खिलाफ दिख रहा है। सरकार का पहले ही कहना था कि सीएए के नियम 2024 के चुनाव से पहले लागू कर दिए जाएंगे। इन सबके बीच सीएए को लेकर उन 5 बिंदुओं पर हम आज बात करेंगे जो आपके लिए जानना जरूरी है। आपके मन में भी कई तरह के सवाल उमड़-घुमड़ रहे होंगे। तो आइए 5 प्वाइंट्स में समझते हैं कि सीएए लागू होने से क्या होगा?

1. यह कानून बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का एक रास्ता है।

2. इस कानून के तहत, विदेशी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता मिलने के लिए पिछले एक साल से भारत में रहना जरूरी है, साथ ही पिछले 14 सालों में से कम से कम 5 साल भारत में रहना चाहिए। पहले, विदेशियों को नागरिकता मिलने के लिए 11 साल तक भारत में रहना पड़ता था।

3. यह कानून भारत के संविधान की छठी अनुसूची में शामिल कुछ इलाकों में लागू नहीं होता है। इन इलाकों में असम के ट्राइबल इलाके, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा शामिल हैं. साथ ही, असम के कारबी आंगलोंग, मेघालय के गारो हिल्स, मिजोरम के चकमा जिले और त्रिपुरा के ट्राइबल इलाके जिले भी इसमें शामिल हैं।

4. इस कानून के लागू होने के बाद दूसरे देश से आए मुस्लिम समुदाय के लोगों को इस कानून के तहत नागरिकता नहीं दी जा सकती। हालांकि, सरकार का कहना है कि अन्य समुदायों के आवेदनों पर व्यक्तिगत रूप से विचार किया जाएगा।

5.सीएए के लिए अप्लाई करने की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। गृह मंत्रालय ने आवेदकों की सुविधा के लिए एक पोर्टल तैयार किया है। आवेदनकर्ताओं को यह बताना होगा कि वे किस साल भारत आए थे और उनके पास वैध दस्तावेज नहीं थे। इस प्रक्रिया में आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगे जाएंगे।

बता दें कि सीएए के तहत कितने लोग भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं, इसका कोई आधिकारिक अनुमान नहीं लगाया गया है। हालांकि, गृह मंत्रालय की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 के बीच पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए इन गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों के कुल 1,414 विदेशियों को 1955 के नागरिकता अधिनियम के तहत पंजीकरण की मदद से भारतीय नागरिकता दी गई थी।

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