क्या मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे? यह चर्चा सूबे के राजनीतिक गलियारों में जमकर हो रही है. इस चर्चा को उस वक्त और बल मिल गया, जब भोपाल में प्रदेश चुनाव समिति की बैठक के दौरान नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सुझाव दिया कि छिंदवाड़ा से शिवराज को भी लड़ा सकते हैं.
भोपाल में बुधवार (7 फरवरी) को बीजेपी की प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में छह लोकसभा सीटों के संभावित दावेदारों से जुड़े लिफाफे खोले गए. इसमें चौंकाने वाली बात यह रही कि लिफाफे से उन नेताओं के भी नाम भी निकले, जो पूर्व में इन सीटों से सांसद रहे हैं. उनमें से कुछ डॉ मोहन यादव की सरकार में मंत्री भी हैं.
छिंदवाड़ा के लिए दिया शिवराज का नाम
बताया जा रहा है कि अब यह नाम प्रदेश संगठन की ओर से दिल्ली भेजे जाएंगे. इस दौरान छह सीटों की चर्चा के वक्त जब छिंदवाड़ा का लिफाफा खुला, तो मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने यह सुझाव देकर सबको चौंका दिया कि रायशुमारी के नामों के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी यहां लड़ाया जा सकता है. अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि विजयवर्गीय ने जब यह कहा तो बैठक में मौजूद किसी भी नेता ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
इन सीटों पर जल्द प्रत्याशी घोषित करेगी BJP
कहा जा रहा है कि इस बार बीजेपी छह लोकसभा सीटों जबलपुर, दमोह, छिंदवाड़ा, मुरैना, सीधी और नर्मदापुरम के प्रत्याशी जल्द घोषित करेगी. यह वह सीटें हैं, जिनके सांसद विधानसभा चुनाव जीतकर लोकसभा से इस्तीफा दे चुके हैं या फिर पार्टी को 2019 के चुनाव में यहां से हार का सामना करना पड़ा था. अब बात छिंदवाड़ा की करें तो बीजेपी यहां साल 1998 का प्रयोग दोहराने की तैयारी में है. उस दौर का किस्सा ऐसा है कि कमलनाथ को साल 1996 में हवाला कांड में नाम आने के बाद कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया था. उन्होंने अपनी पत्नी अलका नाथ को चुनाव मैदान में उतार दिया. छिंदवाड़ा में अपने व्यापक जनाधार के कारण कमलनाथ पत्नी अलकानाथ को चुनाव जिता ले गए.
बीजेपी दोहराएगी 1998 का प्रयोग
कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब कमलनाथ को दिल्ली में सांसद रहने के चलते लुटियंस जोन में मिला बंगला खाली करने का नोटिस मिल गया. कमलनाथ ने बहुत कोशिश की कि यह बंगला उनकी पत्नी अलका नाथ के नाम एलाट हो जाए, लेकिन उनकी पत्नी पहली बार सांसद बनीं थीं. थीं. इस वजह से बड़ा बंगला नहीं मिल सका. उधर कमलनाथ किसी भी कीमत पर यह बंगला छोड़ने को तैयार नहीं थे. इस बंगले की खातिर उन्होंने अपनी पत्नी से संसद की सदस्यता से इस्तीफा दिलवा दिया और खुद छिंदवाड़ा में उपचुनाव में प्रत्याशी बन गए.
तब तक वह हवाला कांड के दाग से बरी भी हो चुके थे. सभी को लग रहा था कि कमलनाथ पांचवीं बार लोकसभा के सदस्य बनने वाले है. भारी ताम झाम के साथ कमलनाथ ने अपना नामांकन दाखिल किया और दावा किया कि चुनाव में जीत सुनिश्चित है. इसी बीच नामांकन से पहले भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा दांव चलते हुए अपने मध्य प्रदेश के सबसे बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा को कमलनाथ के खिलाफ छिंदवाड़ा से चुनाव मैदान में उतारकर बाजी पलट दी.
क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार?
राजनीतिक जानकार कह रहे हैं कि बीजेपी अब इसी फार्मूले पर छिंदवाड़ा सीट से चुनाव लड़ने की कोशिश में है. कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार सांसद नकुलनाथ के खिलाफ पार्टी सुंदरलाल पटवा (1998 का उप चुनाव) की तरह ही इस बार पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को छिंदवाड़ा में चुनाव मैदान में उतार सकती है. इसका संकेत चुनाव समिति की बैठक में जबलपुर क्लस्टर के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने दिया, जिसके तहत छिंदवाड़ा लोकसभा सीट भी आती है. राजनीतिक गलियारों में कहा जा रहा है कि बीजेपी इस बार किसी भी कीमत पर छिंदवाड़ा सीट जीतकर कमलनाथ के गढ़ होने का मिथक तोड़ने की कोशिश में है.