कलकत्ता हाईकोर्ट ने संदेशखाली मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए सोमवार (26 फरवरी) को सुनवाई शुरू की. अदालत में सुनवाई के दौरान टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी और बंगाल के दो मंत्रियों की टिप्पणियों पर भी बात हुई.
सीजे ने कहा कि हम रजिस्ट्री को अखबार में सार्वजनिक नोटिस जारी करने का निर्देश देंगे क्योंकि शाहजहां शेख लापता है. हाईकोर्ट के जज ने कहा कि वह स्पष्ट करेंगे कि शाहजहां के खिलाफ पुलिस कार्रवाई पर कोई रोक नहीं है, जैसा कि टीएमसी नेताओं ने दावा किया है.
अभिषेक बनर्जी ने कोर्ट को ठहराया था जिम्मेदार
तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और डायमंड हार्बर सांसद अभिषेक बनर्जी ने रविवार (25 फरवरी) को संदेशखाली के फरार नेता शाहजहां शेख की गिरफ्तारी में देरी के लिए न्यायपालिका को दोषी ठहराया था. अभिषेक ने रविवार को एक कार्यक्रम के दौरान मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा था कि शाहजहां शेख को न्यायपालिका की ओर से संरक्षित किया जा रहा हैताकि संदेशखाली सुर्खियों में बना रहे और जलता रहे.” उन्होंने कहा कि जब तृणमूल कांग्रेस ने पार्थ चटर्जी, ज्योतिप्रिय मल्लिक को नहीं छोड़ा तो शाहजहां शेख कौन है.”
ऐसे समझें पूरा मामला
दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय की एक टीम राशन घोटाले के सिलसिले में शाहजहां शेख की तलाश में 5 जनवरी को संदेशखाली गई थी. वहां उसके समर्थकों ने ईडी टीम पर हमला बोल दिया था, जिसमें कई अफसर घायल हुए थे. 16 जनवरी को, कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता ने ईडी की ओर से दायर एक याचिका के बाद अपने अधिकारियों पर हमले के कुछ दिनों बाद संयुक्त जांच का आदेश दिया था. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राज्य पुलिस और सीबीआई दोनों के अधिकारियों के साथ एक विशेष जांच दल का आदेश दिया था. अभिषेक ने कहा कि कुछ दिनों बाद ईडी ने इसके स्थगन की मांग की जिसे उच्च न्यायालय ने मंजूर कर लिया.
अलग-अलग याचिकाएं गई थीं
बताया गया है कि ईडी और राज्य पुलिस ने तब मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं और मामले की स्वतंत्र रूप से जांच करने की अनुमति मांगी. खंडपीठ ने 7 फरवरी को जारी एक आदेश में राज्य पुलिस कार्रवाई और जांच पर रोक लगा दी. इसने 6 मार्च को होने वाली अगली सुनवाई तक मामले की जांच भी रोक दी.