मानहानि से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से शिकायतकर्ता को माफीनामा देने को कहा है. अरविंद केजरीवाल ने इससे पहले माना था कि युट्यूबर ध्रुव राठी का एक वीडियो रीट्वीट करना उनकी गलती थी. कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता इस बात पर विचार करे कि उसे यह माफीनामा स्वीकार है या नहीं. हम 13 मई को आगे सुनवाई करेंगे.
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल पर युट्यूबर ध्रुव राठी के वीडियो वाले एक ट्वीट को रीट्वीट करने के मामले में 2018 में यह केस दर्ज हुआ था. उस वीडियो में विकास सांकृत्यायन नाम के व्यक्ति के बारे में अपमानजनक बातें कही गई थीं. दिल्ली हाई कोर्ट ने यह कहते हुए मुकदमा रद्द करने से मना कर दिया था कि ट्वीटर पर केजरीवाल को बड़ी संख्या में लोग फॉलो करते हैं. उन्होंने शिकायतकर्ता के खिलाफ कही गई अपमानजनक बातों की पुष्टि किए बिना उसे रीट्वीट किया और करोड़ों लोगों तक फैलाया.
निचली अदालत में चल रहे मामले पर रोक
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत में चल रहे मुकदमे पर अंतरिम रोक लगा रखी है. अगली सुनवाई तक यह रोक जारी रहेगी. इसके पहले 26 फरवरी को मामले की सुनवाई के दौरान अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में माना था कि उनसे गलती हुई है. तब पीठ ने यह निर्देश दिया था कि निचली अदालत कोई भी कठोर कदम नहीं उठाएगी और सुनवाई की अगली तारीख तक मामले पर सुनवाई नहीं की जाएगी.
पीठ ने पूछा कि, इस मामले को देखने के दो तरीके हैं, एक तो यह कि समर्थन है और दूसरा तरीका यह है कि आपने इंटरनेट पर कुछ पाया है और उसे ट्वीट कर दिया है. और यह आपके खिलाफ जाता है.
क्या है मामला?
दरअसल सुप्रीम कोर्ट अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने मई 2018 में यूट्यूबर ध्रुव राठी द्वारा शेयर किए एक कथित मानहानिकारक वीडियो को रीट्वीट किया था. इसके बाद उन पर आपराधिक मानहानि का मामला शुरू किया गया था. इस संबंध में निचली अदालत से केजरीवाल को समन जारी हुआ जिसे रद्द कराने के लिए वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे.
राठी ने 2018 में एक ट्वीट पोस्ट कर ‘आई सपोर्ट नरेंद्र मोदी’ नाम के ट्विटर पेज के संस्थापक और संचालक पर ‘बीजेपी आईटी सेल पार्ट-2’ जैसा व्यवहार करने का आरोप लगाया था. केजरीवाल ने इस ट्वीट को रीट्वीट किया था.