बॉलीवुड के सीनियर एक्टर मिथुन चक्रवर्ती अपनी दमदार एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं। एक्टर पॉलिटिक्स में भी सक्रिय हैं। 73 साल की उम्र में मिथुन चक्रवर्ती की अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में एडमिट किया गया था। अब उनकी तबीयत में काफी सुधार है और उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। एक्टर ने अस्पताल से बाहर आते ही अपनी तबीयत पर रिएक्शन दिया है। उन्होंने बताया कि उन्हें अस्पताल जाने की नौबत आखिर क्यों आई। एक्टर ने ये भी कहा कि उन्हें उनकी गलती की सजा मिली है।
एक्टर ने खुद बताई परेशानी
अभिनेता और भाजपा नेता मिथुन चक्रवर्ती को इस्केमिक सेरेब्रोवास्कुलर के लक्षण दिखने के बाद शनिवार की सुबह कोलकाता के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। एक्टर को सोमवार दोपहर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अस्पताल से बाहर आने के बाद सुपरस्टार ने कहा कि ज्यादा खाने की आदत को छोड़कर उन्हें कोई और परेशानी नहीं है। चक्रवर्ती ने कहा, ‘मैं राक्षस की तरह खाता हूं, इसलिए मुझे सजा मिली। सभी के लिए मेरी सलाह है कि अपने आहार पर नियंत्रण रखें। जो लोग मधुमेह के रोगी हैं, उन्हें यह गलतफहमी नहीं रखनी चाहिए कि मीठा खाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। अपने आहार पर नियंत्रण रखें।’
चुनाव रहेगी पूरी भागीदार
अभिनेता ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका अस्पताल में भर्ती होना उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पश्चिम बंगाल में भाजपा के लिए प्रचार करने से नहीं रोकेगा। चक्रवर्ती ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा क्षेत्रों की देखभाल कौन करेगा? मैं करूंगा। मैं भाजपा के साथ सक्रिय रूप से जुड़ा रहूंगा। अगर कहा गया तो मैं चुनाव प्रचार के लिए दूसरे राज्यों में भी जाऊंगा। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बहुत सम्मान करता हूं। भाजपा के लिए अपने चरम पर पहुंचने का समय आ गया है।’
मिथुन चक्रवर्ती का राजनीतिक करियर
एक सफल बहुभाषी फिल्म स्टार होने के अलावा, चक्रवर्ती का एक राजनीतिक करियर रहा है। कोलकाता में अपने कॉलेज के दिनों के दौरान वह नक्सली आंदोलन की ओर आकर्षित हो गए थे। अपने करियर के उत्तरार्ध में वह सीपीआई-एम के नेतृत्व खासकर पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री दिवंगत सुभाष चक्रवर्ती के करीबी बन गए थे। हालांकि, बाद में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आग्रह पर वह तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य बने थे। पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के चिटफंड घोटालों, खासकर सारदा समूह और रोज वैली घोटालों में प्रमुख तृणमूल नेताओं का नाम घसीटे जाने के बाद उन्होंने राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी से दूरी बनानी शुरू कर दी। साल 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले, चक्रवर्ती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में कोलकाता में एक मेगा रैली में भाजपा में शामिल हुए थे।