नई दिल्ली : इस साल 22 जनवरी को जब अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हो रही थी, उसी दौरान देश की साइबर सेल समेत टॉप सुरक्षा एजेंसियां बड़े खतरे से निपट रही थीं। इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी में राम मंदिर के उद्घाटन के मौके पर चीन और पाकिस्तान के हैकर्स और साइबर क्रिमिनल लगातार भारतीय वेबसाइट्स को निशाना बना रहे थे। हैकर्स के निशाने पर जो वेबसाइट्स थीं, उनमें राम मंदिर की साइट प्रमुख रूप से थी। इसके साथ ही प्रसार भारती और उत्तर प्रदेश में मौजूद महत्वपूर्ण संस्थानों की वेबसाइट भी शामिल थीं।
कैसे हमले को किया गया नाकाम?
रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि सरकार को आशंका थी कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर हैकर्स के हमले बढ़ सकते हैं। इसके चलते टेलीकॉम सिक्योरिटी सेंटर (टीएसओसी) ने राम मंदिर, प्रसार भारती, यूपी पुलिस, एयरपोर्ट, यूपी पर्यटन और पॉवर ग्रिड समेत 264 वेबसाइट्स की 24 घंटे निगरानी शुरू कर दी थी, ताकि किसी भी तरह से साइबर हमले को नाकाम किया जा सके। इस दौरान 140 आईपी एड्रेस की पहचान की गई जो लगातार राम मंदिर और प्रसार भारती की वेबसाइट को निशाना बना रहे थे।
अधिकारियों ने बताया कि पहचान के बाद इन आईपी एड्रेस को ब्लॉक करने के लिए कहा गया। आईपी एड्रेस को ब्लॉक करने के बाद भी ये कम नहीं हुआ और 21 जनवरी को इन देशों से साइबर हमले और तेज कर दिए गए। इसके बाद ज्यादा आईपी एड्रेस के खिलाफ एक्शन लिया गया। एक अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में लिखा गया कि 1244 आईपी एड्रेस ब्लॉक करने के बाद ये हमले कम हो गए। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि विदेशों के अलावा, भारत के अंदर से भी हैकिंग के कुछ प्रयास किए गए जिसे नाकाम कर दिया गया।
देशी तरीका आया काम
एक अधिकारी ने बताया कि गर्व करने वाली बात है कि साइबर हमले को रोकने के लिए जो उपाय किए गए थे, उन्हें देश में ही विकसित किया गया था। अधिकारी ने कहा, राम मंदिर उद्घाटन के पहले जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा के लिए रणनीति बनाई गई थी। दूरसंचार विभाग ने इन हमलों का पूर्वानुमान लगाने के लिए देश में विकसित आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग तकनीकों का इस्तेमाल किया था।